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ज्वलंत समस्याओं पर मीडिया मौन

महोदय
विभिन्न समाचारों के प्रसारणों में भेदभाव होने से यह निष्कर्ष निकलता है कि हम किसी मुस्लिम देश में रह रहें है ? क्योकि देश के प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हमारी संस्कृति के विरुद्ध समाचारों को बढ़ा- चढा प्रस्तुत करके हमको अपनी शैली में निरन्तर कोसता रहता है ? कभी कभी तो ऐसा प्रतीत होता है कि इस सबके पीछे भारतीय संस्कृति व धर्म को नष्ट करने के लिए इन मीडिया वालों को बड़े बड़े पैकेज दिए जा रहे हो ?
देश के विरुद्ध सीमाओँ पर हो रहे षड्यंत्र व जिहादियों के ट्रैनिंग केन्द्रो को जो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक फैले हुए है, पर कोई पत्रकार रिपोर्ट क्यों नहीं बनाता ?देश के मासूमो को विशेषतौर पर नाबालिग लड़कियों के लापता व अपहरण की लगातार आती सूचनाओं को ब्रेकिंग न्यूज़ क्यों नहीं बनाया जाता या उस पर कोई चर्चा क्यों नहीं करवाई जाती ? अपराधों व आतंक में लिप्त बंग्ला देशी घुसपैठियों व देश में बड़े पैमाने पर चल रही फेक करेंसी पर भी तो डॉक्यूमेंट्री बनाई जा सकती है ?
भारतीय संस्कृति पर आघात करके हिन्दू धर्म को भ्रष्ट करने के मार्ग ढूंढ ढूंढ कर प्रसारित करने वाले मीडियाकर्मी क्यों नहीं बहुसंख्यक हिन्दुओ के टैक्स से अल्पसंख्यको को विशेष रुप से मुसलमानो को प्रतिवर्ष बटने वाली अरबो की राशि पर कोई न्यूज़ चलाते ? क्या श्रद्धालु हिन्दुओं द्वारा मंदिरो में अर्पित सम्पति को मुसलमानो व ईसाईयों पर पिछले 20-25 वर्षो से किस प्रकार लुटाया जा रहा है, पर कभी कोई डिबेट पत्रकारों ने आयोजित करी ? इस प्रकार अनेक भेदभाव करने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न बनें रहते है पर मिडिया को उनका कोई लाभ नहीं , उसे तो बस भारत के लिए अलाभकारी व नकारात्मक प्रचार में ही आनंद आता है।
हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है तो उसका अर्थ सभी के लिए समान है किसी के साथ भेदभाव नहीं ।परंतु राष्ट्र में हो रहे अत्याचार व अन्याय को एकपक्षीय प्रस्तुत करके मीडिया समाज को बांट कर देश की एकता व अखंडता पर क्यों प्रहार करना चाह रहा है ?
सधन्यवाद
भवदीय
विनोद कुमार सर्वोदय
ग़ाज़ियाबाद