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नेहरू, अब्दुल्ला और औवेसी खानदानों का वो काला इतिहास, जिसे पूरे देश को जानने की ज़रुरत है

देश की पत्रकारिता रसातल में जा रही है। टीवी पर न्यूड़ (न्यूज चैनल भी पढ़ सकते हैं) चैनल खोलते ही ऐसा लगता है मानों देश के एक से एक निठल्ले, हरामखोर, चापलूस, दोगले, बेईमान, धूर्त, कमीने और नालायाक गिरोह बनाकर किसी टिड्डीदल की तरह टीवी के परदे पर जम गए हैं। पैसे लेकर बिकाऊ नेता, मौलवी सब एक दूसरे को गालियाँ देने और एक दूसरे की गालियाँ खाने के लिए शाम से लेकर रात तक टीवी के परदे पर अवतरित होकर मेले में नाचने वालियों की तरह नाच गाकर चले जाते हैं । हर पार्टी ने हिंजडो़ं की फौैज की तरह बवक्ता, प्रवक्ता, जैसे कौडियों के मोल बिकने वाले विदूषकों को किसी जोकर की तरह प्रशिक्षित कर रखा है। ये आते हैं और बकवास करके चले जाते हैं।

गाँवों में होने वाली रामलीला में कई बार एक ही कलाकार को की पात्रों की भूमिका करनी होती है तो उनके तैयार होने के समय दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए बीच बीच मे विदूषक आकर बेसिर पैर की बातें करता है ठीक वैसे ही टीवी चैनलों पर सभी पार्टियों के प्रवक्ता और बिके हुए पैनलिस्ट आकर बकवास करने लगते हैं। आजकल टीवी चैनलों की बहस का स्तर ये हो गया है कि गाँवों में कुओँ और हेंडपंप पर पानी भरने वाली कम पढ़ी लिखी औरतों और पान की दुकान पर खड़े अवारा छोकरों तक की बेहूदा बातें समझदारी भरी लगती है। शुरु-शुरु में तो ये बकवास लोगों का मनोरंजन करती थी मगर अब तो इंतिहा हो गई है ये मनभंजन करने लगी है।

टीवी के इस अँधा युग मे भी कुछ लोग हैं जो देश में पत्रकारिता की मशाल ही नहीं जला रहे हैं बल्कि इतिहास के पन्नों से खोज-खोजकर वो तथ्य, प्रमाण और ऐतिहासिक जानकारियाँ ला रहे हैं, जो आज़ादी के बाद सामने ही नहीं आने दी गई। हमने अंग्रेजों का इतिहास पढ़ा कि वे कितने धूर्त, बेईमान और लुटेरे थे, मगर अंग्रेजों के जाने के बाद जिन लोगों ने सत्ता पर कब्जा किया वो तो अंग्रेजों से भी बड़े धूर्त और गद्दार थे।

प्रखर श्रीवास्तव ने इ्न्दौर में पत्रकारिता की शुरुआत करके दिल्ली में ज़ी न्यूज़, आजतक, एनडीटीवी, इंडिया टीवी, न्यूज़ 24 जैसे चैनलों में पत्रकारिता करने के बाद ये महसूस किया कि पत्रकारिता जिस मकसद से की जानी चाहिए वो तो चैनलों में रहकर की ही नहीं जा सकती। प्रखर श्रीवास्तव ने यूट्यूब पर कैपिटल टीवी के माध्यम से एक नई पत्रकारिता की शुरुआत की और लगभग हर सप्ताह वो इस चैनल के माध्यम से ऐसे सनसनीखेज और तथ्यात्मक खुलासे कर रहे हैं, जो देश के लोगों को उस झूठ से परिचित करा रहे हैं हैं जो स्कूली शिक्षा, फिल्मों और सरकारी भोंपुओँ के माध्यम से लोगों बताया गया। प्रखर श्रीवास्तव के इस टूय्टूब चैनल को लाखों लोग नियमित रूप से देख रहे हैं और इस बात के लिए धन्यवाद दे रहे हैं कि जो सच हम कभी जान ही नहीं सकते थे वो आज हमारे सामने आ रहा है।

आप भी प्रखर श्रीवास्तव से ट्वीटर पर @Prakharshri78 और फेसबुक पर https://www.facebook.com/prakhar.shrivastava.77 पर जुड़ सकते हैं

