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मृत पुलिस जवान रविंद्र पाटिल की आत्मा आज भी सलमान खान से सवाल पूछ रही है

फिल्म अभिनेतता सुशांत सिहं के आत्म हत्या करने के बाद से ही फिल्मी दुनिया के कई गिरोहों पर सोशल मीडिया पर मुखर सवाल उठाए जा रहे हैं, इन सवालों को लेकर फिल्मी दुनिया के वे धुरंधर जो किसी के खाँसने और छींकने पर टीवी पर आकर बयान देते थे अपने घरों में छुपे बैठे हैं। सोशल मीडिया पर एक सवाल समुंबई पुलिस के मॉत कांस्टेबल रविंद्र पाटिल कीओर से भी उठाया जा रहा है कि आखिर क्या वजह थी कि सलमान खान पर फुटपाथ पर गरीब मासूमों को कुचलने का जो मुकदमा तला था उसके मुख्य गवाह की मौत इतनी दर्दनाक और रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई।

मुंबई पुलिस के रविंद्र पाटिल की अब किसी को याद भी नहीं होगी। उसकी दुखद और दर्दनाक कहानी का संबंध सलमान खान से है। महाराष्ट्र के धुले का एक युवा लड़का रविंद्र पाटिल 1997 में एक कांस्टेबल के रूप में मुंबई पुलिस में शामिल होता है। बाद में उसे इलीट कमांडो दस्ते के लिए चुन लिया जाता है। इस दस्ते का प्राथमिक कर्तव्य आतंकी स्थितियों से निपटना होता है। लेकिन उसे इस दस्ते से निकाल कर सलमान खान का अंगरक्षक बना दिया गया।

पाटिल महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव का साधारण लड़का था। सलमान जैसी बड़ी हस्ती का रहन सहन, उसकी जीवन शैली पाटिल के लिए बिलकुल नया था। तेज कारें, उम्दा स्कॉच, बड़े होटल और देर रात तक बाहर। पाटिल जिस परिवेश से आया था उसके लिए यह सारा कुछ सपने की तरह था।

पाटिल के दोस्तों के मुताबिक पाटिल सलमान के परिवार और मित्र मंडली का हिस्सा बनने से बेहद रोमांचित था। सलमान उसे कभी कभी डिज़ाइनर कपड़े और स्कॉच की बोतलें खरीदने के लिए भेज देता था। कई बार उसे स्कॉच की बोतलें और स्टाइलिश कपड़े उपहार में दिए जाते थे।

सितंबर 2002 की सुबह जब सलमान ने अपनी उजली लैंड क्रूज़र कार फुटपाथ पर सोये हुए लोगों पर चढ़ा दी थी, उस वक्त उसके साथ पाटिल भी मौजूद था। दुर्घटना के बाद सलमान मौके से गायब हो गया। पुलिस में मिली प्रशिक्षण के मुताबिक पाटिल बगल के थाने में गया और दुर्घटना की प्राथमिकी दर्ज करवा दिया। उसने बयान दिया कि जेडब्ल्यू मैरियट होटल में शराब पीने के बाद सलमान कार चला रहे थे और दुर्घटना के लिए वही जिम्मेदार थे।

ट्रायल कोर्ट ने पाटिल के दर्ज़ बयान के आधार मुक़दमा शुरू किया। पाटिल के दोस्तों का कहना है कि मुक़दमा दर्ज़ होने के बाद अचानक पाटिल के पास काफी पैसे आ गए। उसने अपनी प्रेमिका पर पैसे उड़ाना शुरू कर दिया। पाटिल पांच अलग-अलग मौकों पर अदालत की सुनवाई में अनुपस्थित रहा। वह जानबूझ कर गवाही के लिए नहीं गया। (हम केवल अचानक आये इस धन के स्रोत का अनुमान लगा सकते हैं।)

तब मजिस्ट्रेट ने उसकी उपस्थिति को सुरक्षित करने के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किया। क्राइम ब्रांच ने उसे महाबलेश्वर के एक होटल में पाया और उसे गिरफ्तार कर लिया। उसे आर्थर रोड जेल भेज दिया गया, जहां से बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया।

ड्यूटी से लंबे समय तक अनुपस्थित रहने के कारण, विभाग ने पाटिल को सेवा से निलंबित कर दिया था। 2006 में वह पूरी तरह से लापता हो गया। उसे नौकरी से निकाल दिया गया। इस बीच, उसकी पत्नी ने उसे तलाक दे दिया। पत्नी को उसने छोड़ दिया था। उसके अपने माता-पिता ने भी उससे संबंध तोड़ लिया।

वह संभवतः बहुत बड़े तनाव से गुजर रहा था। उसका विभाग चाहता था कि वह अपने बयान पर कायम रहे। दूसरी ओर सलमान खान थे जिसे शायद वह बहुत सम्मान देने लगा था। इस तनाव से उबरने के लिए पाटिल शराब और महिलाओं की शरण में चला गया। हादसे के पांच साल बाद 2007 में पाटिल को सेवरी टीबी अस्पताल में पाया गया। वह हड्डियों का ढांचा बन चुका था। उसका वजन मात्र 30 किलोग्राम था। उसके दोस्त भी उसे पहचान नहीं पाए। डॉक्टरों को लगा था कि वह एक भिखारी है जो अस्पताल आने के लिए किसी तरह कैब का किराया जुटा कर आ गया था। 4 अक्टूबर, 2007 को पाटिल का निधन हो गया। उस समय वह उम्र के तीसरे दशक में था।

(अरुण सिंह के फेसबुक टाइम लाईन से साभार)