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वैध प्रमाण पत्र, सरकारी नियमों के चंगुल में फँसे पाकिस्तान से आए 800 हिन्दू

“पिछले सात सालों से हम बिजली के लिए प्रयास कर रहे हैं, आए दिन साँप-बिच्छू निकलते रहते हैं। जीवन का खतरा यहाँ भी है और वहाँ (पाकिस्तान) भी, हम क्या करें। बिजली मिल जाए हम मेहनत करके बिल भी चुका देंगे।” पाकिस्तान से आए हिंदू

उत्तरी दिल्ली के आदर्श नगर इलाके में रह रहे 800 पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थियों की जिंदगी में सालों से अँधेरा है। पिछले कई सालों से यह लोग यहाँ पर अँधेरे में रहने को मजबूर हैं। वजह है झुग्गी में रह रहे इन 200 परिवारों के लिए बिजली का न होना। भारत में इनके होने की उम्मीद केंद्र की मोदी सरकार ही है। सालों से यह भारतीय नागरिक होने के सपने लिए बहुत ही बुरी हालात में जी रहें हैं। ये लौटना भी नहीं चाहते क्योंकि इनके लिए पाकिस्तान और भी बुरा है। ऐसे में अपने बिजली के सपने के लिए इन्होने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका डाली थी। जिस पर आज सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने ही 200 पाकिस्तानी हिंदू प्रवासी परिवारों के लिए बिजली कनेक्शन की माँग वाली याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया है।

सरकारी नियमों के चंगुल में फँसे यह शरणार्थी पिछले महीने से इस उम्मीद में थे कि शायद उनकी यह दिवाली रौशन हो, लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल जवाब में बताया गया है कि यह शरणार्थी कैंप दिल्ली जल बोर्ड की जमीन पर अवैध अतिक्रमण है। जो वर्तमान में डिफेन्स की जमीन है। जिससे इन्हें बिजली कनेक्शन की मंजूरी नहीं मिल सकती।

अदालत ने पिछले महीने ही दिल्ली सरकार और केंद्र को पाकिस्तान से पलायन करने वाले हिन्दू परिवारों के लिए राहत की माँग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था। जिस पर आज (22 अक्टूबर, 2021) केंद्र ने अदालत को बताया है कि अगस्त 2018 में 70.253 एकड़ भूमि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन को हस्तांतरित की गई थी और वह संबंधित जिला प्रशासन और पुलिस के साथ रक्षा भूमि पर अनधिकृत कब्जे और अतिक्रमण को हटाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

केंद्र ने अदालत को बताया कि रक्षा मंत्रालय ने दिल्ली जल बोर्ड और उत्तरी दिल्ली पावर लिमिटेड के साथ भी ‘अनधिकृत कब्जाधारियों’ की बिजली और पानी की आपूर्ति को काटने का मामला भी उठाया था। अर्थात जो अब तक बिजली की आस देख रहे थे। उनको अब रहने के भी लाले पड़ने वाले हैं। यहाँ सोचने के लिए यह भी है कि जब पहले से ही वहाँ पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थी रह रहे थे, जिनका भारत में अपना कोई ठिकाना नहीं है तो बिना पुनर्वास के उनकों वहाँ से हटाने का प्रबंध भी दिल्ली जलबोर्ड ने वह जमीन 2018 में डिफेन्स को स्थान्तरित करके कर दी।

गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय, दिल्ली सरकार, उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी), टाटा पावर दिल्ली वितरण लिमिटेड (टीपीडीडीएल) और उत्तरी दिल्ली के जिलाधिकारी को नोटिस जारी किए थे और उन्हें याचिका पर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे। जिस पर आज की सुनवाई में केंद्र के जवाब से CAA के जरिए नागरिकता का सपना पाले इन पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थियों के सपने एक बार फिर चूर होते नजर आ रहे हैं।

बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले महीने ही मामले को आगे की सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर, 2021 को सूचीबद्ध किया था। जिस पर आज कोर्ट में सुनवाई हुई और समाधान निकलता नजर नहीं आ रहा है। याचिका में 200 हिंदू अल्पसंख्यक शरणार्थी परिवारों के लिए बिजली कनेक्शन की माँग की गई है, जिसमें लगभग 800 लोग शामिल हैं, जो वर्तमान में उत्तरी दिल्ली के आदर्श नगर इलाके में दिल्ली जल बोर्ड मैदान में रह रहे हैं। इसके अलावा भी उत्तरी दिल्ली के मजनू का टीला और सिग्नेचर ब्रिज के पास वाले कैंप में भी जहाँ पाकिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी रहते हैं, बिजली और उचित शौचालय की व्यवस्था न होने से इन हिन्दू शरणार्थियों का जीवन बेहाल है।

ऑपइंडिया से बात करते हुए मजनू का टीला कैंप के प्रधान धर्मवीर ने कहा, “पिछले सात सालों से हम बिजली के लिए प्रयास कर रहे हैं, आए दिन साँप-बिच्छू निकलते रहते हैं। जीवन का खतरा यहाँ भी है और वहाँ (पाकिस्तान) भी, हम क्या करें। बिजली मिल जाए हम मेहनत करके बिल भी चुका देंगे।” बता दें कि यमुना के किनारे बसा मजनू का टीला कैंप भी केंद्र सरकार की जमीन पर ही है और ये शरणार्थी पिछले सात साल से पुनर्वास की बाँट जोह रहे हैं।

भारत में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के ‘अल्पसंख्यक शरणार्थियों’ के कल्याण के लिए काम करने वाले याचिकाकर्ता हरिओम ने आदर्श नगर कैंप को लेकर मीडिया को बताया कि आदर्श नगर कैंप के मामले में, प्रवासी पाकिस्तान से हैं, ज्यादातर सिंध से हैं, और पिछले कुछ सालों से यहाँ बिना बिजली के रह रहे हैं। ये शरणार्थी जो पाकिस्तान में बहुसंख्यक मुस्लिमों द्वारा अपने धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान से भारत आए हैं। उनका मानना है कि भारत आने से उनके बच्चों को एक उज्ज्वल और सुरक्षित भविष्य मिलेगा, लेकिन झुग्गी में बिजली के बिना उनका वर्तमान अस्तित्व पूरी तरह से बिखर गया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अधिवक्ता समीक्षा मित्तल, आकाश वाजपेयी और आयुष सक्सेना के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, “महामारी के दौरान जब सभी स्कूल ऑनलाइन हो गए हैं, ऐसे में झुग्गियों में बिजली नहीं होने से उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है।”

याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि पहले भी उन्होंने विभिन्न सरकारी अधिकारियों से संपर्क किया है, लेकिन शरणार्थियों के लिए बिजली प्राप्त करने में सफल नहीं हो सके और उनमें से कुछ ने टीपीडीडीएल को भी आवेदन किया, जिसने इस आधार पर इनकार कर दिया कि इसके लिए वैध निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। अब ये शरणार्थी जिनकी भारत में नागरिकता ही नहीं है वैध प्रमाण पत्र कहाँ से लाएँ।

याचिका में दावा किया गया है कि अधिकांश प्रवासी लंबी अवधि के वीजा पर रह रहे हैं और उनके पास उसी पते के साथ आधार कार्ड भी है जिस पर वे वर्तमान में रह रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप उनका कब्जा साबित हुआ। वहीं डिस्कॉम के अनुसार आधार का उपयोग पहचान प्रमाण के रूप में किया जा सकता है, लेकिन परिसर में रहने के प्रमाण के रूप में नहीं। याची ने अदालत से आग्रह किया था कि उनके मुवक्किलों को आधार कार्ड व वीजा के आधार को मानते हुए बिजली कनेक्शन प्रदान करने का निर्देश दिया जाए।

साभार- https://hindi.opindia.com/ से