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अमरीका वैज्ञानिक भी कायल हुए मोदीजी के जनता कर्फ्यू के

अभी 3 घण्टे पहले, ह्यूस्टन में अमेरिकी सरकार के लिए Infectious Disease पर शोध कर रहे एक चिकित्सा वैज्ञानिक, जो कॉलेज में मेरे सहपाठी हैं, और हमारी मित्रता उनके अमेरिका जाने के बाद भी उतनी ही गहरी हैं, का फोन आया ।

उनका पहला ही वाक्य था, “देवेंद्र जी, ये हमारे PM मोदी कोई महामानव हैं शायद।”

मैंने पूछा, “अरे, वो तो हैं पर अब उन्होंने ऐसा क्या कर दिया ?”

वो बोले, “हम छूत की बीमारियों (Infectious Disease) पर पिछले 30 साल से यहां अमेरिका में शोध कर रहे हैं, पर ये 1 दिन के कर्फ्यू वाला आईडिया हमारे दिमाग में कभी नहीं आया ।”

मैंने पूछा, “कहीं आप भी भारत में बस रहे सेक्युलरों, वामपंथियों, मुस्लिमों, ठुकडे ठुकडे गैंग, अर्बन नक्सलियों, अवार्ड वापसी गैंग, आआपियों, रNDTV आदि की तरह मोदी का मजाक तो नहीं उड़ा रहे?”

वो बोले, “अरे ऐसा कुछ नहीं, मैं और मेरा पूरा परिवार 19 साल से अमेरिका के नागरिक हैं, मेरा वार्षिक वेतन भारतीय रुपये में 15 करोड़ से अधिक हैं, पर दिल अभी भी भारतीय हैं । मोदी के हर बड़े कदम और फैसले को राजनीति से सर्वथा अलग हो कर, भारत और मानव के कल्याण की कसौटी पर कसता हूँ, मैंने भी देखा, भारत के ही लाखों लोग मोदी के 1 दिन के स्वयं स्पुर्थ कर्फ्यू की बड़ी मजाक उड़ा रहे हैं, पर हमारी लैबोरेट्री में अभी सब बड़े वैज्ञानिकों की 45 मिनिट की एक ऑफिसियल मीटिंग मोदी की इस घोषणा पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई । आप आश्चर्य करेंगे, 45 मिनिट की ये मीटिंग 3 घण्टे से भी अधिक चली, 1 दिन के स्वघोषित कर्फ्यू से छूत की बीमारियों और खास कर कोविड 19 पर इसके प्रभाव पर चर्चा हुई। सभी वैज्ञानिकों का इस पर एक मत था कि, 12 घण्टे हर व्यक्ति का दुनिया से कट कर कोरोना वायरस के फैलने से रोकने का बहुत ही प्रभावशाली उपाय हैं, क्योंकि कोविड 19 मानव शरीर के बाहर किसी भी सरफेश पर 12 घण्टे से अधिक जीवित नहीं रह सकता, ऐसे में अपने घर से बाहर की दुनिया से कट जाने से निर्जीव वस्तुओं जैसे दरवाजों के हैंडल, करेंसी नोट, फाइलों, कुरियर पार्सल, वाहनों के स्टेरिंग व्हील, पेन आदि आदि पर स्थित वायरस पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे, और मोदी द्वारा सुझाये इस तरिके से बिना एक पैसा खर्च किये, रविवार होने से काम काज की हानि भी नहीं होने से, देश को वायरस से मुक्त किया जा सकेगा। इस विषय के विश्व के उच्चतम स्तर के वैज्ञानिकों के दिमाग में ये उपाय नहीं सूझा। अगर मोदी को यह सलाह उनके किसी सलाहकार ने भी दी हैं तो निश्चित की वह व्यक्ति नोबेल पुरस्कार का अधिकारी हैं, और अगर ये मोदी के दिमाग की उपज हैं तो Infectious Disease की चिकित्सा के क्षेत्र में उनके इस योगदान के लिए उन्हें चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए ।”

मेरे मुहँ से बोल भी नहीं फूटा, यहां मेरे देश के करोड़ों लोग मोदी का मजाक उड़ा रहे हैं, उसे अनपढ़ गंवार कह कर अपमानित कर रहे हैं, गालियां दे रहे हैं ।
और भारत की जनता 200/- की फ्री बिजली के लिए इन हरामजादों को वोट देती हैं ।

असली अपराधी कौन ?