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12 लाख की नौकरी छोड़ खेती मं दिखाया दम

उत्तम खेती मध्यम व्यापार, नौकरी चाकरी भीख निदान। एक जमाना था, जब खेती को उत्तम माना जाता था। पिछले कुछ अर्से से किसानों के बेटे खेती छोड़कर नौकरी की तरफ भाग रहे हैं। किसानों का मानना है कि खेती घाटे का सौदा बन गई है।

निराशा के इस माहौल में बिजनौर के हरेवली का युवा किसान दूसरे किसानों के लिए भी मिसाल बना है। इस किसान ने 12 लाख रुपये सालाना पैकेज की नौकरी छोड़कर आधुनिक खेती की ओर रुख किया और दस बीघा जमीन में पॉलीहाउस बनाकर उसमें फूल एवं सब्जी की खेती करने के अपने प्रोजेक्ट को अमली जामा पहना दिया है।

राष्ट्रीय उद्यान बोर्ड भी इस किसान को 50 प्रतिशत सब्सिडी देकर प्रोत्साहित कर रहा है। भागूवाला मंडावली क्षेत्र के गांव हरेवली निवासी 34 वर्षीय हिमांशु त्यागी ने वर्ष 2005 में बंगलूरू के एक विश्वविद्यालय से एमबीए किया और करीब नौ साल तक प्राइवेट जॉब की।

हिमांशु ने करीब पांच माह पूर्व नौकरी के साथ आधुनिक रूप से पॉलीहाउस में फूल एवं सब्जी की खेती करने का निर्णय लिया। शुरू में सोचा था कि नौकरी के साथ खेती भी चलती रहेगी, लेकिन खेती में बढ़ती व्यस्तता को देखते हुए तीन माह पहले उसने नौकरी छोड़कर पूरा समय खेती में लगाना शुरू कर दिया।

हिमांशु एक कंपनी में मार्केटिंग हेड के पद पर थे। इनका सालाना पैकेज बारह लाख रुपये था। नौकरी छोड़ने के बाद अब वह पॉलीहाउस बनवाने में लगे हुए हैं। वह अपने गांव में दस बीघा जमीन में पॉलीहाउस बनवा रहे हैं।

इस युवा किसान ने राष्ट्रीय हॉर्टिकल्चर बोर्ड को पॉलीहाउस में फूल एवं सब्जी की खेती करने का प्रोजेक्ट भेजा था, जिसे बोर्ड ने मंजूरी दे दी है। 10 बीघा जमीन में पॉलीहाउस बनाने व उसमें फसल उगाने में करीब 90 लाख से एक करोड़ रुपये के बीच खर्च आएगा, जिसमें बोर्ड हिमांशु को 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रहा है। जनपद का यह सबसे बड़ा पॉलीहाउस होगा। बकौल हिमांशु उनके पास 250 बीघा जमीन है। अब तक वे सारी ट्रेडिश्नल फसलें उगा रहे थे। परंपरागत खेती में उतना मुनाफा नहीं रहा है। पॉलीहाउस में बेमौसमी फूल एवं सब्जी भी उगाई जा सकती हैं, जिनके दाम अच्छे मिलते हैं। प्राकृतिक आपदा का असर भी पॉलीहाउस में कम होता है।

जिला उद्यान निरीक्षक नरपाल मलिक के अनुसार किसान पॉलीहाउस की ओर रुझान कर रहे हैं। पॉलीहाउस में खेती से बड़ा मुनाफा है। हिमांशु दस बीघा जमीन में पॉलीहाउस बना रहा है, जिसे मंजूरी मिल चुकी है। इससे पहले कोतवाली देहात के राजीव सिंह भी दो बीघा जमीन में पॉलीहाउस बनाकर खेती शुरू कर चुके हैं।

जनपद में प्राकृतिक आपदा से तबाह हुई फसलों के सदमे में तीन किसान दम तोड़ चुके हैं। किसानों को गेहूं, दलहन, तिलहन की फसल में नुकसान होने से बड़ा झटका लगा है। भाकियू जिलाध्यक्ष रामअवतार सिंह ने किसानों से हिम्मत से काम लेने की अपील की है।

साभार अमर उजाला से