Wednesday, April 24, 2024
spot_img
Homeमनोरंजन जगतकोरोना में अटकी फिल्मों का भविष्य क्या होगा?

कोरोना में अटकी फिल्मों का भविष्य क्या होगा?

पिछले कुछ हफ्तों से कपिल देव की बायोपिक और रणवीर सिंह अभिनीत फिल्म 83 के निर्माता इन अफवाहों को खारिज कर रहे हैं कि उनकी फिल्म ऑनलाइन रिलीज की जाएगी। निर्देशक करण जौहर भी अपनी रिलीज होने वाली फिल्म, ‘गुंजन सक्सेना-कारगिल गर्ल’के लिए भी कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। हालांकि महामारी के संकट के इस दौर में कई अदाकार, निर्देशक, स्टूडियो अधिकारी, फिल्म वितरकों, सिनेमाघरों के मालिकों और ओटीटी (ओटीटी) मंच के बीच रस्साकशी जारी है। फिल्मों का कारोबार 100 करोड़ रुपये के क्लब के दायरे में रखा जा रहा था लेकिन अब इसमें फेरबदल किया जा रहा है। लॉकडाउन में सख्ती बढऩे के साथ ही बॉलीवुड और क्षेत्रीय फिल्मों का कारोबार करने वाले लोग महामारी के बाद कारोबार जारी रखने के तरीकों पर गौर कर रहे हैं।

उद्योग के विश्लेषकों का कहना है कि बॉलीवुड में ही करीब 1,500 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं और आगे हालात और खराब होने की संभावना है। आमतौर पर गर्मी के सीजन में बड़ी फिल्में रिलीज की जाती हैं लेकिन अब कई बड़ी फिल्में मसलन, सूर्यवंशी, 83, कुली नंबर-1, लक्ष्मी बॉम्ब की रिलीज तारीख टाली जा रही है। बॉलीवुड के बाद तेलुगू और तमिल फिल्म उद्योग पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है।

निर्माताओं की क्षमता को देखते हुए और अगले छह महीने तक फिल्में रिलीज होने की कोई संभावना नहीं होने से संभावित प्रभाव को देखते हुए कई निर्देशक-निर्माता और स्टूडियो अब ओटीटी की राह पर आगे बढऩे के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं । फिल्म ‘पीकू’के निर्देशक सुजित सरकार की अमिताभ बच्चन-आयुष्मान खुराना जैसे सितारों वाली फिल्म, ‘गुलाबो सिताबो’रिलीज होने के लिए तैयार है। उनका कहना है, ‘मुझे लगता है कि हमें समय के हिसाब से आगे कदम बढ़ाना चाहिए। शायद यह फिल्म उद्योग के लिए प्लान-बी का वक्त है। ‘निश्चित तौर पर वह नई रिलीज की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग की ओर इशारा करते हैं।

फिल्म निर्माता मधुरा श्रीधर अपनी नई फिल्म, ‘लव, लाइफ और पकोड़ा’की ओटीटी रिलीज के पारे में सोच रहे हैं। वह कहते हैं, ‘जहां तक छोटे बजट की फिल्मों की बात है तो यह मेरे लिए सबसे अच्छा विकल्प है। मुझे सिनेमाघरों से होने वाली कमाई और दूसरे लॉजिस्टिक्स के बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है।’

केपीएमजी (कोविड-19 दि मैनी शेड्स ऑफ ए क्राइसिस, अप्रैल 2020) की फिल्म उद्योग से जुड़ी एक रिपोर्ट से यह संकेत मिलता है कि फिल्म कारोबार को खुद में बदलाव करने की जरूरत है और इसे पारंपरिक मार्केटिंग और सिनेमाघरों में रिलीज करने के विकल्पों से परे देखना होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि उद्योग का दायरा वित्त वर्ष 2019 में 18,300 करोड़ रुपये रहा लेकिन कोविड-19 के बाद बॉक्स ऑफिस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

कारोबार विशेषज्ञों का कहना है कि उद्योग में लंबे समय तक असंतोष बने रहने वाला है। अगर सिनेमाघर खुल भी जाएंगे तो फिल्मों का ब्लॉकबस्टर होना मुश्किल होगा। केवल भारत में ही लॉकडाउन में ढील नहीं दी जा रही है बल्कि दूसरे देशों मसलन मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फिजी और पड़ोसी देशों में भी लॉकडाउन में ढील जरूरी है जहां से फिल्मों की कुल बॉक्स ऑफिस कमाई का लगभग 30-40 प्रतिशत आता है।

हालांकि आंकड़े गंभीर तस्वीर को बयां कर रहे हैं और मल्टीप्लेक्स मालिकों भी फिल्म रिलीज की अपनी मांग को लेकर मुखर हैं जबकि नई फिल्मों की रिलीज टाली जा रही है। लेकिन फिल्म निर्माता आखिर कब तक फिल्म रिलीज की तारीख टाल सकते हैं?

केवल बॉलीवुड पर ही दबाव नहीं है। तेलुगू फिल्म उद्योग में करीब 2,000 करोड़ रुपये तक की लागत वाली फिल्में या तो बन कर तैयार हैं या फिर फिल्में पूरी होने के लिए करीब एक महीने से अटकी हुई हैं। फिल्म निर्माता दग्गुबाती सुरेश ने कहा कि 15 फिल्में रिलीज के लिए तैयार हैं और अन्य 70 फिल्में विभिन्न चरणों में अटकी हुई हैं। एक तमिल फिल्म ‘पोन मगल वंधल’को सिनेमाघरों में रिलीज कराने का फैसला टाल दिया गया और उद्योग के सूत्रों के मुताबिक उसे एमेजॉन प्राइम को 9 करोड़ रुपये में बेच दिया गया।

बॉलीवुड के कारोबार विशेषज्ञ कोमल नाहटा कहते हैं कि उद्योग को करीब 1,500 करोड़ रुपये का अनुमानित घाटा हो रहा है और कई फिल्मों के रिलीज के लिए नेटफ्लिक्स के साथ अग्रिम बातचीत हो रही है। हालांकि इस तरह के बयानों को कई लोग खारिज कर रहे हैं। रिलायंस एंटरटेनमेंट (फिल्म 83 का सह-वितरक) ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है कि यह फिल्म 143 करोड़ रुपये में एक बड़े ओटीटी को बेची गई। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है।

साभार- https://hindi.business-standard.com/ से

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार