Tuesday, April 16, 2024
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हिंदी पर नेताओँ और अधिकारियों के बोल वचनः बस बोलते हैं, करते कुछ नहीं

केन्द्रीय गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा आज उत्तर प्रदेश के कानपुर में उत्‍तर-1 तथा उत्‍तर-2 क्षेत्रों में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों इत्‍या‍दि के लिए संयुक्‍त क्षेत्रीय राजभाषा सम्‍मेलन एवं पुरस्‍कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राजभाषा विभाग के ट्विटर हैंडल का उद्घाटन भी किया गया। राजभाषा विभाग द्वारा संवैधानिक दायित्‍वों के निर्वहन की दिशा में प्रचार-प्रसार किया जाता है और इस हैंडल के माध्‍यम से राजभाषा के प्रचार-प्रसार को और गति मिलेगी।

सम्मेलन के मुख्‍य अतिथि केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री नित्‍यानंद राय ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को एकता के सूत्र में बांधने में हिंदी की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। उन्होने कहा कि किसी भी देश की भाषा उसकी अस्‍मिता का प्रतीक होती है। भारत के स्‍वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक राष्‍ट्रीय एकीकरण का सबसे शक्‍तिशाली और सशक्‍त माध्‍यम हिंदी रही है । हिंदी न केवल हमारी राजभाषा है बल्‍कि भारतीय जन-मानस की भाषा है । हिंदी एक समृद्ध, सशक्‍त एवं सरल भाषा है । श्री राय ने कहा कि इतिहास गवाह है कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हिन्दी ने पूरे देश को एकजुट रख कर देशवासियों में राष्ट्र प्रेम और स्‍वाभिमान की अदभुत भावना जागृत करने में अहम भूमिका निभाकर ‘अनेकता में एकता’ की संकल्पना को पुष्ट किया। स्‍वतंत्रता संग्राम के दौरान स्‍वराज, स्वदेशी और स्‍वभाषा पर बल दिया गया था। यह हमारा राष्‍ट्रीय मत था कि बिना स्‍वदेशी व स्‍वभाषा के स्‍वराज सार्थक नहीं होगा । हमारे राष्‍ट्रीय नेताओं की यह दृढ़ धारणा थी कि कोई भी देश अपनी स्‍वतंत्रता को अपनी भाषा के अभाव में मौलिक रूप से परिभाषित नही कर सकता और ना ही उसका अनुभव कर सकता । उन्‍होंने कहा कि इस संदर्भ में महात्‍मा गांधी जी ने कहा था ‘स्‍वतंत्रता आंदोलन मेरे लिए केवल स्‍वराज का नहीं अपितु स्‍वभाषा का भी प्रश्‍न है । ’

श्री नित्‍यानंद राय ने कहा कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ देश के अंतिम व्‍यक्‍ति तक पहुंचाने के लिए भाषा का अत्‍यधिक महत्‍व है। सरकार की कल्‍याणकारी योजनाएं तभी प्रभावी बन सकेंगी जब देश का हर वर्ग उनसे लाभान्‍वित हो ताकि ‘सबका साथ सबका विकास’ का उद्देश्य पूरा हो सके । मातृभाषा के उपयोग से भ्रष्‍टाचार भी समाप्‍त हो सकता है और सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ आम जनता को मिल सकता है। इसके लिए आवश्‍यक है कि शासन का काम-काज आम जनता की भाषा में निष्‍पादित किया जाए।

उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह समझना जरूरी है कि राजभाषा हिंदी के माध्‍यम से देश की जनता की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्‍कृतिक सभी प्रकार की अपेक्षाओं को पूरा करने वाली योजनाओं व कार्यक्रमों को आखिरी सिरे तक पहुंचाना सरकारी तंत्र का अति महत्‍वपूर्ण कर्तव्‍य है और उसकी सफलता की कसौटी भी। यदि हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र निरंतर प्रगतिशील और जीवंत रहे तों हमें संघ के कामकाज में हिंदी का और राज्‍यों के कामकाज में उनकी प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ाना होगा। श्री राय ने कहा कि इसलिए मेरा विचार है कि हमें अंग्रेजी की बजाय अपनी स्थानीय भाषाओं का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए । उन्होने कहा कि हिन्दी के साथ-साथ अनेक अन्य भारतीय भाषाओं में प्रचुर मात्रा में उत्कृष्ट साहित्य का सृजन किया जा चुका है। श्री नित्‍यानंद ने कहा कि आज गृह मंत्रालय में अधिकतर कार्य राजभाषा में किया जा रहा है।

अपने सम्बोधन में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि देश के स्‍वतंत्रता संघर्ष के दौरान हिंदी ने संपर्क भाषा के रूप में महत्‍वपूर्ण कार्य किया और आजादी के बाद संविधान ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में चुना। यह वह दौर था जब हिंदी ने गुलामी से त्रस्त देशवासियों में राष्ट्र-भक्ति और एकजुटता की नवीन चेतना का संचार किया। हिंदी को भारतीय चिंतन-धारा का स्‍वाभाविक विकास क्रम माना गया । उनका कहना था कि भारतीय स्‍वतंत्रता संग्राम के नायकों ने हिंदी को सीधे तौर पर राष्‍ट्रीय एकता से जोड़ा। आचार्य विनाबा भावे और महात्‍मा गांधी ने स्‍वतंत्रता आंदोलन को जन-आंदोलन और हिंदी को संपर्क भाषा बनाया। श्री मिश्रा ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद हिंदी का प्रभाव बढना था लेकिन आजादी के बाद किए गए प्रयासों से अपेक्षा के अनुरूप परिणाम प्राप्‍त नहीं हो सके।

