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चंबल में क्या जीती हुई बाजी फिर जीत पाएंगे महाराज

चम्बल वैसे तो बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है ।लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में यहां बीजेपी को मात दी थी ,और सत्ता में पहुँची कांग्रेस अंदरुनी कलेश से 18 महीने ही सरकार चला पाई ।मार्च में अपनी पार्टी से नाराज चल रहे सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के गुट ने कांग्रेस के हाथ का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था ।जिससे मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा ।

कुछ समय बाद राज्य में रिक्त हुई 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने है ।जिसके लिए दोनों मुख्य पार्टियां जोर शोर से जनमत बंटोरने में लगी हुई है।एक दल में टिकट कटने का अनुमान तो दूसरे में टिकट का आश्वासन दिया जा रहा है।आश्वासन और अनुमान के आधार पर आयाराम गयाराम की कहानी राजनीति अखाड़े में पल पल पर सुनाई दे रही है ।दोनो मुख्य दलों में नेताओं का दल बदल जोरो पर पर है ।अभी तक खामोश बने हाथी ने अपनी हुँकार नहीं भरी ।जो दोनों पार्टियों को मात दे सकता है उनकी सत्ता का खेल बिगाड़ सकता है।

इस गढ़ की 16 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है ।चुनाव के चलते दल जोड़ तोड़ की तिगड़बाजी में लगे हुए है। आये दिन नेता पार्टियों के पाला बदल रहे है। बीजेपी कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले सभी विधायकों को उपचुनाव में फिर से उम्मीदवार बना सकती है ।ज्योतिरादित्य सिंधिया भी भरपूर कोशिश करेंगे कि अपने सभी समर्थक पूर्व विधायकों को टिकट दिलवा सके। लेकिन इससे बीजेपी के कई बड़े पुराने नेता रूठ सकते है ।और वो दूसरी पार्टी का दामन थाम सकते है।राजनीति गलियारों से ऐसी खबरें आ रही है कि कई बीजेपी नेता टिकट कटने से नाराज होकर चुनावी जंग में हाथी की सवारी कर सकते है । वरिष्ठ बीएसपी नेता शंकर सिंह राजौरिया ने बताया कि बीएसपी जमीनी कार्यकर्ता को ही प्रत्याशी बनाएंगी।अभी तक एक भी संभावित प्रत्याशी का नाम उजागर ना करने के सवाल पर उन्होंने बताया कि बीएसपी बड़ी पार्टी है और कांग्रेस बीजेपी की तरह ही अपने प्रत्याशियों के नाम समय आने पर हाईकमान घोषित करेंगा ।राजस्थान में कांग्रेस द्वारा विधायको की खरीदारी से नाराज चल रही बसपा कांग्रेस से बदला लेने की पूरी कोशिश करेगी ।कांग्रेस से बीएसपी की नाराजगी राज्यसभा चुनाव में साफ झलक गई ।

कमलनाथ सरकार को समर्थन देने वाली बीएसपी अब रूठकर शिवराज सरकार को सपोर्ट कर रही है ।गुप्त सूत्रों से यह खबर आ रही है कि शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में बीजेपी बीएसपी को मंत्रिमंडल में जगह देकर राज्य में उसकी मजबूती उत्तरप्रदेश की तर्ज पर मजबूत करना चाहती है ।जिससे कांग्रेस को मिलने वाला दलित वोट बैंक का एक धड़ा कांग्रेस से हमेशा के लिए दूर हो जाये। बसपा को अपने मंत्रिमंडल में जगह देकर बीजेपी दलित हितैषी बनने का प्रयास भी कर सकती है। जिससे कमलनाथ चूक गए। इस क्षेत्र में दलित वोट बैंक जीत में काफी निर्णायक भूमिका निभाता है।

बीजेपी और बीएसपी दोनों पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष मुरैना के है । मुरैना जिले की पांच विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होना है ।ऐसे में वोटर किसका साथ दे कि दोनों की राजनीति चमके और उनका कद बड़े।जनता असमंजस्य की स्थिति में है ।चुनावी मार्केट में एक बात दबे मुँह से कान के पर्दे तक हर गली हर सड़क हर गांव हर चौराहा से पहुँच रही है। जिसमें इस्तीफा देने वाले विधायकों द्वारा पैंतीस करोड़ लेने की बात कही जा रही है ।हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है पता नहीं।चम्बल घाटी की माटी में गद्दार पनप गए हर दुकान से दाम की बैठे बैठे कानाफूसी की जा रही है।

आनंद जोनवार
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