Thursday, March 28, 2024
spot_img
Homeभारत गौरवविश्व में प्रथम बार वेद ऑन लाईन

विश्व में प्रथम बार वेद ऑन लाईन

आज विज्ञान का युग है, विज्ञान ने प्रगति भी बहुत की हैं, इस प्रगति में तन्त्रजाल (इन्टरनेट) ने लोगों की जीवन शैली को बदल-सा दिया है। विश्व के किसी देश, किसी भाषा, किसी वस्तु, किसी जीव आदि की किसी भी जानकारी को प्राप्त करना, इस तन्त्रजाल ने बहुत ही सरल कर दिया है। विश्व के बड़े-बड़े पुस्तकालय नेट पर प्राप्त हो जाते हैं। अनुपलबध-सी लगने वाली पुस्तकें नेट पर खोजने से मिल जाती हैं।

आर्य जगत् ने भी इस तन्त्रजाल का लाभ उठाया है, आर्य समाज की आज अनेक वेबसाइटें हैं। इसी शृंखला में ‘आर्य मन्तव्य’ ने वेद के लिए एक बहुत बड़ा काम किया है। ‘आर्य मन्तव्य’ ने वेद को सर्वसुलभ करने के लिए onlineved.com नाम से वेबसाइट बनाई है। इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

1. विश्व में प्रथम बार वेदों को ऑनलाईन किया गया है, जिसको कोई भी इन्टरनेट चलाने वाला पढ़ सकता है। पढ़ने के लिए पी.डी.एफ. किसी भी फाईल को डाउनलोड करने की आवश्यकता नहीं है।
2. इस साईट पर चारों वेद मूल मन्त्रों के साथ-साथ महर्षि दयानन्द सरस्वती, आचार्य वैद्यनाथ, पं. धर्मदेव विद्यामार्तण्ड, पं. हरिशरण सिद्धान्तालंकार व देवचन्द जी आदि के भाष्य सहित उपलबध हैं।
3. इस साईट पर हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी तथा मराठी भाषाओं के भाष्य उपलबध हैं। अन्य भाषाओं में भाष्य उपलबध कराने के लिए काम चल रहा है, अर्थात् अन्य भाषाओं में भी वेद भाष्य शीघ्र देखने को मिलेंगे।
4. यह विश्व का प्रथम सर्च इंजन है, जहाँ पर वेदों के किसी भी मन्त्र अथवा भाष्य का कोई एक शबद भी सर्च कर सकते हैं। सर्च करते ही वह शबद वेदों में कितनी बार आया है, उसका आपके सामने स्पष्ट विवेचन उपस्थित हो जायेगा।
5. इस साईट का सर्वाधिक उपयोग उन शोधार्थियों के लिए हो सकता है, जो वेद व वैदिक वाङ्मय में शोधकार्य कर रहे हैं। उदाहरण के लिए किसी शोधार्थी का शोध विषय है ‘वेद में जीव’, तब वह शोधार्थी इस साईट पर जाकर ‘जीव’ लिखकर सर्च करते ही जहाँ-जहाँ जीव शबद आता है, वह-वह सामने आ जायेगा। इस प्रकार अधिक परिश्रम न करके शीघ्र ही अधिक लाभ प्राप्त हो सकेगा।
6. इस साईट का उपयोग विधर्मियों के उत्तर देने में भी किया जा सकता है। जैसे अभी कुछ दिन पहले एक विवाद चला था कि ‘वेदों में गोमांस का विधान है’ ऐसे में कोई भी जनसामान्य व्यक्ति इस साईट पर जाकर ‘गो’ अथवा ‘गाय’ शबद लिखकर सर्च करें तो जहाँ-जहाँ वेद में गाय के विषय में कहा गया है, वह-वह शीघ्र ही सामने आ जायेगा।

– आचार्य सोमदेव, ऋषि उद्यान, पुष्कर मार्ग, अजमेर

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार