Thursday, March 28, 2024
spot_img
Homeपुस्तक चर्चाउस 'रेड साड़ी' से सोनिया क्यों नराज़ थी?

उस ‘रेड साड़ी’ से सोनिया क्यों नराज़ थी?

महज 22 साल की उम्र में भारत के सबसे चर्चित राजनीतिक परिवार की बहू बनने वाली सोनिया गांधी शादी आम तौर पर मीडिया से दूर ही रहती हैं। मीडिया और उनके बीच की दूरी को बस इसी से समझा जा सकता है कि पिछले महीने करीब नौ साल बाद सोनिया ने कोई टीवी इंटरव्यू दिया। लेकिन 2010 में सोनिया की निजी जिंदगी एक किताब की वजह से पूरी दुनिया में मीडिया की सुर्खियों में थी। स्पैनिश लेखक जेवियर मोरो का “द रेड साड़ी” सोनिया गांधी के जीवन पर आधारित काल्पनिक उपन्यास भारत में अंग्रेजी में रिलीज होने वाला था। हालांकि स्पैनिश में ये उपन्यास करीब सात साल पहले प्रकाशित हो चुका था लेकिन उसकी चर्चा भारत तक नहीं पहुंची। लेकिन जब यही उपन्यास भारत में प्रकाशित होने लगा तो सोनिया गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने किताब के प्रकाशक को कानूनी नोटिस भेजकर इसका प्रकाशन रोकने की कोशिश की।

नौ दिसंबर 1946 को इटली के लूसियाना में जन्मी सोनिया ने 1968 में गांधी परिवार के चश्मोचिराग राजीव गांधी से शादी की। शादी के बाद भी सोनिया सार्वजनिक जीवन से दूर ही रहीं। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद भी सोनिया ने कई सालों तक राजनीतिक से दूरी बनाए रखी। लेकिन आखिरकार 1997 में वो कांग्रेस की प्राथमिक सदस्य बनीं। 1998 में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष चुन लिया गया। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी की मुखिया बन जाने के बाद भी सोनिया ने हमेशा अपनी निजता बनाए रखी। ऐसे में “द रेड साड़ी” में ऐसा क्या था जिसे पढ़कर सोनिया और कांग्रेसी ने भारत में इस किताब को बैन कराने की कोशिश की? आइए हम आपको बताते हैं कि किताब के किन हिस्सों पर सोनिया को कथित तौर पर आपत्ति थी।

उपन्यास में सोनिया के भारत में आने के बाद के माहौल का जिक्र करते हुए लिखा गया है, “दिल्ली का समाज पारंपरिक और छोटा था। ऐसा लगता था कि यहां हर कोई हर किसी को जानता है। ज्यादातर लोग सोनिया की सुंदरता की तारीफ करते थे लेकिन कई लोग उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि को लेकर सवाल उठाते थे क्योंकि वो एक साधारण परिवार से आती थीं। कुछ लोग उनके कपड़े पहनने के तरीकों की आलोचना करते थे। ऐसे लोगों को लगता था कि वो लोगों का ध्यान खींचने की मंशा से कपड़ों का चुनाव करती है।”

उपन्यास में संजय गांधी के विमान दुर्घटना में मौत के बाद का जिक्र करते हुए लिखा गया है, “सोनिया उठी, अपना गाउन लपेटा और लिविंग रूम में जाकर फोन उठाया। तमाम व्यवधानों के बीच उसने अपनी सास की नर्वस सेक्रेटरियों का आवाज पहचान ली। वो समझ गई कि कोई बहुत बुरी खबर है। संजयजी की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। ये सुनने के बाद सोनिया के रोंगटे खड़े हो गए। वो बहुत जोर से चीखना चाहती थी लेकिन उसने खुद को रोक लिया। उसे पता था कि भाई के जाने से खाली हुई जगह राजीव को भरनी होगी। उसे पता था कि इसका मतलब होगा उनकी खुशियों का अंत। वो इसे रोकने के लिए जी-जीन से विरोध करने के लिए तैयार थी।”

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सोनिया को उपन्यास के उस ब्योरे पर भी ऐतराज था जिसमें कहा गया था कि राजीव गांधी की मौत के बाद वो भारत छोड़कर इटली चली जाना चाहती थीं। उपन्यास में 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने में भी सोनिया की अहम भूमिका दिखाई गई है। ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ के अनुसार सोनिया को इस बात पर नाराजगी थी कि उपन्यास में उन्हें ऐसी घमंडी औरत के रूप में दिखाया गया है जो अपने पति की मौत के बाद ये कहते हुए देश छोड़ देना चाहती थी कि “ये देश अपनी संतानों को खा जाता है।” अखबार को अनुसार सोनिया को ये बात भी नागवार गुजरी थी कि उपन्यास में दिखाया गया था कि वो हिंदी नहीं सीखना चाहती थीं।

लेखक ने खुद उपन्यास को सोनिया के जीवन पर आधारित “नाटकीय जीवनी” बताया था इसलिए इसमें लिखी बातों को तथ्य नहीं माना जा सकता। फिर भी अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रकाशक को भेजे नोटिस में कहा था, ये जीवनी “झूठ, अर्धसत्य, गलत बयानी, अपमानजनक बयानों, काल्पनिक और आविष्कारित बातचीत और उद्धरणों से भरी हुई है…। “

साभार-इंडियन एक्सप्रेस से

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार