Wednesday, April 24, 2024
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क्या डाॅक्टर ऐसे भी होते हैं?

आजकल मैं मालवा की यात्रा पर हूं। कई व्याख्यान-यात्राएं समाप्त करके जैसे ही आज सुबह मैं इंदौर पहुंचा, मैंने एक महिला डाक्टर के बारे में पढ़ा। वह विवरण पढ़कर मैं इतना प्रेरित हुआ कि मैंने सोचा कि इंदौर की इन डाॅक्टर साहिबा के बारे में देश के सभी डाक्टरों को और अपने प्रिय पाठकों को भी बताउं। इनकी उम्र 91 साल है। इनका नाम है- श्रीमती डाॅ. भक्ति यादव! ये पिछले 15 साल से इंदौर की क्लर्क कालोनी के एक क्लीनिक में मुफ्त इलाज करती हैं।

ये स्त्री-रोग विशेषज्ञ हैं। इन्होंने पिछले 67-68 साल में लगभग 1 लाख से भी अधिक महिलाओं के प्रसव करवाए होंगे। ये महिलाएं इंदौर के मजदूर इलाकों में रहनेवाली हैं। जब वे डाॅ. भक्ति यादव के पास आती हैं तो उन्हें पता होता है कि उन्हें प्रसव के लिए कोई फीस नहीं चुकानी है। इतना ही नहीं, जब बड़े अस्पताल जवाब दे देते हैं और कहते हैं कि बच्चा पैदा करने के लिए आपरेशन जरुरी है, तब हारी-थकी संपन्न महिलाएं भी डाॅ. भक्ति की शरण में आ जाती हैं। अपने ज्ञान और अनुभव के आधार पर वे प्रायः बिना शल्य चिकित्सा के ही प्रसव करवा देती हैं। उनके बेटे डाॅ. रमण यादव ने मुझे बताया कि वे आंकड़े इकट्ठे करवा रहे हैं। उनके द्वारा करवाए गए प्रसवों की संख्या सवा लाख से भी उपर हो गई होगी। वे अभी भी 91 साल की अवस्था में, चाहे उनके हाथ कांपते रहें, वे महिलाओं की बराबर जांच करती हैं।

1डाॅ. भक्तिजी ने बताया कि जब उन्होंने अपनी डाक्टरी की पढ़ाई शुरु की तो 1947 में इंदौर के मेडिकल काॅलेज में वे पहली और एकमात्र लड़की थीं। मैंने पूछा कि आपके पिता ने आपको वहां कैसे भेज दिया? तब पता चला कि उनके पिता श्री विनायक कवीश्वर थे और उनके भाई प्रो. गजानन विनायक कवीश्वर थे। प्रो. ग.वा. कवीश्वर खुद बड़े विद्वान थे। वे होल्कर काॅलेज में पढ़ाते थे और मैं क्रिश्चियन काॅलेज में पढ़ता था। अब से 50-55 साल पहले कई बार इंदौर में हम साथ-साथ भाषण देते थे। डाॅ. भक्ति कवीश्वर ने डाॅ. चंद्रसिंह यादव के साथ प्रेम-विवाह और अंतर्जातीय विवाह किया।

मुझे यह भी अभी मालूम पड़ा कि मेरे मामाजी (88) जो आजकल अमेरिका में रहते हैं, वे डाॅ. भक्ति के सहपाठी थे। डाॅ. भक्ति का जन्म उज्जैन के पास महिदपुर में हुआ। गरोठ और इंदौर में उनकी शिक्षा हुई। पिता का निधन छोटी आयु में हो गया था। बड़ी मुश्किलों से डाॅक्टर बनी, भक्तिजी ने डाॅक्टरी-जैसे पेशे को शुद्ध भक्ति-भाव में बदल दिया। भक्तिजी जैसे कितने डाॅक्टर हिंदुस्तान में हैं? भक्तिजी सिर्फ डाॅक्टर नहीं हैं, सिर्फ महिला नहीं हैं। साक्षात देवी हैं। भारत का कोई भी सम्मान उनके लिए बड़ा नहीं है। वे सौ साल की हो जाएं बल्कि सवा सौ साल की हो जाएं।

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