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सनातन संस्था का सच क्या है ?

महोदय
सनातन संस्था पर सम्मोहन (hypnotism) करके कुछ लोगो को बंधक बनाने व कुछ से कोई अपराध करवाने के आरोप लगा कर मीडिया ट्रेडर्स संस्था को बदनाम करने का षड्यंत्र चला रहें है। ध्यान रहें कि सनातन संस्था पिछले लगभग 15-20 वर्षो से सत्य सनातन वैदिक हिन्दू धर्म के प्रचार व प्रसार से समाज का चारित्रिक, बौद्धिक व आध्यात्मिक विकास कर रही है।

संसार का इतिहास व वर्तमान साक्षी है कि विभिन्न संस्थाओं को धर्म रक्षा, राष्ट्र रक्षा व विभिन्न सेवा कार्यो को चलाने हेतु त्यागी,तपस्वी व समर्पित कार्यकर्ताओं की आवश्यकता होती है । अतः इस हेतु वे निरंतर समाज का मंथन कर उन योग्य लोगो को अपने कार्यो के लिए नियोजित करती है जो अन्तःप्रेरणा से त्याग के मार्ग पर चल कर समाज कल्याण हेतु अपनी सुख सुविधाओं को छोड़ कर चलने की क्षमता रखते हो , इस हेतु वे अपने विचार व दर्शन के अनुरुप उनके मन को संस्कारित करते है । सनातन संस्था द्वारा किये जाने वाले कार्य को “सम्मोहित” शब्द देकर उसका अपमान किया जा रहा है । वे तो समाज के समर्पित लोगो को संस्कारित करते है । अतः यहां सम्मोहित (HYPNOTISM) के स्थान पर संस्कारित शब्द का प्रयोग किया जाना ही उपयुक्त होगा ।

इतिहास उठा कर देख लीजिये जब जब समाज में व्याप्त किसी भी प्रकार की बुराईयाँ या कुरीतियां सिर उठाने लगती है तब तब समाज के प्रति संवेदनशील महापुरुषों ने अपने अपने ढंग से उसे सुधारने का बीड़ा उठाया।उसमें चाहें वे भगवान बुद्ध हो या भगवान माहवीर, स्वामी दयानंद हो या स्वामी विवेकानंद । जब भारत माता परतंत्रता की बेड़ियों में छटपटा रही थी तो सहस्त्रो देशभक्त बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपतराय,वीर सावरकर,सुभाष चंद्र बोस आदि दृष्टाओं से प्रेरणा पाकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे।यदि इसे सम्मोहन कहा जाय तो यह एक अपराध के समान ही होगा। शहीद भगतसिंह, चंद्रशेखर आज़ाद,रामप्रसाद बिस्मिल आदि रणबाकुरे यदि अपना घरबार न छोड़ते तो भारत माता कदापि स्वतंत्र न हो पाती।जब जब किसी भी परिवार का कोई भी सदस्य माता,पिता ,पुत्र,पुत्री,पति, पत्नी, भाई ,बहन आदि अन्तः प्रेरणा से घर त्याग कर राष्ट्र के कल्याण के मार्ग पर चलता है तो परिवार के अन्य सदस्यों का दुखी होना स्वाभाविक ही है । उसी दुःख से विचलित होकर सनातन से जुडी बेटियों की माँ को उनसे बिछुड़ने के कारण रोते बिलखते हुए दिखा कर एक टीवी न्यूज़ चैनल संवेदनशील समाज की भावनाओं को झकझोर कर सनातन संस्था के उद्देश्यों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।जबकि धर्म,राष्ट्र व समाज के लिए समर्पित इन बेटियों पर उस माँ को भी अन्य माता पिताओं के समान गर्वित होना चाहिये ।

वैसे भी मानवीय व संवैधानिक आधार पर स्वतंत्र राष्ट्र के सभी नागरिको को अपनी इच्छा अनुरुप विचार व कार्य करने की स्वतंत्रता है।परंतु यह अवश्य सुनिश्चित हो कि ऐसा कोई भी कार्य राष्ट्र व समाज के विरुद्ध नहीं होना चाहिए और अपराध की श्रेणी में भी नहीं आना चाहिये।

आज सनातन संस्था आध्यात्मिक, बौद्धिक व चारित्रिक स्तर पर समाज का. उत्थान करने के लिए ही कार्यकर्ता तैयार करती है तो इसमें गलत क्या है ? यह पूर्णतः न्यायोचित है । इस संस्था का विरोध करने का अर्थ होगा सत्कार्यो में बाधा डालना।अतःमीडिया को नकारात्मक व भ्रमित करने वाले समाचारों के स्थान पर राष्ट्र की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले देशद्रोहियों के बिछे हुए जालो (नेटवर्क) की प्राथमिकता से जांचपड़ताल करके उसका काला रुप समाज को दिखाना चाहिए, पर ऐसा करने के लिए “किसी की प्रेरणा” वास्तविक रुप में तो होनी ही चाहिए ।
सधन्यवाद
भवदीय
विनोद कुमार सर्वोदय
नया गंज, गाज़ियाबाद