श्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी देश-विदेश में संबोधन के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं और यही कारण है कि लोग आज हिंदी बोलने में हीनभावना की जगह गर्व कर रहे हैं और बडी संख्‍या में लोग हिंदी का प्रयोग कर रहे हैं। माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने विभिन्‍न मंचों पर लगातार कोशिश की है कि राजभाषा में अधिकतर कार्य हो और लोग अपने संवैधानिक दायित्‍वों की पूर्ति करें। श्री मिश्रा ने कहा कि हिंदी के बढते हुए प्रभाव के कारण संयुक्‍त राष्‍ट्र में हिंदी का प्रचलन बढा है। आजादी के अमृत महोत्‍सव वर्ष में यह प्रण करना है कि जब आजादी के सौ वर्ष पूरे होंगे तब हर दृष्टि से भारत सशक्‍त होगा और यह सभी के प्रयास से यह संभव होगा। श्री मिश्रा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्‍व में आई नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया गया है इससे राजभाषा और भारतीय भाषाएं मजबूत होंगी।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री ने कहा कि संविधान ने हम सब पर राजभाषा हिंदी के विकास और प्रयोग-प्रसार का दायित्‍व सौंपा है । यह कार्य सभी के सहयोग और सदभावना से ही संभव है । स्‍वेच्‍छा से प्रयोग से भाषा की व्यापकता में वृद्धि होती है, भाषा समृद्ध होती है और उसका स्‍वरूप निखरता है। उनका कहना था कि दुनिया को ज्ञान-विज्ञान, गणित, योग, अध्यात्म एवं संस्कृति का गूढ़ ज्ञान देकर जगत-गुरु कहलाने वाले महान भारत के सभी नागरिकों से यह अपेक्षित है कि वे राजभाषा के प्रति अपने दायित्वों को पूरी निष्ठा से निभाएं। श्री मिश्रा ने कहा कि हमारे लोकतंत्र का मूलमंत्र है -‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबकी भलाई। उन्होने कहा कि सरकार की कल्‍याणकारी योजनाएं तभी प्रभावी मानी जाएंगी जब जनता और सरकार के बीच निरंतर संवाद, संपर्क और पारदर्शिता बनी रहे और सरकार की योजनाओं का लाभ देश के सभी नागरिकों को समान रूप से मिले । हमारा लोकतंत्र तभी फल-फूल सकता है जब हम जन-जन तक उनकी ही भाषा में उनके हित की बात पहुंचाएं। उन्होने कहा कि राष्‍ट्रीय स्‍तर पर राजभाषा हिंदी इस जिम्‍मेदारी को बखूबी निभा रही है।

अपने स्‍वागत उद्बोधन में राजभाषा विभाग की सचिव सुश्री अंशुली आर्या ने कहा कि राजभाषा सबंधी संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन करने एवं सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा विभाग सतत प्रयासरत है । उन्‍होंने कहा कि राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी में सहजता से कार्य करने के लिए अनेक प्रभावी साधन मुहैया कराए गए हैं। सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग आसान बनाने के उद्देश्य से राजभाषा विभाग ने अन्य ई-टूल्स एवं एप्लिकेशन्स के अलावा ‘ई महाशब्दकोश मोबाइल ऐप’ और ‘ई-सरल हिंदी वाक्य कोश’ तैयार किए हैं। इसी प्रकार विभाग द्वारा अनुवाद में सहायता के लिए स्मृति आधारित अनुवाद साफ्टवेयर ‘कंठस्थ,’ सी-डैक पुणे की सहायता से विकसित किया है, इसका प्रयोग करके सरकारी कामकाज में हिंदी को बढ़ावा दिया जा सकता है। सुश्री आर्या ने बताया कि माननीय प्रधानमंत्री जी के “आत्मनिर्भर भारत- स्थानीय के लिए मुखर हों” के आह्वान से प्रेरित होकर राजभाषा विभाग स्वदेशी निर्मित स्मृति आधारित अनुवाद टूल “कंठस्थ” को और अधिक लोकप्रिय बनाने और विभिन्न संगठनों में इसका विस्तार करने के हर सम्भव प्रयास कर रहा है।

कार्यक्रम में बोलते हुए चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्‍वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी आर सिंह ने कहा कि वैश्विक स्‍तर पर तरक्‍की के लिए आज अंग्रेजी जरूरी नहीं है, आज हिंदी की वैश्विक स्‍तर पर स्‍वीकार्यता बढी है। संविधान के अनुसार संघ की राजभाषा हिंदी है और हमें राजभाषा के प्रचार-प्रसार का दायित्‍व सौंपा है।

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