भारत छोड़ो आंदोलन सुपर फ्लॉप था…
आज़ादी के नाम पर आपको झूठी कहानी सुनाई गई है !!! असली कहानी तो ये है कि भारत छोड़ो आंदोलन सुपर फ्लॉप था… फिर कैसे मिली आज़ादी? अंग्रेज़ों के भारत छोड़ने की क्या थी असली वजह? हमें बचपन से ये बताया गया है कि गांधी ने 1942 में ऐलान किया “अंग्रेज़ों भारत छोड़ो” और अंग्रेज भारत छोड़ कर चले गये… दरअसल ये वामपंथी और कांग्रेसी इतिहासकारों का प्रपंच है जिसे बेनकाब करने की ज़रूरत… देखिए ये नया वीडियो
https://www.youtube.com/watch?v=0v2sII4t3No

औवेसी खानदान का काला इतिहास
https://www.youtube.com/watch?v=XjL_Hjefpec&t=21s

भारतीय मुसलमानों का दिल “टर्की-टर्की” क्यों करता है?
क्योंकि साऊदी ने ठुकराया अब टर्की है सहारा ! श्रीराम को नहीं मानेंगे लेकिन टर्की के एर्तगुरुल गाजी को दिल में बसाएंगे ! अयोध्या में भूमिपूजन का गम मनाएंगे लेकिन टर्की में हागिया सोफिया के मस्जिद पर जश्न मनाएंगे ! क्या आमिर खान जैसे लोग टर्की को फिर से दुनिया का खलीफा बनाना चाहते हैं ? या फिर हो रही है एक खिलाफत आंदोलन की तैयारी ? देखिए खरी बात प्रखर के साथ –
https://www.youtube.com/watch?v=keONd3WzAe8&t=1s

जब नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू ने अँग्रेजों से माफी माँगी
क्या नेहरू ने अंग्रेज़ों से माफी मांगी थी? क्या जवाहलाल को जेल से छुड़ाने के लिए मोतीलाल नेहरू ने अंग्रेज़ सरकार से गुहार लगाई थी? नेहरू को आजाद कराने के लिए अंग्रेज़ों की हर शर्त क्यों मान रहे थे मोतीलाल नेहरू? नाभा में जब नेहरू को दो साल की सज़ा हुई थी तो उन्हे सिर्फ 3 घंटे में ही क्यों छोड़ दिया गया? क्या नेहरू ने रिहा होने के लिए कोई बॉन्ड भरा था? ये 1923 का वो राज़ है जिसका आज पर्दाफाश होगा। आज आपको पता चलेगा कि नाभा जेल की कच्ची मिट्टी की कोठरी और चूहों की वजह से नेहरू इतने परेशान हो गये कि उनके पिता को खुद नाभा में डेरा डालना पड़ा और वायसराय को कई तार भेजने पड़े। इतना ही नहीं मोतीलाल नेहरू ने वायसराय और स्थानीय प्रशासन को ये तक भरोसा दिया कि वो नाभा में किसी आंदोलन में हिस्सा नहीं लेंगे और उनका इकलौता मकसद अपने बेटे जवाहरलाल से जेल में मिलना है। नेहरू ने खुद अपनी आटोबॉयोग्राफी में ये माना है कि वो जेल जाने के डर से अगली बार नाभा नहीं गये थे। यकीन मानिए इस सच को जानने के बाद अब नेहरू का कोई चेला सावरकर पर सवाल नहीं उठा पाएगा। तो देखिए खरी बात प्रखर के साथ…
नोट – ये वीडियो … नेहरु की आत्मकथा (An Autobiography), पद्मभूषण और नेहरू परिवार के बेहद करीबी बी.आर. नंदा की किताब (The Nehrus), नेहरू के साथ नाभा जेल में बंद के. संतानम के संस्मरण (Handcuffed with Jawaharlal) के आधार पर तैयार किया गया है।

https://youtu.be/eBRDY3kapOw

वामपंथियों के मुगलगान का झूठ
कांग्रेसी के कट्टरपंथी मुस्लिम नेता सलमान निज़ामी ने आज कहा है कि मुगलों के समय भारत की जीडीपी 25% थी, जबकि बीजेपी के समय जीडीपी माइनस 23.9% है। दरअसल जेहादी मानसिकता के लोग जीडीपी के नाम पर इस्लामिक शासन का गुणगान करना चाहते हैं। हमेशा से ही कट्टरपंथी मुसलमान और वामपंथी इतिहासकार ये साबित करने की कोशिश करते हैं कि मुगलों का दौर भारत का स्वर्णिम काल था। लेकिन हकीकत में मुगलों ने न केवल भारत को लूटा बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को तहस नहस कर दिया। बाबर से लेकर अकबर और औरंगज़ेब तक भारत की दौलत को लूट कर उसे अरब देशों, तुर्केमेनिस्तान, अफगानिस्तान और यहां तक कि मक्का-मदीना तक में भेजते थे। वहीं ताजमहल बनवाने वाले शहाजहां के शासन में 75 लाख लोग अकाल से मर गये लेकिन मुगल बादशाहत को कोई फर्क नहीं पड़ा। देखिए मुगलिया जीडीपी का पूरा सच जो अकबर-औरंगज़ेब के चेलों को बेनकाब कर देगा… देखिए वीडियो – https://www.youtube.com/watch?v=DYECRS9wWFM

RSS से क्यों डरता है पाकिस्तान?
जिन्ना से लेकर इमरान तक… संघ के नाम पर क्यों खौफ में आ जाते हैं पाकिस्तानी नेता? क्या है आरएसएस का वो गौरवशाली इतिहास जो आज भी पाकिस्तान की नींद उड़ा देता है… देखिए खरी बात प्रखर के साथ –
https://www.youtube.com/watch?v=gVO3Vp1FqLs&t=11s

जिन्ना प्रेमी मुसिलमान पाकिस्तान क्यों नहीं गए
https://www.youtube.com/watch?v=JkVKyHhNzsU

गांधी के नाम पर ब्राह्मणों का नरसंहार !
1948 के ब्राह्मण विरोधी दंगों की पूरी कहानी ! जब गांधी के चेले खून से खेले !
आज 2 अक्टूबर को सारे कांग्रेसी, लिबरल, वामपंथी और जेहादी “गांधीवाद” के नाम पर छाती पीट रहे हैं। लेकिन कोई गांधीवाद के उस जघन्य पाप की बात नहीं कर रहा है जिसके खूनी दाग इतिहास के पन्नों से मिटा दिये गये हैं। 30 जनवरी 1948 को गोडसे ने गांधी को मारा था ये तो सबको पता है लेकिन ये छुपा लिया गया कि गांधी हत्या के महज 5 घंटे बाद ही महाराष्ट्र में ब्राह्मणों का नरसंहार शुरु हो गया था। एक गोडसे का बदला सैकड़ों निर्दोष ब्राह्मणों के खून से लिया गया… और ये सब किया था कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने गांधी के नाम पर। दरअसल इस देश के इतिहासकारों ने हमेशा से ब्राह्मणों को खलनायक बना कर पेश किया है, इसलिए ये कभी नहीं बताते कि इस देश में कभी ब्राह्मणों का भी नरसंहार हुआ था। मेरठ, भागलपुर और गुजरात दंगों की बात करने वाले 1948 के ब्राह्मण विरोधी दंगों पर चुप हो जाते हैं। आज गांधी जयंती पर देश को ये पता चलना चाहिए कि कैसे 1984 की सिख विरोधी दंगों की तरह 1948 में ब्राह्मणों का कत्लेआम किया गया था।

देखिए खरी बात, प्रखर के साथ। https://www.youtube.com/watch?v=koym10BER_0

‘देशद्रोही’ अब्दुल्ला खानदान – पार्ट 1
आये दिन भारत के खिलाफ बयान देने वाले फारुख अब्दुल्ला की देश विरोधी मानसिकता की वजह है उनका डीएनए। जी हां फारुख अब्दुल्ला को देशविरोधी सोच विरासत में मिली है। उनके पिता शेख अब्दुल्ला ने हमेशा हिंदू विरोधी और देश विरोधी राजनीति की। बहुत कम लोग जानते हैं कि शेख अब्दुल्ला के इशारे पर 1931 में सबसे पहले कश्मीरी पंडितों के कत्लेआम हुआ था। शेख अब्दुल्ला का क्या है गद्दारी का इतिहास देखिए ये वीडियो
https://youtu.be/eJIanWPp6VQ

देशद्रोही’ अब्दुल्ला खानदान पार्ट – 2
क्या आप जानते हैं पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में शेख अब्दुल्ला 11 साल तक जेल में बंद रहे। और जब शेख अब्दुल्ला गद्दारी के आरोप में जेल में बंद थे तो प्रधानमंत्री नेहरू उनके बेटे फारुख अब्दुल्ला की पढ़ाई का खर्चा उठाते थे। क्या आप जानते हैं कि शेख ने कभी सोवियत संघ तो कभी अमेरिका के साथ मिलकर कश्मीर को एक अलग मुल्क बनाने की साज़िश रची थी। क्या आप जानते हैं कि हज यात्रा के नाम पर शेख अब्दुल्ला ने मुस्लिम देशों में जाकर भारत के खिलाफ मुहिम चलाई थी। क्या आप जानते हैं कि शेख अब्दुल्ला कश्मीर ही नहीं बल्कि जम्मू से भी हिंदुओं का सफाया करना चाहते थे। शायद आपको ये भी नहीं पता होगा कि खुद नेहरु ने कश्मीरी पंडितों को कहा था कि अगर उन्हे कश्मीर में रहना है तो वो नेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हो जाएं, नहीं तो कश्मीर छोड़ दें। देखिए तथ्यों, तर्कों और सबूतों के साथ… खरी बात।
https://youtu.be/bwW2jtD35j8

ज़िंदा है जिन्ना ! क्या है बिहार का जिन्ना कनेक्शन? कांग्रेस ने बिहार उस मशकूर अहमद उस्मानी को टिकट दिया है जिसे जिन्ना का समर्थक कहा जाता है। दरअसल बिहार का जिन्ना से पुराना रिश्ता है। आज़ादी के पहले भी जिन्ना और मुस्लिम लीग को बिहार के मुसलमानों का जबरदस्त समर्थन मिला था। 1945-46 के बिहार प्रांतीय असेंबली के चुनाव में बिहार के करीब 88% मुसलमानों ने जिन्ना की मुस्लिम लीग को वोट दिया था। यही वजह थी कि बिहार की 40 मुस्लिम रिज़र्व सीटों में से 34 जिन्ना की मुस्लिम लीग चुनाव जीती थी।

बिहार के जिन्ना कनेक्शन का पूरा सच जानने के लिए देखिए ये पूरा वीडियो – https://www.youtube.com/watch?v=o4i5edkmUbg

नेहरू ये न करते तो… भारत चीन को हरा देता !
आज ही के दिन 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध शुरु हुआ था। इस युद्ध में भारत चीन को हरा सकता था अगर नेहरू अमेरिका के राष्ट्रपति कैनेडी की सलाह को ध्यान से सुनते। लेकिन नेहरू की दिलचस्पी कैनेडी से ज्यादा उनकी बेहद खूबसूरत पत्नी जैकलीन कैनेडी में थी, ये बात खुद कैनेडी ने कही थी। यहां तक कि कैनेडी ने नेहरू को परमाणु बम बनाने में मदद की पेशकश की लेकिन नेहरू ने उसे भी ठुकरा दिया। ऐसे कई खुलासों के लिए देखिए ये नया वीडियो –
https://www.youtube.com/watch?v=8RdIrYwyOOM

नेहरू का “राम मंदिर विरोधी” अभियान
अयोध्या में श्री राम का भव्य मंदिर बनता देख सेक्युलर, लिबरल और जेहादी गैंग बुरी तरह से परेशान है… रामलला को लेकर अगर सबसे पहले किसी को दर्द उठा था तो वे थे सेक्युलर और लिबरल गैंग के “पितामह” माने जाने वाले जवाहरलाल नेहरू… एक *प्रधानमंत्री मोदी* हैं जो अयोध्या के भूमि पूजन समारोह में जा रहे हैं और एक *प्रधानमंत्री नेहरू* थे जिन्होने ये फरमान दिया था कि राम की जन्मभूमि से रामलला की मूर्तियां हटा दो… जी हां, *राम की जन्मभूमि से रामलला को ही बेदखल करना चाहते थे नेहरू*… नेहरू का बस चलता तो आज राम जन्मभूमि से रामधुन नहीं बल्कि 5 वक्त की नमाज़ गूंज रही होती… देखिए *नेहरू की ये “रामविरोधी”* करतूत इस नये वीडियो में –
https://www.youtube.com/watch?v=qiHYN-L8Msw

