Thursday, April 25, 2024
spot_img
Homeशेरो शायरीजहाँ रहो हो वहाँ रौशनी लुटाओ तो ...

जहाँ रहो हो वहाँ रौशनी लुटाओ तो …

जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटायेगा ।
किसी चिराग़ का अपना मकाँ नहीं होता ।।
-वसीम बरेलवी

इस शेर पर प्रस्तुत है ब्रज भाषा के जाने माने कवि व शायर नवीन चतुर्वेदी का जवाब

जहाँ रहो हो वहाँ रौशनी लुटाओ तो ।
चिराग़ हो तो ज़रा जम के जगमगाओ तो ।।

जो ये जहान तुम्हारे लिये मुफ़ीद नहीं ।
सुकूँ कहाँ है ज़रा हमको भी बताओ तो ।।

जो क़र्ज़ सर पै उठाए भटक रहे हो तुम ।
भले ही किस्त में लेकिन उसे चुकाओ तो ।।

तुम्हें पसंद नहीं थे जो दूसरों के रंग ।
उन्हीं में डूबे पड़े हो स्वयं, बताओ तो ।।

चलो क़बूल किया सिर्फ़ तुम ही हो सच्चे ।
मगर ख़ुदा की डगर पै क़दम बढाओ तो ।।

सुधार अब तो फ़क़त बेटियों के बस में है ।
भरोसा करके कभी इनको आजमाओ तो ।।

मज़ा न आवै तो बेशक उतार लेना फिर ।
पर एक बार तुम अपनी पतंग उड़ाओ तो ।।

हुनर-नवाज़ नहीं छूते पोरुओं से थन ।
सहर भी होगी मगर रात को बिताओ तो ।।

मुकुट, मुँड़ासे, विजयमाल सब तुम्हारे हैं ।
हुज़ूरे-वाला मगर अपना सर झुकाओ तो ।।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार