कहानी फिल्म सीता और गीता की मनोरमा की मीडिया डेस्क

सीता और गीता’ की चाची मनोरमा थीं पाकिस्तानी, पति ने दिया तलाक, आखिरी समय बदहाली में बीता….
बॉलीवुड फिल्मों में कई तरह की खलनायिकाएँ आईं लेकिन मनोरमा जैसी कोई नहीं। उन्होंने अपने चेहरे के भावों से के दर्शकों में अपनी पहचान बनाई। । मनोरमा ने बाल कलाकार से शुरुआत की और 6 दशक तक पर्दे पर डटी रहीं। फिल्मों से लेकर टीवी की दुनिया में अपना अमूल्य योगदान दिया।
साल 1972 की फिल्म ‘सीता और गीता’ में चाची कौशल्या याद हैं? वही, जिनके चेहरे पर किलो भर मेकअप रहता। आंखों गहरा मोटा काजल और चढ़ी हुई भौंह। उनका नाम मनोरमा है। अधिकतर मूवीज में वह मां और सास के रोल में ही दिखाई दी हैं, जो बहुत ही अत्याचारी होती है। अपने चेहरे के हाव-भाव से ही काफी कुछ कह जाती है। 6 दशकों तक ये इंडस्ट्री में एक्टिव रहीं। इन्होंने कई फिल्मों में काम किया। आज हम आपको इनके बारे में ही बताने जा रहे है। उनकी कुछ चर्चित फिल्मों में ‘सीता और गीता’, ‘एक फूल दो माली’, ‘दो कलियां’, ‘कारवां’ शामिल हैं।
मनोरमा का जन्म 16 अगस्त, 1926 को पाकिस्तान लाहौर में एक आयरिश मां और भारतीय ईसाई पिता के घर हुआ था। उनके पिता एक इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर थे। जन्म के समय मनोरमा का नाम एरिन इस्साक रखा गया था। मनोरमा के माता-पिता दोनों संगीत प्रेमी थे। इसलिए, एक्ट्रेस ने भी डांस और म्यूजिक में ट्रेनिंग ली थी।
एक बार मनोरमा स्कूल में किसी कार्यक्रम में भाग ले रही थी, तभी एक प्रोड्यूसर की नजर उन पर पड़ी। वह उन्हें कास्ट करना चाहते थे। लेकिन मनोरमा के पिता एक्टिंग के लिए राजी नहीं थे। हालांकि फिल्ममेकर ने मनोरमा के पिता को मना लिया। इसके बाद एरिन इस्साक ‘मनोरमा’ बन गईं।
मनोरमा ने ‘खजांची’ (1941) में एक बाल कलाकार के रूप में शुरुआत की और लाहौर में एक बहुत सफल अभिनेत्री बन गईं। बंटवारे के बाद वह मुंबई आ गईं। मनोरमा ने ‘घर की इज्जत’ (1948) में दिलीप कुमार की बहन की भूमिका निभाई और सुपरहिट पंजाबी फिल्म ‘लच्छी’ (1949) में अभिनय किया। मनोरमा की शादी राजन हक्सर से हुई थी, जो एक अभिनेता भी थे। राजन निर्माता बन गए, जबकि मनोरमा ने अपने अभिनय करियर को फिर से स्थापित किया। अपनी शादी के बाद, उन्हें कैरेक्टर्स रोल और फिर विलन या कॉमिक रोल्स में रखा गया।
राजन से शादी के कई साल बाद उनका तलाक हो गया। उनकी आखिरी हिंदी फिल्म अकबर खान की ‘हादसा’ (1983) थी। मनोरमा ने टीवी सीरियल की ओर रुख किया। उन्होंने ‘दस्ताक’ सीरीज में काम किया था जिसमें शाहरुख खान भी थे। मनोरमा ने सीरियल ‘कुटुंब’ में हितेन तेजवानी की दादी का किरदार भी निभाया था।
2000 के दशक की शुरुआत में, उन्होंने बालाजी टेलीफिल्म्स के साथ उनके धारावाहिक ‘कश्ती’ और ‘कुंडली’ के लिए काम किया। उनकी आखिरी फिल्म दीपा मेहता की ‘वॉटर’ (2005) थी, जिसमें उन्होंने अपने अभिनय से हॉलीवुड क्रिटिक्स को दीवाना बना दिया था। मनोरमा के मुताबिक, फिल्म में मधुमती का किरदार निभाने के लिए वह पहली और आखिरी पसंद थीं। बनारस में फिल्म की मेकिंग पांच साल के लिए बंद कर दी गई थी। उन्हें छोड़कर पूरी कास्ट बदल दी गई थी।
मनोरमा को 2007 मेंलकवा हो गया था और बाद में वो ठीक भी हो गईं। हालाँकि उनको बोलने में मुश्किल होती थी। साथ ही कुछ और शारीरिक दिक्कतें भी थीं। 15 फरवरी 2008 को मुंबई में उनका निधन हो गया। इन्होंने 150 फिल्मों में काम किया था। मनोरमा की एक बेटी रीता हक्सर है। रीता ने संजीव कुमार के साथ ‘सूरज और चंदा’ में लीड रोल के तौर पर काम किया था, लेकिन बाद में एक इंजीनियर से शादी कर ली और विदेश में बस गईं।