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आकाशवाणी की दिलकश आवाज़ विनोद कश्यप नहीं रही

अस्सी के दशक में जब आकाशवाणी ही समाचारों का सशक्त व एक मात्र माध्यम थी तब सुबह 8 बजे दोपहर 2 बजे और रात पौने नो बजे आकाशवाणी पर एक धीर गभीर मगर सम्मोहित सी करने वाली आवाजड़ गूँजती थी। ये आकाशवाणी है, अब आप विनोद कश्यप से समाचा सुनिए और फिर 10 से 15 मिनट तक रेडिओ और ट्रांजिस्टर को घेरे बैठे लोग चुपचाप बगैर किसी कानाफूसी के पूरे समाचार सुनते और जैसे ही ये वाक्य आता था, समाचार समाप्त हुए तब जाकर श्रोताओं में कोई हलचल होती थी। आकाशवाणी की ये सदाबहार आवाज़ अब खामोश हो गई। 88 वर्षीय विनोद कश्यप जी का निधन हो गया। देवकीनंदन पांडे जी के बाद शायद ही उनसे अधिक कोई लोकप्रिय हिन्दी न्यूज रीडर रहा हो। वो एक पंजाबी परिवार से आती थीं। आकाशवाणी में लगभग तीन दशकों तक उनके साथी न्यूज रीडर श्री राजेन्द्र अग्रवाल जी बता रहे थे कि वो दफ्तर में कभी एक मिनट भी देर से नहीं आती थीं। मौजूदा खबरिया चैनलों के शोर से पहले विनोद कश्यप, देवकीनंदन पांडे, अशोक वाजपेयी, अनादि मिश्र जैसे दिग्गजों से कई पीढ़ियों ने खबरें सुनीं। उस दौर में खबरें कायदे से सुनाई जाती थीं। इसलिए उन समाचार वाचकों से सुनने वाले जुड़ते भी थे। (वरिष्ठ पत्रकार विवेक शुक्ला की फेसबुल वॉल से)