कांग्रेस के नेता ये दावा कर रहे हैं कि राजीव गांधी ने ही राम जन्मभूमि का ताला खुलवाया था…
ऐसे में ये जानना ज़रूरी हो जाता है कि इस दावे के पीछे असली कहानी क्या है… आपको ये पता होना चाहिए कि क्या राजीव गांधी ने रामभक्त होने की वजह से ताले खुलवाये थे? या फिर मुसलमानों को एक बड़ा तोहफा देने के लिए एक राजनैतिक चाल चली थी? इस वीडियो में देखिए राममंदिर की आड़ में कैसे राजीव गांधी ने देश के मुसलमानों के साथ एक गुप्त समझौता यानि सीक्रेट डील की थी… और साथ ये राज़ भी खुलेगा कि कैसे मुसलमानों ने अपना काम निकल जाने के बाद इस डील को तोड़ दिया… देखिये इस वीडियो में

https://youtu.be/ADngHLXtszk

हाथरस: मुसलमानों के ‘दलित-प्रेम’ का पर्दाफाश I डॉ. अंबेडकर ने क्यों कहा था कि – “दलितों को ललचाई नज़रों से देखते हैं मुसलमान” !!!
जहां कहीं भी दलित अत्याचार की ख़बर आती है कुछ कट्टरपंथी जेहादी मुसलमान वहां घड़ियाली आंसू बहाने के लिए पहुंच जाते हैं। यूपी पुलिस के मुताबिक मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन PFI भी हाथरस कांड के नाम पर यूपी में जातीय हिंसा फैलाने की साज़िश रच रहा था। दरअसल कई दशकों से कुछ कट्टरपंथी हिंदू धर्म को नुकसान पहुंचाने के लिए दलितों के दिल में ज़हर भरते रहते हैं। दरअसल इन कट्टरपंथियों के इरादों को डॉ अंबेडकर बहुत पहले भांप गये थे। डॉ. अंबेडकर ने कैसे मुस्लिम समाज में मौजूद छुआछूत, भेदभाव, ऊंचनीच के लिए दलितों को आगाह किया था… कैसे डॉ. अंबेडकर ने भारतीय मुसलमानों के अंदर मौजूद जातिव्यवस्था की धज्जियां उड़ाईं थीं… कैसे बाबा साहेब ने खुद मुसलमानों के हाथों छुआछूत का सामना किया था…
जानने के लिए देखिए – खरी बात प्रखर के साथ
https://youtu.be/J8ixGmKtDJQ

एक महान संत, जो बने थे इस्लामिक आतंकवाद का पहला शिकार (खिलाफत आंदोलन : 100 साल से छुपा सच – पार्ट 3)
अब्दुल रशीद है आधुनिक भारत का पहला आतंकवादी। महात्मा गांधी से भी पहले एक और महात्मा (स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती) की निर्मम हत्या हुई थी और इस राक्षसी कांड को अंजाम दिया था अब्दुल रशीद ने। जानिए क्यों भारत के पहले आतंकवादी अब्दुल रशीद ने स्वामी श्रद्धानन्द की हत्या की थी?

देखिये ये वीडियो – https://youtu.be/hyJNUF0HpCA

वो दरिंदा जो महात्मा गाँधी के साथ रहकर हिंदुओँ का कत्ल करवाता रहा
https://www.youtube.com/watch?v=UvD2goKqtpI

सैफ अली खान के खानदान का दोगलापन
सैफ अली के परनाना, जिन्ना के जिगरी दोस्त और भोपाल के नवाब हमीदुल्ला खान 1957 में पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के लिए भोपाल से कराची पहुंच गये थे… लेकिन दाल नहीं गली तो वापस आ गये… ऐसे लोगों की वजह से ही बंटवारे के बाद भारत में रह गये लोगों की वफादारी पर शक होता है… ऊपर से सैफ अली जैसे लोग इंटरव्यू में कहते हैं कि अंग्रेज़ों के पहले भारत जैसा देश था ही नहीं… देखिये ये नया वीडियो

https://www.youtube.com/watch?v=P3aENzD0pZo&t=7s