Saturday, April 20, 2024
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चंबल रिवर फ्रंट में लग रही है विश्व की सबसे बड़ी घंटी

दुनिया में अभी सात अजूबे हैं परन्तु आठवां अजूबा अब कोटा में विश्व का सबसे बड़ी घंटी लगाई जा रही है। यह घंटी विकसित किए जा रहे चंबल रिवर फ्रंट का बड़ा आकर्षण होगा। इन दिनों कोटा में पर्यटन को बढ़ावा देने के विकास कार्यों की बयार बह रही हैं, जिसके सूत्रधार बने हैं राजस्थान सरकार के नगरीय विकास मंत्री और कोटा उत्तर के विधायक शांति धारीवाल जी। हाल ही में उन्होंने महाराज शिवाजी उद्यान का लोकार्पण कर पर्यटन के क्षेत्र में नया स्पॉट जोड़ दिया है। कुछ दिन पूर्व पर्यटन स्पॉट के रूप में कोटा में बायोलॉजिकल पार्क शुरू किया गया था।

रिवर फ्रंट पर विश्व का आठवां अजूबा दुनिया की सबसे बड़ी घंटी का निर्माण किया जा रहा है । संपूर्ण विश्व में दो बड़े घंटे है। सबसे बड़ी घंटी 8.2165 मीटर की चीन में है , दूसरी घंटी 8×6.6 मीटर की मास्को में है। यह दोनों घंटियां अलग – अलग टुकड़ों में बनी हैं जिसको बाद में जोड़ा गया । इसके बावजूद चाइना की घंटी को लटकाते समय उसका एक टुकड़ा टूट गया जो अभी तक टूटा हुआ है वही मास्को वाली घंटी लटकाई ही नहीं जा सकी ।

चंबल रिवर फ्रंट पर बनने वाली घंटी 8.5 × 9.25 मीटर की होगी और इसकी सबसे बड़ी खासियत यह रहेगी कि यह दुनिया की एकमात्र व सबसे बड़ी सिंगल पीस कास्टिंग घंटी होगी । नगर विकास न्यास सूत्रों के मुताबिक यह घंटी अपने आप में बेमिसाल होगी। घंटी के रंग का रासायनिक संयोजन इस प्रकार से से किया गया है कि ये गोल्डन लुक का अहसास कराएगी । घंटी का ये रंग और चमक 15 सालों तक यथावत बना रहेगा । इसके बाद इस पर पॉलिश करने से यह वापस चमक जाएगी । इस घंटी की उम्र 5000 साल की है। घंटी की ढलाई का कार्य भी चंबल रिवर फ्रंट पर अस्थाई फैक्ट्री लगा कर किया जा रहा है।

घंटी ब्रोंज मेटल में ढाली जा रही है। घंटी के निर्माण में करीब 225 ट्रक ग्रीन सेंड , 5 ट्रक सोडियम सिलीकेट , 12 ट्रक कोपर ऑक्साइड, 3 ट्रक एलपीजी व 20000 लीटर डीजल का उपयोग होगा। लगभग 150 दिनों में इसका निर्माण कार्य पूरा होने का अनुमान है। घंटी का वजन बिना अलंकरणों के करीब 57 हजार किलो होगा। यह घंटी जमीनी सतह से 70 फीट ऊंचे स्टैंड पर लटकाए जाएगी।

विशेषता यह होगी की रात के समय घंटी को बजाने पर इसकी ध्वनि तरंगे 7 से 8 किलोमीटर तक सुनाई देगी।इसे देखने के लिए दूर – दूर से देशी – विदेशी पर्यटक कोटा आएंगे तथा ये कलाकृति कोटा को टूरिस्ट हब बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगी।

यह घंटी दुनिया की सबसे भारी सिंगल पीस कास्टिंग (ढलाई ) नॉन फेरस , विश्व की सबसे बड़ी घंटी और विश्व की पहली जॉइंट लेस चेन होने के तीन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएगी ऐसा दावा किया जा रहा है। स्टील मैन ऑफ इंडिया के नाम से विख्यात इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य विश्व की सबसे बड़ी घंटी का निर्माण कर रहे हैं। आर्य ने 6 जून 1994 को अमरकंटक में विश्व की सबसे बड़ी भगवान महावीर की प्रतिमा बनाई है जो 25 हजार किलो की दुनिया की सबसे बड़ी सिंगल पीस नॉन फेरस कास्टिंग है। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त विश्व विख्यात कलाकार हरीराम कुम्भावत इस घंटी के मॉडल प्रतिरूप को बना रहे हैं।

इस विश्व स्तरीय Iघंटी के साथ पूर्वी घाट पर संकृतिक घाट सहित 26 एक से बढ़ कर एक अनुपम घाट बनाए जा रहे हैं। सांस्कृतिक घाट पर खुला थियेटर एवं संगीत के लिए प्लेटफार्म की सुविधा के साथ विख्यात संगीतज्ञों बकी मूर्तियां भी लगाई जा रही हैं। पूर्वी किनारे पर बनाए जा रहा संग्रहालय में कला – संस्कृति और विकास को माडल के साथ प्रदर्शित किया जाएगा। चंबल माता उद्यान भी यहां विकसित किया जा रहा है जिसमें माता चंबल की 20 मीटर पेडस्टल पर 40 मीटर ऊंची प्रतिमा लगाई जा रही हैं। एक उद्यान में मैसूर के वृदावन गार्डन की तेज पर म्यूजिकल फाउंटेन का निर्माण आधुनिक तकनीक से किया जा रहा हैं। और भी अनेक आकर्षणों के साथ इसे भारत का नंबर एक का विश्व स्तरीय रिवर फ्रंट बनाया जा रहा हैं।

डी.सी. एम. रोड एवं दायी मुख्य नहर के बीच उद्योग नगर थाने के पास के लगभग 4.50 हैक्टयर क्षेत्र में 11 करोड़ की राशि से विकसित छत्रपति शिवाजी उद्यान के मुख्य द्वार पर छत्रपति शिवाजी की गन मेटल से निर्मित भव्य मूर्ति स्थापित की गई है, जिसकी उंचाई 14 फीट है तथा सडक से पेडेस्टल सहित मूर्ति की उंचाई 26 फीट है। प्रतिमा पर फव्वारे से कलकल बहता पानी उसकी खूबसूरती को बढाता है। राजस्थानी शैली में बाउण्ड्रीवॉल, भव्य प्रवेश द्वार पाथे-वे एम्पीथियेटर, कैफेटेरिया, चिल्ड्रन प्ले जोन, कलात्मक छतरियां लॉन, प्लान्टर, पार्किंग जोन, टॉयलेट ब्लॉक, डेकोरेटिव लाईट्स से विकसित यह पार्क कोटा के नए पर्यटन स्थल के रूप में उभर कर आया है।

1905 के इस रियासत कालीन चिड़ियाघर के सभी वन्यजीवों को अभेड़ा स्थित बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट कर इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया हैं। पार्क में 126 हेक्टेयर क्षेत्र में 144 एनक्लोजर बनाए गए हैं। इसमें विभिन्न राज्यों से जानवर लाने की प्रक्रिया चल रही है। पहले ही दिन करीब पांच हजार पर्यटकों ने इसे देखा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )

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