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जोखिम उठा कर अपराध जगत की पोल खोलने वाले के. डी.अब्बासी

“ईमानदारी से काम करे तो कोई खतरा नहीं, पुलिस से विश्वसनीयता बनाए, प्रलोभन में आने से हो सकती हैं मुश्किलें ” बीते 33 वर्षो से अपराध पत्रकारिता में काम कर रहे कोटा के पत्रकार के. डी.अब्बासी की इस क्षेत्र में आने वाले पत्रकारों को यही संदेश है। कहते हैं लेशमात्र भी संदेह नहीं कि पत्रकारिता का यह क्षेत्र सबसे जोखिम भरा है। आप निडर हैं, साहसी हैं और जोखिम उठाने का माद्दा रखते है तो ही इस क्षेत्र में आगे आए।

अपराध और खोजी पत्रकारिता के अनुभव साझा करते हुए वह बताते हैं अपराधों को उजागर करना, पीड़ितों का पक्ष रखना और तथ्यों को पुलिस और प्रशासन तक पहुंचना उद्देश्य होता है। प्रयास होता है कि समाज में अपराध रुकें और अपराध मुक्त समाज बने।इस क्षेत्र में पत्रकार को पुलिस और अपराधियों दोनों से तालमेल रखना पड़ता है। दोनों से ही घटित या घटित होने वाले अपराधों की खबर मिलती है। पत्रकार जब किसी अपराध को उजागर करता है तो पुलिस अनुसंधान कर उसी तह तक पहुंचती है। पत्रकार को उस समय संतोष भी होता है जब अपराधी को सजा मिलती है और अपनी पत्रकारिता पर गर्व भी होता है।

अपराधों के बारे में वह कहते हैं कि सामान्य रूप से देखा जाए तो हर वह व्यक्ति अपराधी है जो कानून का उलंघन करता है। वाहन चलाते समय सीट बेल्ट नहीं बांधना, कागजात नहीं रहना, नशा कर वाहन चलाना, निषिद्ध क्षेत्र में वाहन खड़े करना, दुपहिया वाहन पर हेलमेट नहीं लगाना, बिना टिकट यात्रा करना, खेलना निषिद्ध होने पर पार्कों में खेलना, जेसे अनेक प्रतिबंधों का उलंघन अपराध की श्रेणी में आने से हर व्यक्ति कभी न कभी अपराध करता है। पर ऐसे अपराध गंभीर प्रकृति के नहीं हैं और इनके करने पर प्राय: आर्थिक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। कला, साहित्य, संस्कृति के संबंध में कलाकृतियों की चोरी, तस्करी तथा साहित्य की चोरी जेसे अपराध आते हैं। नशा संबधी अपराध बड़े पैमाने पर होते हैं। इनमें नशीले पदार्थो की स्मग्लिंग और अवैध बिक्री मुख्य अपराध हैं। बाल विवाह करना, कन्या भ्रूण हत्या, दहेज का लेन – देन, प्रताड़ना, जातिगत भेदभाव, छुआछूत जेसे सामाजिक अपराधों में गिने जाते हैं। खाद्य पदार्थों में मिलावट, कालाबाजारी, कृत्रिम कमी उत्पन्न करना, घोटाले, कर चोरी करना जेसे अपराध आर्थिक अपराध श्रेणी में गिने जाते हैं। अवैध रूप से गर्भपात कराना, किसी का कोई अंदुरिनी अंग निकाल लेना, मानव अंगों का विक्रय, भ्रूण परीक्षण करना जेसे अपराध चिकित्सा अपराध की श्रेणी में आते हैं। कहने का तात्पर्य है की जीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं जहां कोई न कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं हों और लोग उनका उल्लंघन न करते हों।

अब्बासी बताते हैं अपराधों ने वर्तमान में अपना रूप बदला है। कभी लूट,चोरी, हत्या, सेंध मारना मुख्य अपराध होते थे। आतंकवाद से कई प्रकार के अपराध पैदा हुए हैं। आज अपहरण, फिरौती, बलात्कार, गैंग बलात्कार, दहेज को लेकर महिलाओं पर हत्याचार, शिशुओं और बच्चों के प्रति हिंसा आदि सामाजिक अपराधों के साथ – साथ आर्थिक, धार्मिक, राजनैतिक कई प्रकार के अपराध हर रोज अखबार की सुर्खियों में दिखाई देते हैं।

उनका मानना है कि जो महत्व मीडिया में पहले राजनीति और वाणिज्य को मिलता था के मुकाबले अब अपराध समाचारों को मिलने लगा है। वह कहते हैं कि यह पत्रकारिता का बुनियादी उसूल है कि किसी भी ऐसी ऑफ द रिकार्ड ब्रीफिंग से मिली जानकारी या सूचना को बिना किसी स्वतंत्र स्रोत से पुष्टि किये नहीं चलाना चाहिए। यह सही है कि अपराध रिपोर्टिंग में पुलिस/जांच-एजेंसियां सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं लेकिन हाल के वर्षों में जिस तरह से खुद पुलिस/जांच-एजेंसियों की साख गिरी है और उन्होंने मीडिया को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, उसे देखते हुए क्राईम रिपोर्टरों को खुद अपनी तरफ से अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए लेकिन इसके उलट हो यह रहा है कि क्राईम रिपोर्टरों की पुलिस पर निर्भरता और बढ़ती जा रही है।

अपराध पत्रकारिता के संबंध में कहते है कि अपराधों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस एवं पत्रकार की संयुक्त भूमिका और तालमेल आवश्यक है। पत्रकार की भूमिका उस समय और भी अहम हो जाती है जब किसी मामले में वह पुलिस के सामने अपराधी का समर्पण करा देता है। यह दोनों में पत्रकार की विश्वनीयता से संभव होता है। उन्हें संतोष हैं की उनकी पत्रकारिता में अब तक लगभग एक सौ से ज्यादा मामलों में उनके द्वारा अपराध उजागर किए जाने से पुलिस अपराधियों तक पहुंची। उनके द्वारा उजागर किए गए करीब एक दर्जन मामलों में अपराधियों को सजा भी हुई है।

ऐसे पत्रकार को किन जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है के प्रश्न पर वह बताते हैं अपराधियों द्वारा कई प्रकार से परेशान करने और जान से मार देने की धमकियां, एक्सीडेंट करा देना, घर के किसी सदस्य का अपहरण कर लेना, बंधक बना लेना, हत्या कर देना जेसे प्रमुख जोखिम है। खास तौर पर जब अपराधी कोर्ट से या जेल से छूट जाता है तो असली अपराधी संबंधित पत्रकार से किसी भी प्रकार का बदला ले सकता है।

परिचय :
हर दिल अज़ीज़, मिलनसार, सभी के मददगार और हमेंशा हंसमुख रहने वाले क्राइम रिपोर्ट के. डी.अब्बासी का जन्म 30 जून 1961 कोटा में रेलवे में सर्विस करने वाले स्व.छुट्टन खान के घर हुआ। आपके पिता रेलवे केबिन मेन के पद पर थे। आपने स्नातक तक शिक्षा प्राप्त की है। पत्रकारिता में आपने कोटा से प्रकाशित सांध्य दैनिक विश्वमेल में वर्ष 1989 से प्रवेश किया। उन्हें न्यायालय और पुलिस थानों की बीट दी गई। तब ही से निरंतर इसकी पत्रकारिता करते हुए आज क्राइम रिपोर्टर के रूप में पहचान बनाई है। आपने कोटा से ही प्रकाशित जननायक, जन जागृति पक्ष और भारत की महिमा दैनिक समाचार पत्रों में कार्य किया। इसके पश्चात लम्बे समय तक कई वर्षो तक नोएडा से प्रकाशित राष्ट्रीय दैनिक राष्ट्रीय सहारा के कोटा ब्यूरो चीफ के रूप में कार्य करते रहे। विगत नौ वर्षों से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में पत्रकारिता में सक्रिय हैं। आप राज्य सरकार के सूचना एवम जनसंपर्क विभाग द्वारा अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार हैं।

आपने पत्रकारिता के क्षेत्र में डॉ.प्रभात कुमार सिंघल के साथ सह – लेखक के रूप में ” “मीडिया संसार” पुस्तक का संपादन भी किया। आपको आई.एफ. डब्लू. जे. की कोटा जिला इकाई द्वारा पत्रकारिता सेवाओं के लिए
सम्मानित किया गया। आप समाजसेवा के कार्यों में भी आगे रहते हैं। गरीब और मजलूम पर किसी तरह का अत्याचार हो उसके है के लिए पुरजोर आवाज़ उठाते हैं। आप क्राइम रिपोर्टिंग के साथ – साथ राजनीतिक गतिविधियों की एवम प्रशासन की रिपोर्टिंग भी करते हैं। सभी समाचार पत्रों को प्रतिदिन आपके समाचार बुलेटिन का इंतज़ार रहता है।