
राम से जुड़कर नीदरलैंड में हिंदी का प्रवाह ।
विश्वास भाव आस्था का जनक है और आस्थाएं सुजन की जननी हैं । नीदरलैंड के अमस्टर्डम शहर के हाईवे के बगलगीर अपगाउडो स्थान पर पिछले 5 वर्ष से राम नाम धुन की गूंज हो रही है जिसका निनाद चारों दिशाओं में है । इस देश में आर्यसमाजियों और सनातन धर्मियों के कई धर्मस्थल हैं ,जहां हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति की अपनी तरह से साधना होती है। सूर्यास्त बेला से ही श्रीराम धाम मंदिर में भक्त गण श्री राम का सरस संगीतमय जीवन चरित्र सुनने के लिए एकत्रित हो जाते हैं जहां राम संस्कृति के अदभुत दर्शन होते हैं । नीदरलैंड के अन्य मंदिरों की तरह यहां 3 से 5 घंटे तक दर्शन भजन कीर्तन व प्रवचन का समा बना रहता है जिसके कारण शब्दों का अर्थ ठीक से न जानने के बावजूद अर्थ के भेद सहसा खुल जाते हैं । जिसके प्रकाश में उनका चेहरा खिलखिला उठता है । इनमें प्रवासी भारतीयों और सूरीनामी हिन्दुस्तानियों (भारतवंशियों) के साथ साथ डच और नीग्रो भक्त भी शामिल होते हैं ।
यहां भक्तगण प. रामकृष्ण के सहयोग से डच भाषा में अर्थ किए हुए रामचरितमानस की रोमन लिपि की पंक्तियों को व्यास और रामचरितमानस के सरस गायक श्री सुरेंद्र शंकर उपाध्याय जी से भाव विभोर होकर सुनते हैं और उनके साथ भाव-विभोर हो जाते हैं। विश्व हिंदू परिषद से संबद्ध होकर हिंदी परिषद से जुड़कर श्री सनातन धर्म सभा, नीदरलैंड के तत्वावधान में वर्षभर आयोजनों की गतिविधियां सक्रिय रहती हैं । इनमें सूरीनामी भारतवंशी महिला सविता जगलाल सचिव के रुप में दायित्वों का सक्रियता से निर्वाह करती हैं तो साथ ही हान्स और प्रेम सान्द्रा पांडेय व्यवस्थाओं और जनसंपर्क का कार्य संभालते हैं।
वासंतीय नवरात्रों में यहां भक्तों का तांता लगा रहा मंजीरा बजाते हुए रामलीला का बखान करने में निमग्न पंडित सुरेंद्र शंकर हर्षित मुद्राएं देखने व उनको सुनने के लिए यहां भारी भीड़ उमड़ी रही । भक्त राम – भक्ति का आनंद उनके चेहरे से अपने भीतर भी अनुभव करते रहे । नवरात्रों में आचार्य जी ने हिंदी साहित्यकार नरेंद्र कोहली जी का सादर स्मरण करते हुए उनकी कृतियों – ‘तोड़ो कारा तोड़ो’ (विवेकानंद) और ‘अभ्युदय’ कृतियों की विशेष रुप से चर्चा करती हुई विशेष रूप से उन का बखान किया। प्रो. पुष्पिता ने राम स्त्रोत का पाठ करते हुए उसकी विश्लेषणात्मक व्याख्या की और ‘बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिन सुलभ न सोई। ‘ का महत्व प्रतिपादित किया।
इस प्रकार बासंतीय नवरात्रों में नीदरलैंड में हिंदुत्व और भक्ति के साथ जुडकर हिंदी का अविरल प्रवाह देखने में आया ।
लेकिन यह प्रश्न भी नीदरलैंड के भक्तों के मन में कुलबुलाता रहा कि नीदरलैंड में तो राम मन्दिर बन गया और यहाँ के भक्त राममय हो गए। लेकिन रामजन्म भूमि पर राम मन्दिर कब बनेगा ? नीदरलैंड में तो हिंदी की धारा बह रही है, भारत में हिंदी की अविरल धारा का मार्ग कब और कैसे प्रशस्त होगा?
प्रेषक
वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
vaishwikhindisammelan@gmail.com
वैश्विक हिंदी सम्मेलन की वैबसाइट –www.vhindi.in