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ज़कात का अर्थशास्त्र क्या है?

ज़कात वह धनराशि है जो हर एक शांतिप्रिय समुदाय के व्यक्ति को देनी पड़ती है जब वह कमाने लायक हो जाता है अपनी साल भर की पूरी कमाई का ढ़ाई फीसदी 2.5% हिस्सा उसे ज़कात में देना होता है

फिर सवाल आता है कि इस पैसे को कहां और क्यों दिया जाता है?

यह पैसा ग़ैर मुस्लिम को छोड़ सिर्फ मुसलमानों की सहायता के लिए जमा किया जाता है और खर्च भी सिर्फ उन मुसलमानों पर खर्च किया जाता है जो किसी भी तरीके से जेहाद करते हैं दीन को फैलाने का काम करते हैं।

वैसे तो मोमिन सामने बात करने पर कहते हैं कि ये पैसा गरीब मुसलमानों की तरक्की के लिए इकट्ठा और खर्च किया जाता है लेकिन ये सरासर झूठ है जितना पैसा हर साल जकात के नाम पर इकट्ठा होता है यदि ईमानदारी से उसका आधा भी खर्च कर दे तो दुनिया में कोई मुसलमान गरीब रह ही नहीं जाएगा।

अब आता है दूसरा माध्यम जहां ये पैसा ख़र्च किया जाता है जिनमें से उन मुख्य जगहों का मैं आपको विवरण दूंगा जिनका आपके जीवन पर भी प्रभाव पड़ता है

पहला-#फ़िरिकाब

यानि #गर्दन_छुड़ाने_के_लिए मतलब कोई मुसलमान जिसे काफिरों ने कैद कर लिया है उसे छुड़ाने के लिए मतलब दिल्ली / बेंगलुरु/ यूपी/ एमपी/झारखंड में हुई हिंसा जैसी घटनाओं के आरोपियों को छुड़ाने के लिए बाबरी मस्जिद ज्ञानवापी मस्जिद जैसे केसों की पैरवी करने वाले वकीलों की फीस देने के लिए

दूसरा – #मोअल्लफतुल_कुलूब

लोगों को इस्लाम की ओर आकर्षित करने के लिए यह पैसा प्रयोग किया जाता है। यानि कि किसी भी ग़ैर मुस्लिम व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराने के लिए और उदारवादी मुस्लिमों को कट्टरता की ओर अग्रसर करने के लिए ज़कात की इस धनराशि का प्रयोग किया जाता है यानि यह पैसा जाता है निज़ामुद्दीन मरकज़ के जैसी जगहों पर जो कि जमातियों के माध्यम से पैसा उदारवादी मुसलमानों जो कि अन्य धर्मों की पूजा पद्धति का भी अनुसरण करते हैं उन्हें कट्टर बनाने और दूसरे धर्म के लोगों का धर्मांतरण कराने के लिए शाहीन बाग़ जैसे तथाकथित शांतिपूर्ण विरोध जो कि आखिर में हिंसा पर जाकर समाप्त होते हैं उनका पैसा भी यहीं से प्राप्त होता है क्योंकि उनके हिसाब से ये तो उनके हक़ की लड़ाई है।

तीसरा -#फ़ी_सबीलिल्लाह
यानि कि अल्लाह की राह में जिहाद करने वाले लोगों को ज़कात की यह राशि जाती है अब जिहाद क्या है और कौन करता है यह सभी को पता है। यह धनराशि जैश ए मोहम्मद,लश्कर ए तैयबा जैसे कई आतंकी संगठनों तक पहुंचती है और इसी पैसे से ख़रीदी गई गोली ही हमारे देश के सैनिकों को लगती है और 1993 जैसे बम धमाके होते हैं।

हमारा लक्ष्य किसी धर्म विशेष के प्रति नफ़रत फैलाना नहीं है हम तो यह आप सबको स्पष्ट कर रहे हैं कि आपका पैसा कहां जा रहा है और उसका किस काम में उपयोग हो रहा है क्योंकि आप भी तो इनसे आर्थिक व्यवहार करते होंगे और आप संख्या में 85% हैं तो इनके पास 85% पैसा तो आपके पास से ही जा रहा है।

आप भी तो इनके सामानों के उपभोक्ता हैं तो एक उपभोक्ता के नाते आपको यह जानने का पूरा अधिकार है कि आपका पैसा कहां जा रहा है क्योंकि इनके सौ रुपए में से पिच्यासी रुपए तो आपकी जेब से आया है अगर एक हज़ार कमाएंगे तो 850 रुपए आपकी जेब से आया है और एक लाख कमाया तो 85000 आपकी जेब से पहुंचा है।

जो भी ऊपर इस धनराशि के उपयोग बताएं गए हैं उन सभी कार्यों के संपूर्ण होने में लगभग 85% आप भी तो ज़िम्मेदार हुए न?

एक बात और ज्यादातर हिन्दू ये समझते हैं कि जकात दान है लेकिन जकात दान नही टैक्स है जो कि पूरी दुनिया में जेहाद फैलाने के लिए इकट्ठा किया जाता है।

दान जकात को नहीं खैरात को कहा जाता है ये भी सिर्फ मोमिन को देना ही फर्ज है गैर मोमिन को नहीं दिया जा सकता

ये जकात नाम का टैक्स सिर्फ कंजूस मुसलमानों के लिए है जो कंजूस नहीं है उसका सारा माल ओ असवाब सब अल्लाह के लिए है यानि जेहाद के लिए है।