Friday, March 29, 2024
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एक लाचार और गरीब पिता के बच्चे की जान बचाने आगे आये युवक

राजस्थान पत्रिका ने खबर दी है कि उज्जैन के युवाओं की संस्था  युवा उज्जैन ने सोशल मीडिया वाट्सअप पर एक परिवार के चिराग को बचाने की मुहिम चलाई और संदेश पढ़कर  लोगों ने ऑपरेशन के लिए मदद देना शुरू कर दी। तीन दिन में 30 हजार रूपए जुट गए, अब इलाज के लिए 20 हजार की और दरकार है।

उज्जैन के एक गरीब परिवार के जितेंद्र मालवीय के 4 वर्षीय बेटे देव का जन्म से ही मल द्वार बंद है। डॉक्टरों ने ऑपरेशन का खर्च 50 हजार रूपए बताया। परिवार के लोक इस ऑप्रेशन का खर्च उठाने की स्थिति में नहीं हैं।  सामाजिक संस्था युवा उज्जैन ने देव की जान बचाने की अपील का मैसेज वाट्सअप पर डाला। देव के पिता लकवाग्रस्त हैं और बिस्तर पर हैं। घर में कमाने वाली सिर्फ दादी है, जो मजदूरी कर पूरे परिवार का खर्च चलाती है। मल द्वार बंद होने से बच्चे का मल पेट में बनाए गए अस्थाई छेद से निकलता है, जो दर्द भरी प्रक्रिया है और बच्चा हर दिन इस परेशानी से संघर्ष कर रहा है।

जांच उपरांत डॉक्टरों ने सलाह दी कि बच्चे के मल द्वार का ऑपरेशन करना होगा, जिसके बाद ही यह सामान्य हो सकेगा। ऑपरेशन व दवाई का पूरा खर्च 50 हजार रूपए बताया गया। परिवार की आर्थिक दशा ऎसी नहीं कि इलाज करवा सके। क्षेत्र के महेश लश्करी ने पत्रिका कार्यालय आकर देव के बारे मे बताया, जहां से उन्हें युवा उज्जैन के संपर्क मे भेजा गया। संस्था कार्यकर्ताओं ने वाट्सअप पर संदेश चलाकर बालक के लिए मदद की गुहार लगाई। तीन दिन में ही लोगों ने 30 हजार रूपए का डोनेशन दे दिया। इलाज की संपूर्ण राशि एकत्रित होते ही बच्चे का ऑपरेशन कराया जाएगा।

आओ बचाएं एक और जिंदगी

यदि आप भी गरीब परिवार के चिराग देव के ऑपरेशन में मदद करना चाहते हैं तो संस्था युवा उज्जैन के मोबाइल नंबर 94250-92112 व 94248-44441 पर संपर्क करें। आपकी थोड़ी सी मदद किसी की जान बचा सकती है।

डॉक्टर बोले ऑपरेशन के सिवाय कोई हल नहीं

देव का इलाज कर रहे डॉ. नितिन अग्रवाल का कहना है कि हजारों में किसी बच्चे को ऎसी बीमारी रहती है कि जन्म से ही मल द्वार बंद रहे। फिलहाल बच्चें का मल पेट में बनाए रास्ते से निकल रहा है, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा हो रहा है यह कठिन हो रहा है। मल द्वार की सर्जरी कर ही इस बीमारी को दूर किया जा सकता है। अब उसकी उम्र 4 वर्ष हो गई है। लिहाजा ऑपरेशन में कोई दिक्कत नहीं।

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