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टिक टॉक और हेलो पर प्रतिबंध क्यों चाहता है स्वदेशी जागरण मंच?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की एक सहयोगी संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से टिक टॉक और हेलो एप पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. उसका दावा है कि ये दोनों सोशल मीडिया एप राष्ट्रविरोधी तत्वों का अड्डा बन गए हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आर्थिक शाखा स्वदेशी जागरण मंच ने यह भी दावा किया है कि चीन के बाइट डांस के स्वामित्व वाले एप से भारत में किशोरों को बरगलाया जा रहा है.

स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) के सह संयोजक अश्विनी महाजन ने नरेंद्र मोदी को इस बारे में पत्र लिखा है. इसमें दोनों एप को लेकर संगठन की चिंताएं जाहिर की गई हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों एप भारत के युवाओं पर खराब असर डाल रहे हैं. महाजन ने कहा, “देश में मीडिया में विदेशी निवेश को लेकर काफी सख्त नियम हैं. लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की आड़ में ऐसे एप नियम से बच जाते हैं. ये राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रहार कर रहे हैं.”

महाजन ने कहा कि पिछले कुछ सप्ताह में टिक टॉक राष्ट्रविरोधी सामग्री का अड्डा बन गया है. ऐसी सामग्री इस एप पर व्यापक रूप से साझा की जा रही है. यह चीज हमारे समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकती है.

ईटी ने जब इस बारे में बाइट डांस को ईमेल लिखा तो उसका जवाब नहीं आया. महाजन ने कहा, “इस तरह के एप को भारत में कामकाज करने से रोकने के लिए नया कानून बनाया जाना चाहिए. हमारे लिए राष्ट्रीय सुरक्षा और भारतीयों की निजता बहुत महत्वपूर्ण है. जब तक इस तरह के नियम नहीं बन जाते, इन एप पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.”
बीजेपी के पदाधिकारियों ने स्वयं पिछले आम चुनाव के दौरान इन चिंताओं को लेकर चुनाव आयोग को पत्र लिखे थे. महाजन ने मांग की कि गृह मंत्रालय देश में टिक टॉक और हेलो सहित अन्य चीनी एप पर प्रतिबंध लगाए.

स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक ने दावा किया कि टिक टॉक और चीन सरकार के हस्तक्षेप के गठजोड़ का इस्तेमाल भारतीय नागरिकों के निजी जीवन तक पहुंच बनाने और देश में सामाजिक उथल-पुथल मचाने के लिए किया जा सकता है.

महाजन ने चिंता जताई कि भारत में इस समय एंड्रॉयड मोबाइल फोन में प्ले स्टोर और आईफोन में एप स्टोर द्वारा मुहैया कराये जाने वाले एप की निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है. उन्होंने सरकार से एक नया कानून बनाने का आग्रह किया जो राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही नागरिकों की निजता की सुरक्षा के लिए ऐसे एप के लिए जांच और नियमन जरूरी बनाए.

साभार :इकॉनमिक टाईम्स से