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फैसला-ए- ‘बा’ ‘ब’ ‘री’ यानी – सभी आरोपी बाइज्जत बरी

छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाए जाने के आपराधिक मामले में 28 साल बाद जज सुरेंद्र कुमार यादव की विशेष अदालत अपना फैसला सुना दिया है। जज ने फैसला पढ़ते हुए कहा है कि यह विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था बल्कि आकस्मिक घटना थी। विशेष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी व कल्याण सिंह सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया है।

इस मामले में 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। इसमें से 17 की मौत हो चुकी है। सीबीआई व अभियुक्तों के वकीलों ने करीब आठ सौ पन्ने की लिखित बहस दाखिल की है। इससे पहले सीबीआई ने 351 गवाह व करीब 600 से अधिक दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए हैं। 30 सितंबर, 2019 को सुरेंद्र कुमार यादव जिला जज, लखनऊ के पद से सेवानिवृत्त हुए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें फैसला सुनाने तक सेवा विस्तार दिया था। सीबीआई के वकील ललित सिंह के मुताबिक कि यह उनके न्यायिक जीवन में किसी मुकदमे का सबसे लंबा विचारण है। वह इस मामले में वर्ष 2015 से सुनवाई कर रहे हैं।

विशेष जज एस.के. यादव ने अपने कार्यकाल का अंतिम फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था. घटना के प्रबल साक्ष्य नही हैं. न्यायालय ने माना है कि सीबीआई द्वारा लगाए गए आरोपों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं. कुछ अराजक तत्वों ने इस कार्य को अंजाम दिया था.

कोर्ट ने क्या कहा?
सीबीआई कोर्ट के विशेष जज एस.के. यादव ने अपने फैसले में कहा कि छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा पर पीछे से दोपहर 12 बजे पथराव शुरू हुआ. अशोक सिंघल (Ashok Singhal) ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं. कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा गया था. जज ने अखबारों को साक्ष्य नहीं माना और कहा कि वीडियो कैसेट के सीन भी स्पष्ट नहीं हैं. कैसेट्स को सील नहीं किया गया, फोटोज की नेगेटिव नहीं पेश की गई. ऋतम्बरा और कई अन्य अभियुक्तों के भाषण के टेप को सील नहीं किया गया.

दो हजार पेज का है फैसला
न्यायालय का फैसला करीब दो हजार पेज का है. फैसला कुछ ही देर में कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जायेगा. सीबीआई व अभियुक्तों के वकीलों ने ही करीब साढ़े आठ सौ पेज की लिखित बहस दाखिल की है. इसके अलावा कोर्ट के सामने 351 गवाह सीबीआई ने परीक्षित किए व 600 से अधिक दस्तावेज पेश किए.

6 दिसंबर 1992 को गिराया गया था ढांचा
गौरतलब है कि छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या (Ayodhya) में विवादित ढांचा गिराया गया. इस पर हिंदू और मुसलमान दोनों अपने-अपने दावे करते थे. हिंदू पक्ष का कहना था कि अयोध्या में ढांचे का निर्माण मुगल शासक बाबर ने वर्ष 1528 में श्रीराम जन्मभूमि पर कराया था, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी. मंदिर आंदोलन से जुड़े संगठनों के आह्वान पर वहां बड़ी संख्या में कारसेवक जुटे और इस ढांचे को ध्वस्त कर दिया. इस मामले में पहली प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) उसी दिन रामजन्मभूमि थाने में दर्ज हुई.

19 अप्रैल 2017 से हर दिन हो रही थी सुनवाई
19 अप्रैल 2017 से इस मामले की सुनवाई दैनिक रूप से हो रही थी. इस अदालत में जज सुरेन्द्र कुमार यादव को सुनवाई का निर्देश दिया गया था. उनका तबादला नहीं किये जाने के भी निर्देश दिये गए थे. यह मामला 6 दिसंबर 1992 की घटना के आरोपियों के खिलाफ 28 साल तक चला. इसमें 351 गवाहों ने कोर्ट में प्रस्तुत होकर गवाही दी थी. इस मामले में सीबीआई ने 49 लोगों को अभियुक्त बनाया था। इनमें से 17 लोगों का निधन हो चुका है. अब मात्र 32 अभियुक्तों पर ही फैसला सुनाया गया.

इस मामले में प्रमुख लोगों में बाला साहेब ठाकरे, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, राम विलास वेदान्ती, चंपत राय, साध्वी ऋतंभरा, वियन कटियार, पवन कुमार पांडे, ब्रजभूषण शरण सिंह, कल्याण सिंह, समेत अन्य कई आरोपी बनाए गए थे.

17 आरोपियों की पहले ही हो चुकी है मौत
अब इनमें से 17 लोगों विजया राजे सिंधिया, बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंहल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावे, रामनारायण दास, जगदीश मुनि, विनोद कुमार वत्स, लक्ष्मी नारायण दास, रमेश कुमार सिंह, डीबी राय, महंत अवैद्यनाथ, बैकुंठ लाल शर्मा, महंत रामचन्द्र परमहंस, हरगोविन्द सिंह, सतीश कुमार नागर का निधन हो चुका है

लालकृष्ण आडवाणी बोले- फैसला मेरे और BJP के राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रति प्रतिबद्धता को साबित करता है

भारतीय जानता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि मैं विशेष अदालत द्वारा दिए गए निर्णय का तहे दिल से स्वागत करता हूं। इस फैसले से राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रति मेरे व्यक्तिगत और भाजपा के विश्वास और प्रतिबद्धता का पता चलता है।

न्याय के मंदिर में सत्य की जीत होती है:नरेंद्र गिरि
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने विवादित ढांचे के मामले पर आए न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने बयान दिया है कि छह दिसंबर 1992 को जो घटना हुई थी वो पूर्व नियोजित नहीं थी। मामले को लेकर न्यायालय ने आज अपना आदेश सुना दिया है। महंत नरेंद्र गिरि ने आम जं मानस से अपील की है कि वो कोर्ट के आदेश को माने। उन्होंने कहा कि इस फैसले को लेकर सभी को बधाई दी। कहा कि न्याय के मंदिर में हमेशा सत्य की जीत होती है।

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में 28 साल बाद आज फैसला सुनाया गया। सीबीआई कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए मुरली मनोहर जोशी ने इस केस में पक्ष रख रहे सभी वकीलों को धन्यवाद कहा। उन्होंने कहा, ‘यह अदालत का ऐतिहासिक फैसला है। इससे साबित होता है कि अयोध्या में 6 दिसंबर की घटना के लिए कोई साजिश नहीं रची गई थी। हमारा कार्यक्रम और रैलियां किसी साजिश का हिस्सा नहीं थीं। हम खुश हैं, सभी को अब राम मंदिर निर्माण को लेकर उत्साहित होना चाहिए।’

मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि वकीलों ने इतने जटिल केस में कोर्ट के समक्ष सही तरीके से तथ्यों को रखा। उन्होंने कहा कि देश की न्याय व्यवस्था में हमें विश्वास है। आपको बता दें कि फैसला सुनाने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद मुरली मनोहर जोशी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे।