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बिग बॉस में तब्दील होती आप

सच कहूं तो बड़ा मजा आ रहा है। लगता है कि बिग बॉस की कमी पूरी हो गई है। पहले उसका जो मंचन टीवी चैनलों पर हो रहा था वह अब अखबारों में होता नजर आ रहा है। खासतौर से जब से आप पार्टी का झगड़ा शुरु हुआ और दोनों ही पक्षों ने खुलकर एक दूसरे की खुलेआम धुलाई शुरु कर दी है। उसके बाद हालात बेहद रोमांच पैदा कर रहे हैं। पहले विधानसभा चुनाव में आप ने विपक्ष का सफाया कर दिया था अब उसके अपने ही नेताओं ने यह भूमिका हथिया ली है। लगता है कि वे चाहते हैं कि वे विपक्ष और विरोधियों को आलोचना करने का भी मौका नहीं देना चाहते हैं। इस पर भी उन्होंने मानो एकाधिकार कर लिया है।

खासतौर से योगेंद्र यादव एंड कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के साथ जिस तरह से पार्टी ने एक दूसरे को हमाम में नहलाना शुरु कर दिया है उसे देखकर लगता है कि बिग बॉस के अपने सीजन में आप पार्टी के नेताओं के आगे सब फीके पड़ जाएंगे। हिंदी फिल्मों में जो भूमिका कभी ललिता पवार और शशिकला निभाया करती थीं, उस भूमिका में आप पार्टी के नेता आ चुके हैं। जरा देखित तो क्या गजब के खुलासे कर रहे हैं। स्टिंग के जरिए एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के बाद प्रशांत भूषण ने यह कहकर धक्का मार दिया कि नैतिकता और ईमानदारी की दुहाई देने वाले आशीष खेतान ने एस्सार के पक्ष में तहलका में स्टोरी करने के बदले में कंपनी के पुणे फेस्टीवेल के लिए तीन करोड़ का चंदा दिलवाया था।

इस लेख में सीबीआई द्वारा बेवजह एस्सार को परेशान किए जाने का दावा किया गया था। ज़रा सोचिए कि एक महिला पत्रकार के साथ शारीरिक छेड़छाड़ करने के अपराध में जेल भेजे गए तहलका के मालिक तरुण तेजपाल का यह रिपोर्टर किस तरह के धमाके कर रहा था। उसकी योग्यता तो देखिए कि कांग्रेस के सौजन्य से चौराहों पर मुफ्त बांटी जाने वाली इस मैंगजीन द्वारा आयोजित समारोह को उसके एक लेखन से ही तीन करोड़ का चंदा मिल गया?

इससे इस बात का सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि जब लिखने का इतना बड़ा पारितोषक मिला तो तमाम चीज़ें न लिखने की एवज में क्या हासिल किया गया होगा। वैसे भी पुरानी कहावत है कि बंद मुट्ठी तो लाख की खुल गई तो खाक की। यहां तो खाक भी चैक द्वारा तीन करोड़ में बेची जा रही है।

भगवान भी गजब के चमत्कार करते हैं। उसे पता था कि रावण को मार सकना असंभव है इसलिए उसके घर में विभीषण पैदा कर दिया। जब उसने केजरीवाल बनाया तो उसे मालूम था कि यह आइआरएस अफसर जो दूसरों के खातों में गड़बड़ी पकड़ने में माहिर है, उसके साथ भी किसी सवा सेर को जोड़ना जरुरी है। इसलिए उसने उसके साथ शांति व प्रशांत भूषण को जोड़ दिया।

प्रशांत भूषण ने यह खुलासा किया कि आप पार्टी को लिफाफा कंपनियों की मदद से दो करोड़ का चंदा मिला। अब इस खुलासों के बाद केजरीवाल समर्थक नेता तिलमिला रहे हैं। इस बात का जवाब देने की जगह कि क्या यह सच है कि उन लोगों ने तहलका को तीन करोड़ दिलवाए और लिफाफा कंपनियों से दो करोड़ का चंदा लिया, वे यह दलील देते घूम रहे हैं कि यह लोग तो असंतुष्ट हैं। यह लोग कौन से दूध के धुले हुए हैं। अगर इन्हें यह सब पता था तो इतने दिनों तक चुप्पी क्यों साधे रहें?

यह ठीक वैसा ही है अगर कोई कहे कि तुम्हारे मुंह पर कालिख पुती है तो सामने वाला जवाब दे कि तुम्हारी पेंट की जिप खुली है। अब नैतिकता की दुहाई देना बंद हो चुका है। हर नेता को चोर और बेईमान बता कर सत्ता हाथियाने वाले छाती ठोक कर कह रहे हैं कि अगर मैंने लिया तो क्या हुआ तुमने भी तो माल काटा है।

आशीष खेतान ने भी जवाबी हमला कर दिया है। उन्होंने ऐलान किया है कि वे भूषण परिवार को नहीं बख्शेगें। वे उन पर ‘पीआइएलबाज’ होने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि भूषण परिवार के पास जो 500 करोड़ की संपत्ति हैं वह कहां से आयी? उन्होंने तो पीआईएल का उद्योग चला रखा है। उनके कहने का सीधा मतलब यह है कि प्रशांत भूषण मूलतः ब्लैक मेलर है। निःसंदेह रंजीत सिन्हा को यह सब पढ़कर आनंद आ रहा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशांत भूषण ने सिर्फ दो करोड़ की संपत्ति का ही खुलासा किया। उनकी बात में भी दम लगता है क्योंकि शांति भूषण ने दो करोड़ तो चैक से दान में ही आप पार्टी को दे दिए थे। उनका खुलासा कि मायावती सरकार ने इस परिवार को प्लाट दिए। हरियाणा में उन्होंने सरकार से मुफ्त की 15 एकड़ जमीन हासिल की। गनीमत है कि वे उन्हें हिमाचल में अपने एनजीओ के लिए जमीन हासिल करने व इलाहाबाद में एक एकड़ की कोठी में किराए पर रहते हुए उसे मकान मालिक से चंद लाख में खरीदने की बात भूल गए।

ऐसा लग रहा है कि बिग बॉस का शो चल रहा है। राखी सावंत व डाली बिंद्रा में टकराव हो रहा है। पूजा मिश्रा व वीना मलिक आमने सामने आ गई है व एक दूसरे को ताल ठोक कर चुनौती दे रहे हैं। वाह ईश्वर वाह! क्या सीरियल बनाया है। बराबर की क्षमता वालों को आपस में भिड़ा दिया। इनसे आम नेता कहां निपट सकता था। इनकी कमियां, खामियां और घोटालों का कोई बाहरी व्यक्ति खुलासा करता तो यह उसे अंबानी-अडाणी का एजेंट बता देते। अब बराबर की लड़ाई है। असली मजा तो आगे चलकर आएगा।

वैसे इसमें आश्चर्यजनक कुछ भी नहीं है। कुछ दिन पहले इसी कालम में लिखा था कि लोहे को लोहा, हीरे को हीरा ही काटता है। सांप के डसने का इलाज भी विष द्वारा ही तैयार किया जाता है। बनियों ने पहले बनिया पार्टी भाजपा को निपटाया और अब वे आपस में एक दूसरे को निपटाने पर आमादा है। अखिरकार केजरीवाल, आसुतोष, अशीष खेतान, पंकज गुप्ता, प्रशांत भूषण सब बनिए ही तो हैं। इन्हें आम आदमी कैसे निपटा सकता है।

मीडिया ने ही आप पार्टी के नेताओं को हीरो बनाया था। जब उसने उन्हें घेरा तो ये नेता फिर से नौटंकी करने लगे। यह बयान देने वाले आशुतोष कि ‘अगली बार जब कोई आत्महत्या करेगा तो केजरीवाल पेड़ पर चढ़ जाएंगे’, फूट-फूट कर रोने लगते हैं। उनके इन घड़ियाली आसुओं को देखकर कोई टिवटर पर लिखता है कि शाहरुख खान को बॉलीवुड में नया प्रतिद्वंदी मिल गया है जो प्रभावशाली तरीके से फरजी आंसू बहा सकता है।  केजरीवाल एस्ट्रिक्स लगाकर माफी मांगते हैं। कहते हैं कि मुझे तो घंटे भर तक बोलना था फिर भी मैंने आत्महत्या की घटना घटने के बाद महज 15 मिनट ही भाषण दिया। हां, मुझे रैली रोक देनी चाहिए थी पर चैनल सिर्फ अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए इस घटना को प्रसारित कर रही है। वे भूल जाते हैं कि उन्हे भी रामलीला मैदान में धरने के दौरान लगातार दिखाया जा चुका है।

(साभार: नया इंडिया से )