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मौत का कुआ है लॉक डाउन के बाद की जिंदगी, जिसके दर्शक भी आप हैं और बाईक चलाने वाले भी आप

लॉकडाउन से जैसे तैसे निकल भी गए तो उसके बाद का सफर कैसा होगा इसका अनुमान अभी लगाना जरा मुश्किल है, मगर ये तय है कि लॉकडाउन से पहले का जीवन लॉकडाउन के बाद के जीवन से बिल्कुल अलग होगा ! खासकर तब तक जब तक कोई वैक्सीन नहीं बनती! सीधे शब्दों में कहा जाए तो शायद मुझे लगता है लॉकडाउन के बाद आँकड़े ज्यादा तेजी से बढ़ेंगे अगर वैक्सीन नहीं निकली तो
परिस्थितियों को समझने के लिए उदाहरण के तौर पर हम व्यापारी वर्ग से शुरू करते हैं …..

कोई भी व्यापारी माल लेगा ,माल देगा , पैसे लेगा , पैसे देगा , माल जहां बनेगा , जिसके हाथों बनेगा , जिसके हाथ से सप्लाई होगा , ट्रांसपोर्टेशन के सारे स्टाफ , मैन्युफैक्चरर्स का सारा स्टाफ , दुकान का सारा स्टाफ , ग्राहक के साथ आये सभी लोग इन सबसे खुद को उसे बचना होगा! मतलब बहुत बड़ी चैन या सिस्टम से खुद को बचाना होगा! फिर आते है बच्चों पर जाहिर है स्कूल खुलेंगे तो बच्चों का सफर यूँ होगा कि जिस गाड़ी में बच्चा आएगा और जाएगा , उस गाड़ी में सवार सभी बच्चे और उन सभी बच्चों के परिवार और उनके संपर्क में आये तमाम लोग और स्कूल का समस्त स्टाफ , अध्यापक इन सभी से बच्चों को बचकर रहना होगा जो कि लगभग भगवान के भरोसे है!

अब बारी आती है घर के बाकी लोग जिनपर घर का सामान लाने की जिम्मेदारी होती है, जैसे पिताजी माताजी बाजार से सामान लाने से लेकर घर तक का सफर …. मंडी में मौजूद तमाम व्यापारी , ठेले वालों से लेकर बड़े दुकानदार सभी से खुद को बचाना , साथ मेजो समान लिया है उसको सेनेटाइज करना जिस थैले या बैग में समान लिया है अगर उसे किसी ने छुआ है तो उसे सेनेटाइज करना बचे हुए पैसे वापस लेने में बरतनी पड़ेगी!

इन सब में आपको सबसे जरूरी जो काम करना है वो हमारी आदत में नहीं था मगर अब उसे आदत बनाना पड़ेगा जैसे ग्लव्ज पहनना , मास्क लगाना और हर 10-15 मिनट में हाथों को अछे से सेनेटाइज करना और हाथ मिलाने की जगह नमस्कार करना , भीड़ वाली जगहों पर कम से कम जाना , बाहर का कम से कम खाना पीना ! मतलब सीधी बात ये है कि लॉकडाउन में आपकी हिफाज़त फिलहाल आप और सरकार दोनों कर रही है , लॉकडाउन के बाद आपकी और आपके परिवार की सारी जिम्मेदारी आपके ऊपर होगी !