Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeमीडिया की दुनिया सेपूर्वाग्रहों के साथ संघ को नहीं समझा जा सकताः श्री मोहन भागवत

पूर्वाग्रहों के साथ संघ को नहीं समझा जा सकताः श्री मोहन भागवत

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ’ द्वारा इस साल अपनी स्‍थापना के 90 वर्ष पूरे कर लिए जाने के उपलक्ष्‍य में अंग्रेजी साप्ताहिक ‘ऑर्गनाइजर’ हिन्दी साप्ताहिक ‘पांचजन्य’ के विशेष संस्करण का विमोचन सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने किया। इस संस्करण में आरएसएस के इतिहास से लेकर अब तक के सफर को बताया गया है। वहीं रामजन्‍मभूमि आंदोलन के समय में इसकी भूमिका के बारे में भी बताया गया है।

इस एवसर पर श्री मोहन भागवत ने कहा कि इस देश में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के पूर्वज बाहर से नहीं आए, यहीं के थे और हिंदू थे। हिंदू या हिन्दुत्व कोई धर्म-संप्रदाय नहीं है, जो कोई भी देश की विविधता में विश्वास करता है, वह हिंदू है। फिर चाहे वह अपने आप को भारतीय कहे या हिंदू। भाषा-भाषी, खान-पान, परंपराओं आदि की विविधताओं के बीच हमें जोड़ने वाली सनातन काल से चलती आई हमारी संस्कृति है, जो हमें विविधता में एकता सिखाती है, हमें जोड़ती है। संपूर्ण विश्व को सुखी बनाना, भारत माता को विश्व गुरु के पद पर आसीन करना है, हम सबको मिलकर यह कार्य करना है और इसका दूसरा कोई रास्ता नहीं है। संघ की ये पद्धति नहीं रही है कि भारतवासियों तुम आश्वत हो जाओ कि तुम्हें कुछ नहीं करना है, हम सारे कार्य कर देंगें। बल्कि, संघ की पद्धति रही है और है कि हम सब मिलकर कार्य करेंगे। सबको साथ लेकर चलना ही संघ का आचरण और कर्तव्य है।

सरसंघचालक ने कहा कि भारत प्रकाशन ने संघ को लेकर जानकारी बढ़ाने या जिज्ञासा बढ़ाने वाला अंक प्रकाशित किया है, उसके लिए धन्यवाद। संघ केवल एक ही काम करता है, शाखा चलाना, मनुष्य निर्माण करना, लेकिन स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ता। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिसमें स्वयंसेवक कार्य न कर रहा हो।

उन्होंने कहा कि संघ का कार्य व विचार सत्य पर आधारित है, किसी के प्रति विरोध या द्वेष पर नहीं। सुनने, पढ़ने, चर्चा करने से संघ समझ आने वाला नहीं है। श्रद्धा भक्ति भाव से, शुद्ध-पवित्र मन से जिज्ञासा लेकर आएंगे तो संघ को समझना आसान है। प्रतिदिन की शाखा में स्वयंसेवक यही नित्य साधना करता है। संघ के बारे में पहले से पूर्वाग्रह बनाकर, उद्देश्य लेकर आएंगे तो संघ समझ में आने वाला नहीं है। संघ में कोई बंधन नहीं है, आइये, देखिये, समझिये, जंचे तो ठीक, नहीं जंचे तो ठीक।

उन्होंने आगे कहा कि हम किसी विरोध में नहीं पड़ते, विवाद को टालते हैं, दोस्ती करते हैं, आत्मीयता देते हैं। संघ ने कोई नया विचार नहीं दिया है, इस सनातन संस्कृति से ही प्राप्त सभी को जोड़ने वाले विचार को अपनाया है।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार