Saturday, September 14, 2024
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पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के डॉ. सी. जय शंकर बाबू को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार

पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सी. जय शंकर बाबु को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) 2024 के लिए चुना गया है। वे भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा  पुरस्कार चयनित भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों के 16 शिक्षकों में से एक हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों के लिए यह पहला ऐसा पुरस्कार है, जो अब तक केवल स्कूली शिक्षकों तक ही सीमित था। 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित समारोह में भारत के राष्ट्रपति माननीय श्रीमती द्रौपदी मुर्मू चयनित शिक्षकों को पुरस्कृत करेंगी।

डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने शिक्षा और पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है। उनकी सेवाओं में 21 वर्षों के अध्यापन के अनुभव के अलावा 15 वर्षों की पत्रकारिता (समकालिक), 10 वर्षों का प्रशासनिक सेवा (यूपीएससी द्वारा चयनित ग्रुप ‘ए’ स्तर की सेवा भी शामिल है) और सामाजिक सेवा भी शामिल है । डॉ. बाबु भारतीय भाषाओं में कंप्यूटिंग के क्षेत्र में ई-साक्षरता के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

उन्होंने वर्ष 1999 में अपने स्तर पर डिजिटल साक्षरता मिशन की शुरुआत की और पिछले ढाई दशकों में 1700 से अधिक कार्यशालाओं का आयोजन कर अनेक लोगों को मातृभाषा कंप्यूटिंग के अलावा भारतीय भाषा कंप्यूटिंग कौशल प्रदान किया। वे भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा स्तर पर हिंदी में 33 बहु-विषयक तकनीकी और रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम तैयार किए हैं, जैसे भाषा प्रौद्योगिकी, नव माध्यम (न्यू मीडिया) अध्ययन, प्रयोजनमूलक हिंदी, बहुभाषाई कंप्यूटिंग, साइबर आलोचना आदि और हिंदी माध्यम में पाठ्य पुस्तकें भी लिखी हैं।

यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विज़न और मिशन के अनुरूप है। वे ‘युग मानस’ साहित्यिक पत्रिका के संस्थापक संपादक, ‘अंतर भारती’ मासिक के प्रधान संपादक और केंद्रीय हिंदी संस्थान की पत्रिका ‘समन्वय दक्षिण’ सहित 10 सह-समीक्षित पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड के सदस्य हैं।

मीडिया अध्ययन के क्षेत्र में उन्होंने काफ़ी योगदान दिया है और केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित भारतीय साहित्य और मीडिया के वार्षिक सर्वेक्षण की वार्षिकी में एक दशक तक लगातार हिंदी पत्रकारिता और नई प्रौद्योगिकी पर नियमित योगदान है ।  मीडिया विमर्श पत्रिका के अब तक पाँच भारतीय भाषाओं के मीडिया पर केंद्रित विशेषांकों का उन्होंने संपादन किया है जिनमें तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम और ओड़िया मिडिया विशेषांक शामिल हैं ।

डॉ. सी. जय शंकर बाबू ने दक्षिण भारत में पत्रकारिता के इतिहास पर शोधपरक लेखन किया है और पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में 1.04 करोड़ रुपये के परियोजना परिव्यय के साथ शोध में समृद्ध रूप से योगदान दे रहे हैं, ‘हिंदी के विकास के लिए आईसीटी’ पर यूजीसी बृहद शोध परियोजना सुसंपन्न किया है ।  शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की स्पर्क परियोजना के तहत अपभ्रंश का ऐतिहासिक और भाषावैज्ञानिक अध्ययन पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की शोध परियोजना पूरी की है । तेलुगु लोक साहित्य पर केंद्रीय हिंदी संस्थान, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की एक और परियोजना जारी है।

उन्होंने 8 शोधार्थियों को पीएचडी (पुरस्कृत) के लिए मार्गदर्शन किया है, इनमें से 3 के वे सह-मार्गदर्शक  थे ।  4 शोधार्थियों को एम.फिल. और 40 से अधिक पीजी शोध परियोजनाओं के लिए मार्गदर्शन किया  है ।  शोध के विषय राष्ट्रीय हित के हैं जिनमें लुप्तप्राय भाषाएं, दिव्यांगों के लिए ई-सामग्री विकास, शिक्षण और सीखने के लिए आईसीटी, आदिवासी, दलित और लोक साहित्य, पर्यावरण विमर्श आदि शामिल हैं।

डॉ. बाबू ने यूजीसी – शैक्षिक संचार संकाय द्वारा प्रदत्त परियोजना के तहत भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्वयं (SWAYAM) ऑनलाइन शैक्षिक पोर्टल के लिए बृहद् ऑनलाइन मुक्त पाठ्यक्रमों (MOOCs) का विकास किया है ।  स्वयं (SWAYAM पोर्टल) पर जनवरी, 2023 सत्र में हिंदी माध्यम में भाषा प्रौद्योगिकी के परिचय पर संचालित MOOC पाठ्यक्रण में 722 शिक्षार्थियों ने नामांकन किया था और जनवरी 2024 सत्र में 942 शिक्षार्थि ने प्रवेश लेकर अध्ययन किया था ।  हिंदी भाषा में उनके समृद्ध योगदान को देखते हुए, माननीय केंद्रीय गृह मंत्री ने उन्हें भारत सरकार के गृह मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में नामित किया है। बेल्जियम के गेंट विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स ने उन्हें 2012 में विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के रूप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था।

डॉ. बाबू 2018 में मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल में थे। विश्व भारती (राष्ट्रीय महत्व का संस्थान), शांतिनिकेतन की कार्यकारिणी समिति ने अक्टूबर, 2023 में डॉ. बाबु को भाषा भवन में प्रोफ़ेसर के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दी। डॉ. बाबु भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में सहायक निदेशक (यूपीएससी द्वारा चयनित) का पद छोड़ने के बाद वर्ष 2010 में पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में शामिल हुए । शिक्षा जगत को उनके सतत योगदान और नवाचार के प्रति उनके अटूट समर्पण के लिए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है।

पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. के. तरनिक्करसु ने इस उपलब्धि के लिए प्रोफ़ेसर बाबु की सराहना की। पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों, प्रोफ़ेसरों और छात्रों ने भी उनकी सराहना की।

डॉ. सी. जय शंकर बाबू
संपादक, ‘युग मानस’
ई-मेल –  [email protected]
दूरभाष – 09843508506

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