Friday, April 19, 2024
spot_img
Homeपुस्तक चर्चाहैदराबाद का वो इतिहास जिससे आप आजतक अंजान हैं

हैदराबाद का वो इतिहास जिससे आप आजतक अंजान हैं

हैदराबाद के बारे में 75 साल से अनजान हैं।

आज जिस भारत में हम सांस ले रहे हैं वह सरदार पटेल के कारण हैं. एक कश्मीर ही हमारे लिए मुसीबत बना हुआ है. यदि इस तरह के कुछ और कश्मीर (हैदराबाद/ जूनागढ़) होते तो हमारी हालत क्या होती?

दक्षिण भारत की रियासत “हैदराबाद” पर निजाम उस्मान अली खान राज करता था । उस समय नवाब महमूद नवाज खान किलेदार ने 1927 में “मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन” (MIM) नाम के संगठन का गठन किया यह । इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में हैदराबाद के राजनेता सैयद कासिम रिजवी भी शामिल थे जो रजाकार नाम के हथियारबंद हिंसक संगठन के सरगना भी थे। एमआईएम को खड़ा करने में इन रजाकारों की अहम भूमिका थी। जब 1947 में देश आजाद हुआ तो हैदराबाद रियासत के भारत में विलय का कासिम रिजवी और उसके पैरामिल्ट्री संगठन यानी रजाकारों ने जमकर विरोध भी किया था। ये लोग हैदराबाद को पाकिस्तान में शामिल करना चाहते थे

रजाकार हथियार लेकर गलियों में झुण्ड के झुण्ड बनाकर जिहादी नारे लगते हुए गश्त करते थे। उनका मकसद केवल एक ही था। हिन्दू प्रजा पर दहशत के रूप में टूट पड़ना। इन रजाकारों का नेतृत्व MIM का कासिम रिज़वी ही करता था। इन रजाकारों ने अनेक हिन्दुओं को बड़ी निर्दयता से हत्या की थी। हज़ारों अबलाओं का बलात्कार किया था, हजारों हिन्दू बच्चों को पकड़ कर सुन्नत कर दिया था । यहाँ तक की इन लोगों ने जनसँख्या का संतुलन बिगाड़ने के लिए बाहर से लाकर मुसलमानों को बसाया था। आर्यसमाज के हैदराबाद के प्रसिद्द नेता भाई श्यामलाल वकील की रजाकारों ने अमानवीय अत्याचार कर जहर द्वारा हत्या कर दी।

रजाकारों के गिरोह न केवल रियासत के हिन्दुओं पर अत्याचार ढा रहे थे, बल्कि पड़ोस के राज्यों में भी उत्पात मचा रहे थे। पड़ोसी राज्य मद्रास के कम्युनिस्ट भी इन हत्यारों के साथ हो गये। कासिम रिजवी और उसके साथी उत्तेजक भाषणों से मुसलमानों को हिन्दू समाज पर हमले के लिये उकसा रहे थे। हैदराबाद रेडियो से हर रोज घोषणाएं होती थीं।

इधर निजाम ने कानून बना दिया था कि भारत का रुपया रियासत में नहीं चलेगा। यही नहीं, उसने पाकिस्तान को बीस करोड़ रुपये की मदद भी दे दी और कराची में रियासत का एक जन सम्पर्क अधिकारी बिना भारत सरकार की अनुमति के नियुक्त कर दिया।

निज़ाम के राज्य में 95 प्रतिशत सरकारी नौकरियों पर मुसलमानों का कब्ज़ा था और केवल 5 प्रतिशत छोटी नौकरियों पर हिन्दुओं को अनुमति थी। निज़ाम के राज्य में हिन्दुओं को हर प्रकार से मुस्लमान बनाने के लिए प्रेरित किया जाता था। हिन्दू अपने त्योहार बिना पुलिस की अनुमति के नहीं मना सकते थे। किसी भी प्रकार का धार्मिक जुलूस निकालने की अनुमति नहीं थी क्यूंकि इससे मुसलमानों की नमाज़ में व्यवधान पड़ता था। हिन्दुओं को अखाड़े में कुश्ती तक लड़ने की अनुमति नहीं थी। जो भी हिन्दू इस्लाम स्वीकार कर लेता तो उसे नौकरी, औरतें, जायदाद सब कुछ निज़ाम साहब दिया करते थे। जो भी कोई हिन्दू अख़बार अथवा साप्ताहिक पत्र के माध्यम से निज़ाम के अत्याचारों को हैदराबाद से बाहर अवगत कराने की कोशिश करता था तो उस पर छापा डाल कर उसकी प्रेस जब्त कर ली जाती और जेल में डाल कर अमानवीय यातनाएँ दी जाती थी।

29 नवंबर 1947 को इसी निजाम से नेहरू ने एक समझौता किया था कि हैदराबाद की स्थिति वैसी ही रहेगी जैसी आजादी के पहले थी। 10 सिंतबर 1948 को सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम को एक खत लिखा जिसमें उन्होने हैदराबाद को हिंदुस्तान में शामिल होने का आखिरी मौका दिया था। लेकिन हैदराबाद के निजाम ने सरदार पटेल की अपील ठुकरा दी.आखिर सरदार पटेल क्रुद्ध हो उठे और भारतीय सेना ने 13 सितंबर 1948 को हैदराबाद रियासत पर आपरेशन पोलो के नाम से हमला कर दिया तब नेहरू देश में नहीं थे। सेना ने केवल 4 दिनों की लड़ाई में 2,00,000 बहादुर जेहादियों को दौड़ा-दौड़ा कर मारा और 1373 जेहादियों को 72 हूरों के पास भेज दिया। इससे MIM और उसके रजाकारों की कमर ही टूट गई।

कल्पना करें कि हैदराबाद आज अलग होता तो कैसा होता भारत का स्वरूप?

इसको जानने के लिए पढ़िए
*हैदराबाद मुक्तिसंग्राम का इतिहास *
मूल्य 280₹ (डाक खर्च सहित)
476 पृष्ठ सजिल्द
प्राप्ति के लिए 70155915654 पर वट्सऐप द्वारा सम्पर्क करें।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार