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वीर सावरकर लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा बने

नई दिल्ली।

अखिल भारतीय स्वातंत्रवीर साहित्य सम्मलेन के दो दिवसीय आयोजन में इस बात पर सभी सहमत थे कि वीर सावरकर को न केवल भारत रत्न दिया जाना चाहिए बल्कि वे इसके सबसे सही दावेदार हैं। उन्हें इस सम्मान से बहुत पहले सम्मानित हो जाना चाहिए था। बात सिर्फ यही नहीं रुकी जब वक्ताओं ने कहा की वे पहले ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने देश के नागरिको को फौजी प्रशिक्षण दिए जाने की बात की। इसलिए देश में जितने में युद्ध पोत या अन्य आयुद्ध साज—सज्जा है, उन्हें वीर सावरकर का नाम दिया जाना चाहिए।

इस अवसर पर बोलते हुए सावरकर मामलो के जानकार श्रीरंग गोडबोले ने कहा कि सरकार को देश की परमाणु पनडुब्बियों को सावरकर का नाम देना चाहिए। देश में आई एन एस सावरकर, आई एन एस मुंजे और आई एन एस सुभास क्यों नहीं हो सकता ? इस दो दिवसीय अधिवेशन की शुरुवात सावरकर के सामाजिक, राजनितिक, धार्मिक और वैचारिक कार्यों पर चर्चा के साथ शुरू हुई और और सभी एकमत थे कि सावरकर के साथ लोगो ने अन्याय किया और अपमानित किया। उन्हें न केवल अंगरेजों द्वारा बल्कि स्वतंत्र भारत की सरकारों ने गलत ढंग से चित्रित किया है।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से अपने भाषण में कहा की वीर सावरकर कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार है जिसमे करोङो लोग समाहित है। वे करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणा है। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इस अवसर पर कहा कि अगर लोगो के कार्य का पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है तो सभी के कार्यों का पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए किसी विशेष व्यक्ति का ही केवल क्यों ? सावरकर के योगदान का प्रतिफल नहीं मिला लेकिन यह हमारी जिम्मेदारी बनती है की इस कार्य को पूरा किया जाए।

 

उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि सावरकर के कार्यो को अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाए कि वे न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि एक इतिहासकार, साहित्यकार, कवि और समाज सुधारक थे।

मध्य प्रदेश और गुजरात के पूर्व राज्यपाल ओम प्रकाश कोहली ने कहा की सावरकर ने ही सर्वप्रथम १८५७ को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा की भारत की भौगोलिक परिधि में रहने वाल हर व्यक्ति हिन्दू है।

उन्होंने कहा की गाँधी जी के अतिरेक अहिंसा ने देश को कितना नुकसान पहुंचाया यह इतिहासकारो के लिए शोध का विषय है लेकिन लेकिन सावरकर के इस मामले में अपने विचार थे और गाँधी से पहले आये जब उन्होंने हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाये जाने की बात कही थी।

राज्य सभा संसद और पत्रकार स्वप्न दासगुप्ता ने कहा सावरकर एक राजनैतिक हिन्दू थे जिन्हे मथुरा और काशी याद रहा जैसे कि शिवाजी को हमेशा स्मरण रहा। उन्होंने हिन्दू सभ्यता की बात जिंदगी भर किया उसका पूजा पद्धति से लेना देना नहीं था। इसको समझने के लिए उन्होंने पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का उदाहरण दिया जो अपने को पोलिटिकल हिन्दू मानते थे ।

वरिष्ठ पत्रकार उदय माहुरकर ने सावरकर की दूरदृष्टि की चर्चा करते हुए कहा कि वे दूरदर्शी थे जब नेहरू के वक्तव कि प्रकृति को रिक्तता से चिढ है के जवाब में कहा था कि प्रकृति को जहरीली गैस से भी चिढ है जो उन्होंने असम में घुसपैठियों के सम्बन्ध में कही थी।

डॉ संजीव कुमार तिवारी (9811546564)

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