1

इस अंग्रेजी ने हमें दो कौड़ी का आदमी बना दिया

हम तो मूर्ख हैं जो इस अँग्रेज़ी के चक्कर में फँस गये। असल नहीं है, अकल उन्ही की मारी गयी है जो अँग्रेज़ी सीख गये हैं।

हम जीवन को जीने वाली शिक्षा अपने विद्यार्थियों को दे. ऐसी शिक्षा व्यवस्था हम बनाएँ जिसमें उपाधि का महत्व ना हो ज्ञान का महत्व हो; परीक्षा का महत्व ना हो सीखने का महत्व हो; पढाने का महत्व न हो सिखाने का महत्व हो; अध्यापक भी सीखें और विद्यार्थी भी सीखें; दोनो सीखने की पक्रिया में आगे बढ़े. ऐसी शिक्षा व्यवस्था हम बनाना चाहते हैं. हमारी शिक्षा व्यवस्था मात्रृ भाषा पर आधारित होगी अँग्रेज़ी पर नहीं . अंग्रेज आए थे तो अँग्रेज़ी आई थी, अंग्रेज गये थे तो अँग्रेज़ी भी चली जानी चाहिए थी. क्यों रख ली हमने? हम अपने बच्चों को अँग्रेज़ी में पढाते है और मार- मार के पढाते है सिखाते है. भारत का बच्चा गणित में पास हो जाता है, भौतक मैं पास हो जाते है, रसायन में पास हो जाते हैं लेकिन अँग्रेज़ी में फैल हो जाता है, होना ही चाहिए उनको फैल क्योंकि अँग्रेज़ी विदेशी भाषा है. आप मुझे एक अंग्रेज दिखाइए जो हिन्दी में पास हो जाय तो में अँग्रेज़ी मैं पास हो सकता हूँ. जब कोई अंग्रेज हिन्दी में पास नही हो सकता है तो हम अपने बच्चों से अपेक्षा क्यों करते हैं कि वो अँग्रेज़ी में पास हो जाएँ।

अँग्रेज़ी भाषा ही नहीं है पास होने लायक, ये तो एक दम रद्दी है, इस भाषा का जब मैने इतिहास पढ़ा तो पता चला की पाँचवी शताब्दी में तो ये भाषा आई इसका मतलब है कि मुश्किल से 1500 साल पुरानी है. हमारी भाषा तो करोड़ों वर्ष पुरानी है संस्कृत, हिन्दी, मराठी, कन्नड़, मलयालम। अंग्रेजी दुनिया की सबसे रद्दी भाषा है, इसकी कोई अपनी व्याकरण नहीं है जो सूद्ढ़ हो और अपनी हो।*

आपको एक उदाहरण देता हूँ. अँग्रेज़ी में एक शब्द है “PUT” इसका उच्चारण होता है पुट दूसरा शब्द है “BUT” इसका उच्चारण है बट इसी तरह “CUT ” को कट बोला जाता है जबकि तीनों शब्द एक समान हैं. इसकी बजह है भाषा के व्याकरण का ना होना. इसी तरह कभी “CH” का उच्चारण “का” होता है तो कभी “च” कोई नियम नहीं है. इस भाषा की कितनी बड़ी कमज़ोरी है।*

अँग्रेज़ी में एक शब्द होता है “SUN” जिसका मतलब होता है सूरज. मै सारे काले अँग्रेज़ों को चुनौती देता हूँ कि सूरज का दूसरा शब्द अँग्रेज़ी में से ढूँढ कर दिखाए यानी की “SUN” का पर्यायवाची; पूरी अँग्रेज़ी में दूसरा शब्द नही है जो सूरज को बता सके. अब हम संस्कृत की बात करें “सूर्य” एक शब्द है इसके अलावा दिनकर , दिवाकर, भास्कर 84 शब्द हैं संकृत में।

अंग्रेजी का एक शब्द हैं “MOON” इसके अलावा कोई शब्द नहीं है; संस्कृत में 56 शब्द है चाँद के लिये . इसी तरह पानी के लिए भी जहाँ अँग्रेज़ी में एक शब्द है “WATER” चाहे वो नदी का हो, नाले का या कुए का. संस्कृत में हर पानी के लिए अलग- अलग शब्द है, सागर के पानी से लेकर कीचड़ के पानी तक सभी के लिए अलग- अलग शब्द है।

अंग्रेजी कितनी ग़रीब भाषा है, शब्द ही नही है. चाचा भी “अंकल” मौसा भी “अंकल” फूफा भी “अंकल” और फूफा का फूफा भी “अंकल” और मौसा का मौसा भी अंकल” कोई शब्द ही नहीँ है अंकल के अलावा इसी तरह चाची, मामी, मौसी सभी के लिए “आंटी” कोई शब्द ही नहीँ है इसके अलावा।

हम तो मूर्ख हैं जो इस अँग्रेज़ी के चक्कर में फस गये। असल नहीं है, अकल उन्ही की मारी गयी है जो अँग्रेज़ी सीख गये हैं. जिन्होने नहीं सीखी वो सबसे होशियार है.

मैं लोगों के घरो में जाता हूँ. मेरा एक प्रण हैं कि में होटल में रुकूंगा नहीं, होटल का खाना जाएगा नही, घर में ही खाना खाऊंगा। इसलिए लोगों को मुझे किसी भी तरह घर में रुकाना पड़ता है और घर में ही खाना खिलाना पड़ता है. कभी- कभी में अँग्रेज़ी पढ़ें लिखे घरों में भी जाता हूँ. वे अँग्रेज़ी की बजह से मुझे कैसे मूर्ख दिखाई देते हैं उसका उदाहरण देता हूँ. वो ना तो अंग्रेज हैं और ना हिन्दुस्तानी वो खिचड़ी हैं. वो खिचड़ी कैसी हैं; एक परिवार में गया, बाप का नाम रामदयाल, माँ का नाम गायत्री देवी, बेटे का नाम “टिन्कू”। रामदयाल और गायत्री देवी का ये टिन्कू कहा से आ गया. जब में उन से पूछता हूँ कि आपको टिनंकू का मतलब पता है तो उनको नहीं पता होता है।

ऐसे मूर्ख लोग है अर्थ मालूम नही नाम रख लिया टिंकू. फिर में उनको अँग्रेज़ी शब्द कोष दिखता हूँ, अँग्रेज़ी की सबसे पुराना शब्द कोष है वेबस्टेर; जिसमें टिन्कू का अर्थ है “आवारा लड़का”. जो लड़का माँ बाप की ना सुने वो टिंकू और हम पढ़े लिखे मूर्ख लोग क्या कर रहें है, अच्छे ख़ासे आज्ञाकारी पुत्र को दिन भर आवारा बुलाते रहते हैं। इस अग्रेज़ी के चक्कर में. अंगेजी पढ़े लिखे घरों में डिंपल, बबली, डब्ली, पपपी, बबलू, डब्लू जैसे बेतुके और अर्थहीन नाम ही मिलते हैं. भारत में नामों की कमी हो गई है क्या? कभी कभी में इससे भी बड़ी मूर्खताएँ मैं देखता हूँ . कभी किसी अधकचरे हिन्दुस्तानी के घर में जाऊं तो रोब झाड़ने के लिए अँग्रेज़ी बोलते हैं चाहे ग़लत ही क्यों ना बोले. वह चाहे तो हिन्दी में भी बोल सकता है लेकिन रोब झाड़ने के लिए अँग्रेज़ी मैं ही बोलेगा। वो बोलेगा “ओ राजीव दीक्षित she is my misses ” तो मैं पूछता हूँ ” really” ! she is your misses ?”. क्यों की उसको “मिसेज़” का अर्थ नहीं मालूम।

मिसेज” का अर्थ क्या है?

*किसी भी सभ्यता में जो शब्द निकलते उनका अपना सामाजिक इतिहास और अर्थ होता है. इंगलेंड की सभ्यता का सबसे ख़राब पहलू ये है जो आपको कभी पसंद नहीं आएगी कि वहाँ एक पुरुष और एक स्त्री जीवन भर साथ कभी नहीं रहते; बदलते रहते है कपड़ों की तरह. मेरे कई दोस्त हैं इंग्लेंड और यूरोप में है उनकी 40 -40 शादियाँ हो चुकी और और 41 वी करने के तैयारी है. एक पुरुष कई स्त्रियों से संबंध रखता है एक स्त्री कई पुरुषों से संबंध रखती है. तो पत्नी को छोड़ कर पुरुष जितनी स्त्रियों से संबंध रखता है वो सब “मिसेज़” कहलाती है. इसका मतलब हुआ कोई भी महिला जिसके साथ आप रात को सोएं. अब यहाँ धर्म पत्नी को मिसेज़ बनाने में लगे हैं; मूर्खों के मूर्ख।

मिस्टर” का मतलब उल्टा, पति को छोड़ कर पुरुष जिसके साथ आप रात बिताएँ। छोड़िए इन अँग्रेज़ी शब्दों को इनमें कोई दम नही है. एक तो सबसे खराब अँग्रेज़ी का शब्द है “मेडम” पता नहीं है लोग बोलते कैसे है. आप जानते है यूरोप में मेडम कौन होती है. ऐसी सभ्यता जहाँ परस्त्री गमन होगा वहां वेश्यावृति भी होगी. परस्त्री गमन पर पुरुष गमन चरम पर होगा . तो वैश्याएँ जो अपने कोठों को चल़ाती हैं अपनी वेश्यावृती के धंधे को चलाने के लिए. ऐसी वैश्या प्रमुख को वहां मैडम कहा जात है. हमारे यहाँ ऐसे मूर्ख लोग हैं जो अपनी बहिनों को मैडम कहते है, अपनी पत्नियों को मैडम कहते है. और पत्नियों को भी शर्म नहीं आती मैडम कलवाने में वो भी कहती हैं मैडम कहो मुझको. पहले जान तो लो इसका मतलब फिर कहलाओ।

अपने भारत में कितने सुंदर सुंदर शब्द हैं जैसे “श्रीमती ” श्री यानी लक्ष्मी मति यानी बिद्धि जिसमें लक्ष्मी और सरस्वती एक साथ निवास करें वो श्रीमती उसको हमने मिसेज़ बना दिया. इस देश का अँग्रेज़ी पढ़े लिखे; इन्होने बड़ा सत्यानाश किया. पहले तो अँग्रेज़ी भाषा ने किया फिर इन्होने और ज़्यादा किया. मेरा आपसे हाथ जोड़ के निवेदन है इस अँग्रेज़ी भाषा के चक्कर में मत पड़िये कुछ रखा नहीं है इसमें

स्व. राजीव दीक्षित के प्रखर प्रवचनों की लिंक

http://thaluaclub.in/15720/swach-bharat-saktishali-bharat

प्रेषक

अमन गर्ग, ज़ी टीवी मुंबई