Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeसोशल मीडिया सेहै चैनल के मूर्खों ऐसे सवाल पूछने पर तुम्हें जरा भी शर्म...

है चैनल के मूर्खों ऐसे सवाल पूछने पर तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आती

गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्युमन की निर्मम हत्या से पूरा देश आहत है। हर तरफ दुख का माहौल है। मीडिया ने इस मामले को बेहद संजीदगी से उठाया है, जिसकी वजह से ही एक बड़े स्कूल पर कार्रवाई भी हो पा रही है, लेकिन इन सबसे अलग मीडिया संवेदनशील खबर को कवर करते-करते शायद खुद संवेदनहीन हो गया है और इसी वजह से ‘हल्लाबोल डॉट कॉम’ न्यूज पोर्टल की मैनेजिंग एडिटर रमा सोलांकी ने एक फेसबुक पोस्ट लिखी है, जिसमें उन्होंने संवेदनहीन रिपोर्टिंग और रिपोर्टर्स पर सवाल उठाए हैं। आप उनकी ये पोस्ट यहां पढ़ सकते हैं-

रिपोर्टर हो या मूर्ख… तुम ही बता दो कैसा लगता है जब औलाद मरती है? कैसे कैसे सवाल करते हो उन माँ बाप से बेहूदगी से जिनका बच्चा खौफनाक हादसे का शिकार हुआ हो… कहाँ से आ रही है ऐसे बत्तमीजो की जमात?
आपको कैसा लग रहा है? और उसकी चोट को देखकर आपको क्या समझ आया?

पगलेट नालायक रिपोर्टर !! कैसा लगता है जब अपनी औलाद को कोई मार दे !! अपने माँ बाप से जाकर आज शूट के बाद पूँछना कैसा लगता है उन्हें?तुम्हारी इतनी असंवेदनशील रिपोर्ट देखकर।

ऐसे रिपोर्टर्स को निकाल देना चाहिए और ऐसे चैनल को नोटिस देना चाहिए मंत्रालय को। माननीय मंत्रालय और सम्मानीय चैनलों के मालिकों… आप लोगों का काम केवल सरकार के अच्छी बुरी फुटेज की मॉनिटरिंग नही होनी चाहिए, बल्कि ऐसी असंवेदनशील खबरों और उसको करने के अंदाज पर एक्शन लेना भी होना चाहिए। और आप लोग कप्तान और दरोगा बनते है और दम आप मे एक सिपाही के डंडे भर का नहीं, शर्म कीजिए औलाद कोख से पैदा होती है, आप उसके बाप से पूछ रहे हो, दो बार वार किया कितना खून निकला, आपने उसकी खून से लथपथ लाश देखी? आपको लाश देखकर कैसा लगा…? यह सवाल होता है क्या, वो भी इतने बड़े बैनर के पत्रकार का?

ये जवाब अपने बाप से पूछना एक बार !! मैं देती हूँ जवाब तुमको, कि क्या समझ आया देखकर?

पत्रकार हूँ और उसी अंदाज़ मे देती हूँ, सुनो! प्रसव पीड़ा होती है और वो एहसास एक बार होता है औलाद मर जाने पर वो हर पल होता है और उस पीड़ा मे जन्म का उत्सव नही अपनी औलाद के मरने की तड़प होती है… और बाप को कैसा लगता है… जब वो अपनी औलाद को चिता देता है और दफन करता है तो एक बार अग्नि और मिट्टी देता है और हर रोज उसी आग में खुद जलता है और उस मिट्टी मे खुद दफ्न होता है।

और दोनों को कैसा लगता है, कुछ नही लगता मैडम पत्रकार, दोनों एक दूसरे को समझाते है और खुद नसमझ बनकर रोते रहते है। ऐसा लगता है। और अगर ये रिपोर्टिंग है तो बेहद शर्मनाक है… बेलगाम बेहूदा होना पत्रकारिता नही…

(साभार: http://samachar4media.com द्वारा प्रकाशित रमा सोलंकी के फेसबुक वाल से)

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार