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राष्ट्रीय सुरक्षा की सर्वोच्चता

सूडान में क्रांति( जो कि स्पेनिश शब्द “Coupd,etat” से लिया गया है) कबकारण हजारों भारतीय नागरिक फंस गए थे ।भारत सरकार ने उन्हें स्वदेश सुरक्षित वापसी के लिए “ऑपरेशन कावेरी “चलाया ;भारत सरकार द्वारा संकटग्रस्त इलाकों में नागरिकों को राहत देने के लिए तत्काल एवं व्यापक स्तर पर राहत आंदोलन चलाए गए। सूडान में गृह युद्ध के कारण फंसे भारतीयों को बाहर निकालकर भारत लाने के लिए चलाए गए “ऑपरेशन कावेरी “ने भारत सरकार की कार्य कुशलता का परिचय दिया है, और भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाया है ।”ऑपरेशन कावेरी” ने भारत के माननीय पक्ष को एवं भारतीय सेना की सामाजिक भावनात्मक भूमिका को उजागर किया है।भारत अपने सैन्य शक्ति अभियान पर शत-प्रतिशत कसौटी पर उतरा हैं।

मानवीय संकट की स्थिति में जब भी आवश्यकता पड़ी ,भारत पूरी तरह खड़ा रहा ।दुनियाभर के प्रवासी भारतीयों को विश्वास है कि पीएम मोदी उनकी सुरक्षा और हितों के लिए हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं ।अब वे आश्वस्त हैं कि अगर कोई प्रतिकूल परिस्थिति उत्पन्न भी होगी तो भारत सरकार उनकी रक्षा के लिए कोई कोर – कसर नहीं छोड़ेगी। हिंसा भड़कने के कारण सूडान में गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो गई है, ऐसे में भारत की त्वरित प्रतिक्रिया की सराहना करनी होगी। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सूडान में रह रहे भारतीयों की संख्या लगभग 4000 है ,जिनमें लगभग 1200 ऐसे हैं ,जो दशकों पहले वहां जाकर बस गए थे ।नागरिकों के फंसने की खबरें जब तक देश में पहुंची तब तक भारतीय नौसेना के पोत सूडान के तट पर और वायु सेना के C- 130 J सुपर हरक्यूलिस सऊदी अरब पहुंच चुके थे।इन विमानों ने सूडान के हवाई अड्डे तक जाकर वहां से नागरिकों को बाहर निकाला। इस मानवीय सहायता अभियान में भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस सुमेधा, टेग और तरकश भी शामिल है; अभी तक 3000 भारतीयों की सकुशल स्वदेश वापसी हो चुकी है। फंसे हुए भारतीयों को रास्ते में तकलीफ के दौरान मोदी जी संकटमोचक के तौर पर साथ में थे।

पिछले साल फरवरी माह में रूस – यूक्रेन युद्ध शुरू होने के पश्चात भारत सरकार के सामने भारतीय छात्रों को सुरक्षित वापस लाना बड़ी चुनौती थी ।भारत सरकार ने इसके लिए “ऑपरेशन गंगा “चलाया ।26 फरवरी, 2022 से 11 मार्च ,2022 तक अभियान चलाया गया था। हजारों छात्र यूक्रेन से रोमानिया, हंगरी ,पोलैंड मालदीव और स्लोवाकिया जैसे पड़ोसी देश के रास्ते भारत वापस लौट कर आए। संकट के समय 20,000 से अधिक भारतीय यूक्रेन में थे ,जिनमें से 18000 छात्र थे। ऐसी भयंकर स्थिति ,अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में पैदा हो गई थी जब काबुल पर तालिबान का बलात कब्जा हुआ था। लाखों लोग देश छोड़कर भागे। अफगानिस्तान के सिख और हिंदू नागरिकों को तत्काल बाहर निकालने की जरूरत थी। खासतौर से तीन गुरुद्वारों से पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को भारत लाना था; क्योंकि पता नहीं था कि तालिबानी आक्रांता ओं का बर्ताव कैसा होगा ?

वहां फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए एक विशेष मिशन “ऑपरेशन देवी शक्ति” को प्रारंभ किया गया ,इस मिशन की उपादेयता बेकसूर नागरिकों को आतंकियों की हिंसा से सुरक्षा और संरक्षा प्रदान करना था। जून-जुलाई 2016, में इस्लामिक स्टेट ने भयंकर खून- खराबा शुरू कर दिया, इस दौरान 46 भारतीय नर्स घिर गई थी। राजनयिक सूत्रों की सहायता से उन्हें सफलतापूर्वक सुरक्षित निकाला गया था। 2010 और फिर 2011 में लीबिया में फंसे भारतीयों को नौसेना एवं एयर इंडिया की मदद से निकाला गया ।

सितंबर, 2011 में सोमालिया, केन्या और जिबूती में पड़े अकाल का सामना करने के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत भारतीय नौसेना ने औषधियां और अन्य राहत सामग्री पहुंचाई थी। जनवरी 2012 में लीबिया में राहत पहुंचाया गया था। 2017 के बाद से नौसेना की ऑपरेशनल रणनीति में बहुत बदलाव आया है। भारतीय पोत इस क्षेत्र में हर समय गश्त लगाते हैं, इसलिए जरूरत पड़ने पर वे सबसे पहले पहुंचते हैं। हिंद महासागर के तटवर्ती देशों पर पड़ने वाली किसी भी आपदा में सबसे पहले भारत मददगार के रूप में सबसे आगे रहता है। दुख के समय भारत बड़े भाई की भूमिका को निभाता है ।इसी प्रकार अप्रैल 2015 में यमन के गृह युद्ध (आंतरिक विप्लव) और सऊदी अरब की सैनिक कार्रवाई के कारण दुर्दशा की स्थिति उत्पन्न हो चुकी थी, इस दुर्दशा से निजात के लिए भारतीय नौसेना ,वायु सेना और एयर इंडिया ने मिलकर “ऑपरेशन राहत” का संचालन किया , जिसमें 6710 से ज्यादा लोगों को निकाला गया था ,जिनमें 40 देशों के नागरिक थे ।

25 अप्रैल ,2015 को नेपाल में आए भूकंप में 8000 से ज्यादा लोग हताहत हुए ,वह भयानक आपदा थी, जिसमें भारत ने आगे बढ़कर सहायता किया। 40 दिन तक चला “ऑपरेशन मैत्री” जिसमें गोरखा रेजीमेंट, इसमें भारतीय सेना के नेपाल में स्थित पूर्व सैनिकों ने भी सहयोग किया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होशबोले जी ने स्वयंसेवकों के सहयोग से राहत एवं बचाव कार्य में सहयोग किए ।मार्च ,2016 में बेल्जियम के ब्रसेल्स हवाई अड्डे पर विस्फोट हुए थे, तब भारत ने अपने नागरिकों को सकुशल वापस निकला था।

वर्ष 2020 में कोरोनावायरस( कोविड-19) से चीन में फंसे भारतीयों को निकालने के साथ-साथ भारत ने अपने मित्र देशों के नागरिकों को भी सहयोग किया ।इस सहयोग के लिए “वंदे भारत मिशन” चलाया गया और संसार के करीब 100 देशों में फंसे 70 लाख से ज्यादा भारतीयों को स्वदेश लाया गया ।कोरोनावायरस के दौरान महत्वपूर्ण बचाव अभियान के माध्यम से 2.17 लाख उड़ानों द्वारा 1.83 करोड़ लोगों को सुरक्षित स्वदेश लाया गया था। इस मिशन में भारतीय विमानों ने 8000 से ज्यादा उड़ानें भरी, अनेक नागरिकों को चीन के वुहान शहर से निकाला गया जो महामारी का केंद्र बिंदु था।

इसमें मालदीव ,म्यांमार ,बांग्लादेश ,चीन अमेरिका ,मेडागास्कर ,नेपाल दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका जैसे देशों के नागरिक भी शामिल थे। इनके अलावा भारतीय विमान ईरान, इटली और जापान जैसे देशों से हजारों भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया था। यह ऑपरेशन बेहद मुश्किल था क्योंकि विमान संचालन करने वाले के संक्रमित होने का बहुत खतरा था ।बहुत से पायलट और सहायक कर्मी संक्रमित भी हुए और उनकी जान भी चली गई ।नवंबर ,2017 में श्रीलंका में पेट्रोल और डीजल का संकट पैदा हो गया था ,राष्ट्रपति मैत्री पाल श्री सेना के साथ प्रधानमंत्री मोदी को टेलीफोन पर हुई बातचीत के बाद मदद भेजी गई ।इसी प्रकार कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय नागरिकों को विदेश से वापस लाने के प्रयासों के तहत 5 मई ,2020 को शुरू किए “ऑपरेशन समुद्र सेतु” के तहत समुद्र मार्ग से 3992 भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाया गया था। यह बचाव अभियान 55 दिनों तक चला और समुद्र में 23000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय की गई थी।

(लेखक प्राध्यापक व राजनीतिक विश्लेषक हैं)