1

राजकमल के किताब उत्सव में चर्चा, संवाद और काव्य की त्रिवेणी की रसधार

मुंबई।

राजकमल प्रकाशन द्वारा वर्ली के नेहरू सेंटर में आयोजित ‘किताब उत्सव’ के तीसरे दिन कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में कई महत्वपूर्ण पुस्तकों और विषयों पर बातचीत हुई। ‘किताब उत्सव’ में लगाई गई पुस्तक प्रदर्शनी में शहरवासियों के साथ-साथ कई साहित्यकारों और सिनेमा जगत के अदाकारों का आगमन हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत जयशंकर प्रसाद पर आधारित करुणाशंकर उपाध्याय की पुस्तक ‘जयशंकर प्रसाद : महानता के आयाम’ पर बातचीत से हुई। इस सत्र में ओमप्रकाश तिवारी ने उनसे जयशंकर प्रसाद की रचनाओं पर चर्चा की। बातचीत में करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि “प्रसाद की रचनाओं में बाकी समकालीन कवियों की तुलना में वैविध्य ज्यादा है। उनकी कविताओं में काव्य, दर्शन, धर्म, विज्ञान और वैदिक मंत्रों आदि का समावेश देखने को मिलता है। प्रसाद की रचनाओं को पढ़ते हुए लगता है जैसे हम किसी वैदिककाल के कवि की रचना पढ़ रहे हैं।”

इसके बाद काव्य पाठ का आयोजन हुआ जिसमें गौरव सोलंकी, चित्रा देसाई, प्रदीप अवस्थी, पुनीत शर्मा, बोधिसत्व, विमल चन्द्र पांडेय, हुसैन हैदरी आदि युवा कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया। वहीं इस सत्र का संचालन मनोज कुमार पांडेय ने किया। कार्यक्रम के तीसरे सत्र में लोकभारती प्रकाशन से प्रकाशित फरीद खाँ के नए कहानी संग्रह ‘मास्टर शॉट’ का लोकार्पण अभिनेता राजेन्द्र गुप्ता और लेखक धीरेन्द्र अस्थाना ने किया। इस सत्र में राहुल श्रीवास्तव, शेषनाथ पांडेय और विमाल चन्द्र पांडेय बतौर वक्ता मौजूद रहे। इस दौरान वक्ताओं ने नई कहानी को लेकर अपने-अपने विचार रखे।

अगले सत्र में ‘साहित्य और सिनेमा : बदलते समय में अंतर्संबंध’ विषय पर मशहूर फ़िल्म निर्देशक गोविंद निहलानी से अतुल तिवारी ने बातचीत की। इस दौरान अतुल तिवारी के सवालों का जवाब देते हुए गोविंद निहलानी ने कहा कि “मैंने बहुत छोटी उम्र में पढ़ना शुरू कर दिया था। उस समय में हिंदी की पुस्तकें ज्यादा पढ़ता था। मैंने जीवन में जो पहली किताब पढ़ी वह महाभारत थी जो मेरे पिता ने मुझे पढ़ने के लिए दी थी।” बातचीत में उन्होंने श्याम बेनेगल और सत्यजित राय को याद किया। उन्होंने अपनी कई फिल्मों के निर्देशन के अनुभवों को याद करते हुए कई किस्से सुनाए। वहीं अतुल तिवारी ने कहा कि गोविंद निहलानी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘तमस’ पर बात करते हुए कहा कि “किसी हिंदी किताब पर आधारित यह ऐसी पहली फ़िल्म थी जिसे पूरी ईमानदारी के साथ बनाया गया। गोविंद निहलानी ने इसे ठीक उसी तरह फिल्माया जिस तरह भीष्म साहनी ने ‘तमस’ उपन्यास को लिखा था।”

गोविंद निहलानी शान से बार बार यही कहते रहे कि उन्होन बचपन से हिंदी पढ़ी है, मगर अतुल तिवारी के हिंदी में पूछे गए हर सवाल का जवाब अंग्रेजी में देते रहे। उनके इस अंग्रेजी प्रेम से श्रोताओं को संवाद नीरस लगने लगा। हिंदी फिल्मों से नाम और दाम कमान वाले लोग हिंदी के ही मंच पर हिंदी बोलने में शर्म महसूस करे तो आयोजकों को चाहिए कि श्रोताओं की रुचि का ध्यान रखते हुए उन्हीं लोगो को मंच दे जो मंच और हिंदी का सम्मान कर सकें।

कार्यक्रम के आखिरी सत्र में ‘रंगमंच और सिनेमा’ विषय पर मशहूर अभिनेता सौरभ शुक्ला से विजय पंडित ने बातचीत की। इस दौरान सौरभ शुक्ला ने अपने बचपन से लेकर सिनेमा तक के कई अनसुने किस्से सुनाए। बातचीत में उन्होंने कहा कि “मैंने पहली बार छठी क्लास में पढ़ते हुए अपने एक दोस्त के साथ मिलकर फ़िल्म बनाने का प्लान बनाया था। उस समय फ़िल्म के बारे में हमें कुछ भी पता नहीं था और हमने बहुत सी गलतियां की लेकिन बड़े होने पर धीरे-धीरे सब समझ आने लगा। फिर जब स्कूल खत्म हो गया तो मुझे नाटक के बारे में पता चला और श्रीराम सेंटर में जाकर दोस्तों के साथ नाटक की प्रैक्टिस शुरू कर दी। इसी तरह आगे बढ़ते हुए अभिनय सीखा।”

गौरतलब है कि हिन्दी के शीर्षस्थ प्रकाशन के रूप में समादृत राजकमल प्रकाशन अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर देश के विभिन्न शहरों में ‘किताब उत्सव’ का आयोजन कर रहा है। इस कड़ी में अब तक भोपाल, बनारस, पटना और चंडीगढ़ में ‘किताब उत्सव’ का सफल आयोजन हो चुका है। मुम्बई इस साहित्यिक यात्रा का गवाह बनने वाला पांचवा शहर है।