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समाज का एक वर्ग ये भी है

समाज मर्द और औरत से मिलकर बना है. लेकिन एक तीसरा जेंडर भी हमारे समाज का हिस्सा है.समाज के इस वर्ग को थर्ड जेंडर, किन्नर या हिजड़े के नाम से जाना जाता है।

ये समुदाय इरावन (अरावन) को अपना आराध्य देव मानते है उनकी पूजा करते है।

ये इरावन कोई और नही बल्कि महाभारत के अर्जुन और नागकन्या उलूपी का पुत्र था। इरावन एक कुशल धनुर्धर और मायावी अस्त्रों का ज्ञाता था।

महाभारत युद्ध में एक समय ऐसा आता है जब पांडवों को अपनी जीत के लिए मां काली के चरणों में स्वेच्छिकरूप से किसी पुरुष की बलि हेतु एक राजकुमार की जरूरत पड़ती है। जब कोई भी राजकुमार आगे नहीं आता है तो इरावन खुद को इसके लिए प्रस्तुत कर देता है, लेकिन वह इसके साथ ही एक शर्त भी रख देता है कि वह अविवाहित नहीं मरेगा। इस शर्त के कारण यह संकट उत्पन्न हो जाता है कि यदि किसी राजा की बेटी या सामान्य स्त्री से उसका विवाह किया जाता है कि वह तुरंत ही विधवा हो जाएगा। ऐसे में कोई भी पिता इरावन से अपनी बेटी के विवाह के लिए तैयार नहीं होता है। तब भगवान कृष्ण स्वयं मोहिनी रूप में इरावन से विवाह करते हैं। इसके बाद इरावन अपने हाथों से अपना शीश मां काली के चरणों में अर्पित कर देता है। इरावन की मृत्यु के पश्चात कृष्ण उसी मोहिनी रूप में काफी देर तक उसकी मृत्यु का विलाप भी करते हैं। अब चुकी कृष्ण पुरुष होते हुए स्त्री रूप में इरावन से शादी रचाते हैं इसलिए किन्नर, जोकि स्त्री रूप में पुरुष माने जाते हैं, वह भी इरावन से एक रात की शादी रचाते हैं और उन्हें अपना आराध्य देव मानते हैं अगले ही दिन उनकी मौत पर मातम भी बनाते है दक्षिण भारत मे ये रस्म बहुत प्रसिद्ध है तमिलनाडु के कूवगम में इरावन का प्राचीन मंदिर स्थित है. इस मंदिर में इरावन देवता के शीश की पूजा की जाती है. यहां पर हर वर्ष तमिल नव वर्ष की पहली पूर्णिमा को 18 दिनों तक एक उत्सव का भी आयोजन किया जाता है.