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भाई को बचाने तेंदुए से भिड़ गई 10 साल की राखी, अब गणतंत्र परेड में पुरस्कृत होगी

वह खुद महज 10 साल की थी लेकिन मौत को सामने देखकर उसके भीतर अदम्‍य साहस जाग उठा। खुद की जान जोखिम में डालकर उसने परिवार को मौत के मुंह से बचा लिया। अब उसकी बहादुरी का सम्‍मान होने जा रहा है। उसे दिल्‍ली से बुलावा आया है। इस साल 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस पर दिल्‍ली में उसे राष्‍ट्रपति वीरता पुरस्‍कार से सम्‍मानित करेंगे। तीनों सेना प्रमुखों के साथ वह मंच पर चलकर जाएगी और राष्‍ट्रपति के हाथों पुरस्‍कार प्राप्‍त करेगी। आइये पढ़ते हैं राखी नाम की इस बालिका की वह शौर्य गाथा जिसे जानकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे और आप भी छोटी बालिका के विराट साहस के कायल हो जाएंगे।

यह घटना 4 अक्‍टूबर, 2019 को उत्‍तराखंड के गढ़वाल की है। इस बालिका का नाम राखी रावत है जो बीरोखाल ब्‍लॉक में रहती है। यह क्षेत्र वैसे भी वीरांगना तीलू रौतेली के बहादुरी भरे किस्‍सों के चलते ख्‍यात रहा है। अब इसमें एक और मिसाल जुड़ गई है। राखी यहां के प्राइमरी स्‍कूल देवकुंडाई में 5वीं क्‍लास में पढ़ती है। घटना वाले दिन वह अपनी मां शालिनी देवी और 4 साल के भाई को कंधे पर बैठाकर खेत से वापस लौट रही थी। तभी वहां घात लगाकर बैठे तेंदुए (गुलदार) ने अचानक हमला कर दिया। यह सब पलक झपकते हुआ कि किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला। राखी के साथ उसका छोटा भाई भी था। तेंदुए के हमले से दोनों वहीं नीचे गिर गए। तेंदुआ दोनों पर हावी हो गया। राखी ने जैसे-तैसे भाई को बचाते हुए अपने नीचे रख लिया और खुद तेंदुए के प्रहार सहती रही। वह खुद लहूलुहान हो गई लेकिन भाई को इस हमले से बचाती रही।

मां ने चीख-पुकार मचाई तो तेंदुआ वहां से भाग गया। इसके तुरंत बाद राखी ने भाई को देखा कि वह ठीक तो है। उसे सही सलामत पाकर उसने राहत की सांस ली। इसके बाद वह एक घटनास्‍थल से किलोमीटर पैदल चलकर गई और भाई को वहां से दूर ले जाकर पूरी तरह सुरक्षित बचाया। हालांकि फिर वह बेहोश हो गई। असल में तेंदुए ने उस पर काफी जोरदार हमला किया था। इसमें उसके सिर की हड्डी में फ्रैक्‍चर हो गया था। शरीर पर कई जगह तेंदुए के दांतों व पंजों के हमले के निशान थे। ऐसी स्थिति में किसी की भी जान हलक में आ जाती लेकिन राखी ने वाकई अदम्‍य साहस का परिचय दिया।

घटना के संबंध में परिवार का यही कहना है कि दोनों बच्‍चों की जान बच गई, उनके लिए तो बस यही काफी है। बाद में यह खबर पूरे इलाके में तेजी से फैल गई। वन विभाग के अधिकारियों को जब इसका पता चला तो उनके आश्‍चर्य का ठिकाना ना रहा। उनका कहना था कि गुलदार (तेंदुए) से निपटने में तो पूरे दल को एक साथ मिलकर जूझना होता है। लंबे समय तक मशक्‍कत के बाद वे सफल हो पाते हैं। एक मात्र 10 वर्षीय बच्‍ची का इतने हिंसक जानवर से इस तरह भिड़ जाना और छोटे भाई की जान बचा लेना तो अविश्‍वसीय लगता है। यह सचमुच तारीफ के काबिल है। वन क्षेत्र अधिकारी को इस बात की खुशी है कि राखी की बहादुरी को अब 26 जनवरी को सम्‍मानित किया जाएगा।

इसके बाद पूरे इलाके में राखी की बहादुरी का किस्‍सा हर जुबान पर था। जगह-जगह उसके चर्चे हुए। जगह-जगह उसका सम्‍मान किया गया। क्षेत्रीय विधायक और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बाद में घायल राखी को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया था। पर्यटन मंत्री ने भी इस बच्ची के इलाज के लिए अपने वेतन से एक लाख की राशि परिजनों को दी थी।