1

हमने पोल खोली, सरकार ने मामला दर्ज कर लिया

यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) द्वारा आधार कार्ड से संबंधित डेटा में सेंध से जुड़ी खबर को लेकर ‘द ट्रिब्यून’ वे उसके पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के बाद ‘द ट्रिब्यून’ के प्रधान संपादक हरीश खरे ने एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि अखबार जिम्मेदार पत्रकारिता के अनुसार खबरों का प्रकाशन करता है।
दरअसल, अखबार के एक रिपोर्टर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि कैसे पैसों के बदले आधार कार्ड की जानकारी आसानी से खरीदी जा सकती है।

उन्होंने कहा कि हमें इस बात का खेद है कि अधिकारियों ने ईमानदार पत्रकारिता करने वाले संगठन को गलत तरीके से लिया और पर्दाफाश करने वालों के खिलाफ ही आपराधिक कार्रवाई शुरू कर दी।

उन्होंने कहा कि ‘द ट्रिब्यून’ ‘गंभीर खोजी पत्रकारिता की अपनी आजादी को बरकरार रखने के लिए’ सभी तरह के कानूनी विकल्पों को तलाशेगा।

उन्होंने अपने बयान में उन तमाम पत्रकारों और मीडिया संगठनों का आभार भी व्यक्त किया जो इस घड़ी में उनके व उनके सहयोगियों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि मेरे सहकर्मी और मैं खुद मीडिया संगठनों और पत्रकारों की ओर से दिखाई जा रही एकजुटता को लेकर उनके आभारी हैं। ‘द ट्रिब्यून’ की ओर से हम इस बात पर विश्वास करते हैं कि हम नियमबद्ध तरीके से पत्रकारिता करते हैं।

वहीं दूसरी तरफ, ‘द ट्रिब्यून’ अखबर की पत्रकार रचना खैरा, जिनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है, उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए बयान में कहा, ‘मेरा सोचना है कि मैंने यह एफआईआर कमाई है। मैं खुश हूं कि कम से कम यूआईडीएआई ने मेरी रिपोर्ट पर कुछ कार्रवाई की और वास्तव में मुझे उम्मीद है कि एफआईआर के साथ ही भारत सरकार यह देखेगी कि ये सभी जानकारियां कैसे ली जा रही थीं और सरकार उचित कार्रवाई करेगी।’

बता दें कि यूआईडीएआई के उप निदेशक बी.एम.पटनायक ने ‘द ट्रिब्यून’ अखबार में छपी खबर के बारे में पुलिस को सूचित किया और बताया कि अखबार ने अज्ञात विक्रेताओं से वॉट्ऐप पर एक सेवा खरीदी थी, जिससे एक अरब से अधिक लोगों की जानकारियां मिल जाती थी। पांच जनवरी को पटनायक ने शिकायत की थी, जिसके बाद उसी दिन प्राथमिकी दर्ज कर ली गई थी।