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बदल रही है भारत की तस्वीर, धार्मिक आयोजनों से अर्थव्यवस्था को मिल रहा है बल

हिंदू सनातन संस्कृति में धर्म एवं आध्यात्म का विशेष महत्व है। हाल ही के समय में देश में एतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण मंदिरों एवं  अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय ख्याति के धर्मस्थलों का जीर्णोद्धार एवं विकास किया जा रहा है। जिसके चलते इन शहरों में धर्मावलम्बियों की यात्रा में जबरदस्त उछाल देखने में आया है और इसके कारण पर्यटन के क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं। एक अनुमान के अनुसार, देश के पर्यटन क्षेत्र में धार्मिक यात्राओं की हिस्सेदारी 60 से 70 प्रतिशत के बीच रहती है। वर्ष दर वर्ष, भारत में धार्मिक पर्यटन बढ़ने की वजह से होटल उद्योग, यातायात उद्योग, छोटे व्यवसायियों आदि को बहुत फायदा हो रहा है एवं  वर्ष 2028 तक भारत के पर्यटन क्षेत्र में लगभग एक करोड़ रोजगार के नए अवसर निर्मित होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है।

 

नेशनल सैंपल सर्वे संगठन के अनुसार, भारत में करीब 5 लाख मंदिर और तीर्थस्थल हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था 3 लाख करोड़ रुपए से भी अधिक की है। साथ ही देश में मस्जिदों की संख्या भी करीब 7 लाख और गिरजाघरों की संख्या 35,000 के आसपास है। केंद्र की पूर्व सरकारों की गल्त नीतियों के चलते भारत के लगभग 4 लाख मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं तो वहीं एक भी चर्च या मस्जिद पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। हिंदू समाज के अलावा शेष समस्त समुदाय अपने−अपने धर्मस्थल स्वयं चलाने के लिए पूर्ण स्वतंत्र हैं। दुनिया के जितने भी विकसित देश हैं उन्होंने अपने धार्मिक स्थलों को बेहद खूबसूरत बनाकर दूसरे धर्मों में विश्वास रखने वाले व्यक्तियों को आकर्षित कर अपने यहां पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। वहीं कुछ वर्ष पूर्व तक भारत के मंदिरों को पूर्णतया नजरंदाज किया जाता रहा है। इस दृष्टि से वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा मंदिरों के  जीर्णोद्धार एवं विकास हेतु किए जा रहे प्रयासों की जितनी भी सराहना की जाय उतना कम है। निश्चित रूप से इस तरह के प्रकल्पों पर करोड़ों रुपयों का खर्च होता है परंतु विकसित होने के बाद इन केंद्रो पर पर्यटन की सम्भावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं।

 

अहमदाबाद में सरदार वल्लभभाई पटेल की विशाल मूर्ति की स्थापना, वाराणसी में भगवान  काशी विश्वनाथ कारीडोर का निर्माण,  सोमनाथ मंदिर में माता पार्वती के देवस्थान का निर्माण, माता कालिका के मंदिर का पुनरोत्थान, केदारनाथ−बद्रीनाथ का परिसंस्करण करना एवं इसके बाद अभी हाल ही में उज्जैन में श्री महाकाल लोक जैसे स्थल की स्थापना जैसे प्रयास पूरे विश्व में एक नए भारत की तस्वीर पेश करने में सफल रहे हैं। उक्त लगभग समस्त तीर्थ−स्थलों की आत्मा में महादेव शिव विराजमान हैं।  उज्जैन तो कालजयी महाकवि कालिदास, सम्राट विक्रमादित्य, बाल रूप में श्रीकृष्ण और महाकाल ज्योतिर्लिंग की पवित्र भूमि भी रही है। इसी प्रकार, अयोध्याजी में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर तेजी से नया आकार ले रहा है। इसके साथ ही, रामायण, कृष्ण, बौद्ध और तीर्थंकरों के सर्किट भी विकसित किए जा रहे हैं। साथ ही, पुणे के देहू में नये तुकाराम महाराज मंदिर, गुजरात के पावागढ़ मंदिर के ऊपर बने कालिका माता मंदिर के पुनर्निर्माण का उद्घाटन भी किया जा चुका है।

 

इक्सिगो की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में धार्मिक पर्यटन का चलन बढ़ने की वजह से वाराणसी और पुरी में होटल की बुकिंग अन्य शहरों की तुलना में अधिक रही है। पुरी और वाराणसी में पर्यटक सिर्फ धार्मिक यात्रा ही नहीं बल्कि योग रिट्रीट और आयुर्वेद स्पा का आनंद लेने भी आ रहे हैं। सरकार की तरफ से प्रसाद, स्वदेश दर्शन, उड़ान जैसी योजना शुरू करने की वजह से भी देश में धार्मिक पर्यटन बढ़ा है। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय होटल चैन भी अब धार्मिक स्थलों पर नए नए होटलों का निर्माण कर रही हैं।

 

धर्मस्थलों के जीर्णोद्धार एवं विकास के चलते उत्तर प्रदेश तो पर्यटन के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है। वाराणसी में पर्यटन के क्षेत्र में पिछले केवल 4 चार वर्षों के दौरान 10 गुना से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद से इसमें बड़ा उछाल आया है। वहीं, राज्य का पर्यटन विभाग भी इस दिशा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। यहां वाटर टूरिज्म को बढ़ावा दिया गया है, जिसके तहत चार क्रूज संचालित हो रहे हैं। देव दीपावली के इतर गंगा आरती, पंचकोसी यात्रा, अंतरग्रही परिक्रमा, घाटों का सुंदरीकरण, सारनाथ का विकास, गलियों का कायाकल्प भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

 

इसी प्रकार उत्तराखंड में चार धाम यात्रा में इस बार रिकॉर्ड श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। चार धाम यात्रा में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम शामिल हैं। वर्ष 2022 में अभी तक 41 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। जबकि, 2019 में यह संख्या लगभग 35 लाख थी। इसी दौरान 15 लाख श्रद्धालु बद्रीनाथ पहुंचे, 14 लाख से ज्यादा यात्री केदारनाथ, 6 लाख से ज्यादा यात्री गंगोत्री और 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु यमुनोत्री पहुंचे हैं। वहीं, इस वर्ष 14 सितंबर तक देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी 35 लाख के पार पहुंच गई है। इसी प्रकार जम्मू एवं कश्मीर में भी जनवरी 2022 से अभी तक 1.62 करोड़ पर्यटक पहुंचे हैं। विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड एकोनोमिक फोरम) के अनुसार पर्यटन प्रतिस्पर्धा इंडेक्स में वर्ष 2013 में भारत का वैश्विक स्तर पर 65वां स्थान था जो वर्ष 2019 में सुधरकर 34वें स्थान पर आ गया है। यह सुधार भारत सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा पर्यटन के क्षेत्र में लागू किए गए सुधार कार्यक्रम के कारण सम्भव हो सका है।  अब तो भारतीय पर्यटन उद्योग कोरोना महामारी के पूर्व के समय के स्तर से भी आगे निकल गया है। यह मुख्यतः देश में धार्मिक पर्यटन के बढ़ने के कारण सम्भव हो पाया है।

 

प्रधानमंत्री नवोन्मेष शिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा था कि भारत को एक वैज्ञानिक पुनर्जागरण और सांस्कृतिक पुनरुद्धार की आवश्यकता है क्योंकि किसी भी सभ्यता को विकसित करने के लिए विज्ञान और संस्कृति दोनों आवश्यक रहे हैं। भारत को राजनीतिक स्वतंत्रता तो 15 अगस्त 1947 को ही मिल गई थी परंतु भारत इस दौरान सांस्कृतिक परतंत्रता का शिकार रहा है। हालांकि पिछले 8 वर्षों के दौरान भारत में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। जिसके कारण भारत के नागरिकों में उत्साह का संचार स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। सरयू नदी के 37 घाटों के तट पर इस वर्ष 15.76 लाख दीप प्रज्वलित कर अयोध्या की दीपावली को एक नया रूप दिया गया है। यह अपने आप में एक रिकार्ड है।

 

नागरिकों में इस नए उत्साह के चलते इस वर्ष दीपावली पर्व पर देश में रिकार्ड व्यापार हुआ है। जहां पूर्व में, दीपावली त्यौहार के दौरान लगभग एक लाख करोड़ रुपए का व्यापार होने की बात की जाती रही हैं वहीं इस वर्ष त्यौहारी मौसम के दौरान 2.50 लाख करोड़ रुपए का व्यापार होने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इसके साथ ही, वस्तु एवं सेवा कर का संग्रहण जो पिछले सात माह से प्रति माह 1.40 लाख करोड़ से अधिक राशि का रहता आया है वह दीपावली पर्व के चलते अक्टोबर 2022 माह में 1.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक राशि का रहने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इस प्रकार भारतीय त्यौहार देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में अपना भरपूर योगदान देते नजर आ रहे हैं।

 

केवल भारत ही क्यों बल्कि पूरे विश्व में ही आज भारतीय संस्कृति का डंका बजता दिखाई दे रहा है। इसका सबसे ताजा उदाहरण अमेरिका में देखने में आया है। अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य में वर्ष 2023 से दीपावली के पावन पर्व पर पब्लिक स्कूलों में छुट्टी रहने की घोषणा की गई है।

 

प्रहलाद सबनानी

सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,

भारतीय स्टेट बैंक

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