Thursday, September 19, 2024
spot_img
Homeजियो तो ऐसे जियोसाहित्यकार बी.एल.आच्छा: आलोचना, लघुकथा और व्यंग्य में पहचान के सशक्त हस्ताक्षर

साहित्यकार बी.एल.आच्छा: आलोचना, लघुकथा और व्यंग्य में पहचान के सशक्त हस्ताक्षर

परंपरागत, आधुनिक और समकालीन साहित्यिक परिवेश और संदर्भों को विस्तार दे कर सृजनकार साहित्य के कैनवास पर व्यंग्य विधा से लेखन शुरु करने वाले राजस्थान के  बी. एल. आच्छा ने व्यंग्यकार के रूप में राष्ट्रीय पहचान बनाई, मगर समालोचक के रूप में आपके कार्यों ने आपको देशव्यापी ख्याति प्राप्त हुई । आप कवि और श्रेष्ठ लघुकथाकार भी हैं। लघुकथा समीक्षा को ले कर देश के लघुकथाकारों की समीक्षा पुस्तकें काफी चर्चित हुई।
‘आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी  के उपन्यास’ पुस्तक कई दृष्टियों  से महत्वपूर्ण है।अतीत के पुनर्सृजन, भावात्मक इतिहास, नव्य यथार्थ, ऐतिहासिक शोध, सामयिक विचार और नूतन स्थापत्य के आयोजन में द्विवेदी जी के उपन्यासों की अर्थवत्ता प्रासंगिक महत्व रखती है। संस्कृति के मानवतावादी पक्ष उनमें गहरे हैं और बदलती लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की पक्षधरता भी गहरी है। इनके  उपन्यासों पर समीक्षा पुस्तक भी खासी  चर्चा में रहीं। इस समीक्षा पुस्तक में उपनिषद काल से लेकर आधुनिक काल को समेटा गया है। इतिहास के चित्र ही नहीं, समकाल के लिए प्रबोधक संकेत आचार्य द्विवेदी के उपन्यासों का प्रगतिशील संदर्भ है।
इसी प्रकार रामदरश मिश्र के उपन्यास पर ‘जल टूटता हुआ’ की पहचान’ पुस्तक में आंचलिकता के सन्दर्भ सहित सभी पक्षों पर समग्र विश्लेषण किया गया है । ‘सर्जनात्मक भाषा और आलोचना’ पुस्तक में सामाजिक सरोकारों की कृति और उसकी भाषा से पहचान। इसी परिप्रेक्ष्य में कतिपय कविताओं, कहानियों, उपन्यासों का विश्लेषण इस पुस्तक में प्रायोगिक तौर पर हुआ है। आप हिंदी की गद्य और पद्य दोनों विधाओं के शिल्पी हैं।  लघुकथा विधा की समीक्षा पर इन्होंने व्यापक कार्य किया है। ‘हिन्दी की कालजयी लघुकथाएं ‘ (संपादक-मधुदीप) और ‘लघुकथा: इक्कीसवीं  सदी के दो दशक’ (डॉ-नीरज सुधांशु) पुस्तकों में भारतेन्दु  से लेकर सन 2020 तक की 132 चयनित लघुकथाओं की व्यावहारिक समीक्षा उल्लेखनीय है । शीर्षस्थ  लघुकथाकारों पर विस्तृत आलेखों के साथ समीक्षा सन्दर्भित आलेख भी प्रकाशित हुए हैं।
समीक्षा अथवा आलोचना में इनकी दृष्टि कृति और उसकी भाषिक चेतना पर केन्द्रित रहती है।  “सृजन का अंतर्पाठ “और “कृति की राह से” पुस्तकों में सत्तर कृतियों या लेखकों के सृजन  कर्म की समीक्षा समाहित हैं।
साहित्य सृजन की कृतियों की कुछ बानगी इनकी उक्त साहित्यिक यात्रा के साथ प्रसंगवश उल्लेखित हैं। फिर भी इनकी प्रकाशित कृतियों पर एक नज़र डालते हैं तो ‘आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उपन्यास’ ,’सर्जनात्मक भाषा और आलोचना’ , “जल टूटता हुआ” की पहचान’ , ‘सृजन का अंतर्पाठ: रचनात्मक समीक्षा ‘ , ‘कृति की राह से’ (सृजन समीक्षा), ‘आस्था के बैंगन ‘(व्यंग्य), ‘पिताजी का डैडी संस्करण’ (व्यंग्य), ‘मेघदूत का टी. ए. बिल’ (व्यंग्य ), हिन्दी की कालजयी लघुकथाएं (संकलन में 85 पृष्ठों की भूमिका) और लघुकथाएं: इक्कीसवीं सदी के दो दशक (95 पृष्ठों में समीक्षात्मक भूमिका) शामिल हैं। इन्होंने विभिन्न विषयों पर 150 से ज्यादा शोध पत्र और लघुकथाएं लिखी हैं। इन्होंने  ‘सृजन संवाद ‘लघुकथा विशेषांक प्रेमचंद सृजनपीठ, उज्जैन (संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश शासन) का संपादन भी किया है। देश की ख्यातनाम पत्र – पत्रिकाओं में आपके आलेख, साक्षात्कार, रचनाएं निरंतर प्रकाशित होते हैं।
 रचनाकार को उनके श्रेष्ठ लेखन और कृतियों के लिए विभिन्न प्रतिष्ठित अकादमियों और संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित किया गया है। राजस्थान  और मध्यप्रदेश कुछ साहित्य अकादमियों एवं संस्थाओं से आपको प्राप्त सम्मान में डॉक्टर देवराज उपाध्याय आलोचना पुरस्कार,  पं.नंद दुलारे वाजपेयी आलोचना  पुरस्कार, डॉ. संतोष तिवारी समीक्षा सम्मान, लघुकथा समालोचना सम्मान , शताब्दी सम्मान , साहित्य गरिमा समिति सम्मान  और आचार्य कृष्णदत्त स्मृति व्यंग्य विधा सम्मान शामिल हैं।
देश के प्रसिद्ध समालोचक, वयंग्वकार और लघुकथाकार  बी. एल. आच्छा का जन्म 5 फखरी 1950 को  राजसमंद जिले के देवगढ़ मदारिया में पिता स्व. गणेश लाल आच्छा और माता धापूबाई आच्छा के आंगन में हुआ। आपकी स्कूली शिक्षा देवगढ़ (जिला राजसमंद)में हुई और उच्च शिक्षा के तहत मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से  हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर तक शिक्षा प्राप्त की।  एक वर्ष तक राजकीय महाविद्यालय जालोर में अध्यापन कार्य किया । मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत 42 वर्षों तक हिन्दी विषय में प्राध्यापक रह कर सेवानिवृत्त हुए। सेवा निवृत्ति के पश्चात आप वर्तमान में चेन्नई में रह कर साहित्य साधना में लगे हुए हैं।
 संपर्क :
 टॉवर  -27  फ्लैट-701
 नॉर्थ टाउन, स्टीफेंशन रोड पेरंबूर
 चेन्नई 600012 (तमिलनाडु)
 मोबाइल- 09425083335
—————-
डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
लेखक एवं पत्रकार, कोटा
image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार