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ये सरकार अंग्रेजी की गुलाम क्यों है

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण में एम आधार नाम से एक मोबाइल एप बनाया है इस ऐप के माध्यम से आप अपने आधार कार्ड को कहीं भी ले जा सकते हैं और इसमें आपको बहुत एक आधार कार्ड रखने की आवश्यकता नहीं है परंतु सोचने वाली बात यह है कि इस एम आधार एप्प को केवल अंग्रेजी भाषा में बनाया गया इसका इंटरफ़ेस किसी भी भारतीय भाषाओं में उपलब्ध नहीं है जैसा कि आधार पर आपका नाम पता इत्यादि जो विवरण है वह द्विभाषी रूप में छपता है एक तो आप की स्थानीय भाषा में और दूसरा भारत की अघोषित राजभाषा अंग्रेजी में लेकिन इसे माना रेप में नाम पता इत्यादि का जो विवरण है वो केवल अंग्रेजी में ही दिखाई दे रहा है उसे जानबूझकर प्रतिबंधित किया गया है क्योंकि आधार प्राधिकरण का मानना है कि भारत को हिंदी और भारतीय भाषाओं की कोई जरूरत नहीं है इसीलिए आधार वेबसाइट भी केवल नाम के लिए भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है जबकि भारतीय भाषा में कोई भी कोई भी जानकारी या पीडीएफ फॉर्म नहीं है।

इस वेबसाइट पर भारतीय भाषाओं के नाम पर केवल होमपेज एवं कुछ गिने-चुने पेज ही उन भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। प्राधिकरणों में अनेक राजभाषा अधिकारी बैठते हैं परंतु पता नहीं राजभाषा अधिकारी करते क्या है अपने कर्तव्यों का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं उनको जो काम सौंपा गया है वे क्यों नहीं कर रहे हैं। कोई चीज राजभाषा हिंदी में उपलब्ध नहीं है, इस विषय पर अपने विचार उच्चाधिकारी के सामने क्यों नहीं रखते हैं?