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शोध प्रस्ताव में हो नवीनता : डॉ. शीतल शर्मा

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘शोध प्रस्ताव लेखन एवं अवसर’ विषय पर संकाय सदस्यों के लिए विशेष व्याख्यान का आयोजन

भोपाल। शोध हमारी जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिए। हमें शिक्षण के साथ ही शोध कार्य की ओर बढ़ना है। इसके लिये शिक्षकों को अच्छे शोध प्रस्ताव बनाकर भेजना चाहिये। ‘राइटिंग रिसर्च प्रपोजल एंड फंडिंग अपार्चुनिटी’ विषय पर संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए यह बात माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कही। संकाय सदस्य विकास व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत जेएनयू की स्कूल ऑफ़ इन्टरनेशनल स्टडीस के सेंटर फ़ॉर यूरोपियन स्टडीस की प्रोफेसर डॉ. शीतल शर्मा ने विस्तार से इस विषय पर शिक्षकों के साथ संवाद किया।

नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से आयोजित इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता डॉ. शीतल शर्मा ने शोध परियोजना लेखन की विधि के साथ ही यह भी बताया कि कैसे और कहाँ से आपके शोध को फंडिंग मिल सकती है। उन्होंने कहा कि यदि आप शोध प्रस्ताव तैयार करना चाहते हैं तो ज्यादातर समय उसी बारे में विचार करते रहें। जब आप शोध लेखन पर विचार करेंगे तो उसके सभी पहलुओं पर ध्यान देंगे। डॉ. शीतल ने कहा कि किसी भी शोध के लिये चार प्रश्न आवश्यक होते हैं- क्या, क्यों, कैसे और कब। उन्होंने कहा कि सबसे पहले यह जान लेना चाहिये कि आप पीएचडी का प्रस्ताव लिख रहे हैं या शोध का। डॉ. शीतल ने कहा कि शोध में नए विचार और नवीनता पर विशेष जोर जाता है। इसलिए सबसे अधिक समय अपने शोध विषय और विचार को देना चाहिए।

व्याख्यान की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने कहा कि हमें समय की मांग के अनुसार कार्य करना होगा। भगवान बुद्ध के मध्यम मार्ग की बात करते हुए उन्होंने कहा कि शोध कार्य एवं शोध प्रस्ताव लेखन शिक्षकों के लिए बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमें इस दिशा में लगन और मेहनत के साथ कार्य करना है। व्याख्यान का संयोजन नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग की अध्यक्ष एवं डीन अकादमिक प्रो. पी. शशिकला ने किया और संचालन सहायक प्राध्यापक श्री मनोज धुर्वे ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य उपस्थित रहे।