Saturday, April 20, 2024
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Homeजियो तो ऐसे जियोजब 60 साल की विधवा ने लाठी से जाट दंगाइयों को भगाया

जब 60 साल की विधवा ने लाठी से जाट दंगाइयों को भगाया

हरियाणा में पिछले महीने उबाल पर रहे जाट आंदोलन के दौरान दंगाइयों की एक भीड़ को अकेली महिला ने खदेड़ दिया था। यह भीड़ रोहतक में गोहाना रोड पर स्थित एक पेट्रोल पंप को जलाने आई थी। यह कारनामा 60 साल की विधवा महिला प्रेमा देवी ने अंजाम दिया। वह एक लाठी लेकर चार घंटे तक पेट्रोल पंप के बाहर खड़ी रही थीं।

उन्होंने पेट्रोल पंप के पास दंगाइयों को नहीं आने दिया। इससे वह सैकड़ों लोगों की जान बचाने में सफल रहीं, जो पेट्रोल पंप के ठीक पीछे की कॉलोनी में रहते थे। दिल्ली महिला आयोग ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर 37 अन्य महिलाओं के साथ उन्हें भी सम्मानित किया।

घटना 20 फरवरी की है, जब जाट आंदोलन अपने उबाल पर था। रोहतक के सूखापुर चौक के पास रहने वालीं प्रेमा देवी ने देखा कि भीड़ अपने हाथों में डंडे और ज्वलनशील पदार्थ लेकर पेट्रोल पंप की ओर बढ़ रही है। भीड़ देखकर पेट्रोल पंप का स्टाफ भी डरकर भाग गया था। तब प्रेमा देवी ने भीड़ का सामना करने का फैसला किया। प्रेमा खुद एक जाट हैं।

प्रेमा ने बताया, ‘मैं वहां एक लाठी लेकर लगभग चार घंटे तक खड़ी रही। वहां करीब 4 हजार लोग सड़कों पर घूम रहे थे। उन्होंने पंप के पास आने की कोशिश की तो मैंने कुछ को धमकाया, कुछ को धक्का दिया और कुछ से हाथ जोड़कर कहा कि पंप को मत जलाओ।’ उन्होंने बताया कि इस दौरान और कोई भी घर से बाहर नहीं निकला, पंप का स्टाफ भी छिपा रहा। पुरस्कार देते समय उनके बारे में बताया गया, ‘एक दंगाई ने तो माचिस भी जला ली थी, लेकिन प्रेमा ने उससे कहा कि इससे पंप के पीछे कॉलोनी भी जल जाएगी। दंगाई भीड़ के सामने जो हिम्मत उन्होंने दिखाई… वह सभी के लिए एक प्रेरणा और सीख है कि एक इंसान भी बदलाव ला सकता है।’

उनकी यह बहादुरी सीसीटीवी में कैद हो गई थी। प्रेमा देवी कहती हैं, ‘मैंने सोचा था कि अगर वे मुझे मार देंगे तो एक ही जान जाएगी, लेकिन अगर पेट्रोल पंप में आग लग गई तो सैकड़ों जानें चली जाएंगी।’ प्रेमा देवी के पति बीएसएफ अधिकारी थे, जिनकी 2010 में मौत हो गई थी। वह खुद पढ़ या लिख नहीं सकती हैं, लेकिन उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनका एक बेटा बैंक अधिकारी है और एक कॉलेज जाता है। 38 महिलाओं को पुरस्कार दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिए। सबसे कम उम्र की अवॉर्ड विजेता 10 साल की बच्ची मुस्कान थी, जिसने अपनी बस्ती की एक बच्ची पर यौन हमले की कोशिश को नाकाम किया था।

साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से

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