Monthly Archives: September, 2015
अब कैमरे की निगरानी में बनेगा रेलों में खाना
रेल मंत्री सुरेश प्रभु केवल रेलवे की खस्ता वित्तीय हालत को ही सुधारने में समय नहीं लगा रहे हैं बल्कि उन्होंने यात्री सुविधाओं का मर्म समझने की भी कोशिश की है।
10वें विश्व हिंदी सम्मेलन के उपलक्ष्य में एक नई श्रृंखला
‘वैश्विक हिंदी-द्वीप’ शीर्षक के अंतर्गत ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ विश्व में बसे भारतवंशी बहुल देशों में हिंदी के प्रति प्रेम, भारतवंशियों द्वारा हिंदी भाषा-साहित्य, हिंदी-शिक्षण-प्रयोग, संवाद आदि के स्तर पर पर उनके कार्य व योगदान जानकारी प्रस्तुत करने जा रहा है। इस कार्य में नीदरलैंड की लेखिका व साहित्यकार प्रो.
स्मार्ट शहर बनने के लिए करने होंगे प्रयास
स्मार्ट सिटी के लिए होने वाले समस्त प्रयास झील जल व भूजल के स्तर व गुणवत्ता की बहाली , उदयपुर घाटी में वायु प्रदुषण की समाप्ति तथा नागरिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने पर केंद्रित रहे।
उषा प्रियंवदा, चित्रा मुद्गल एवं पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी को मोर्रिस्विल्ल अमेरिका में सम्मान
तीनों रचनाकारों को ढींगरा फाउण्डेशन के अध्यक्ष ओम ढींगरा, हिन्दी प्रचारिणी सभा कैनेडा के संरक्षक श्याम त्रिपाठी, मोर्रिस्विल्ल शहर के मेयर मार्क स्टोलमेन, काउंसलर विक्की जानसन, काउंसलर स्टीफ राव, हिन्दी चेतना की संपादक सुधा ओम ढींगरा ने यह सम्मान प्रदान किये।
हर रेल्वे कर्मचारी और अधिकारी को श्री प्रभु जन्म दिन की बधाई देंगे!
हैप्पी बर्थ डे टू यू...तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हो 50 हजार...अब इस अलग अंदाज में रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु भारतीय रेलवे के कर्मचारियों और अफसरों को उनके जन्मदिन पर बधाई देते सुने जाएंगे.
मुम्बई वि.वि. में गीतकार माया गोविन्द का अमृत महोत्सव
रचनात्मक योगदान पर डॅा. करुणा शंकर उपाध्याय द्वारा सम्पादित अभिनंदन ग्रंथ गीतकार माया गोविन्द : सृजन के अनछुए संदर्भ’ का लोकार्पण शुक्रवार 28 अगस्त की शाम को मुम्बई वि वि के फ़ीरोज़ शाह मेहता सभागार में मा.कुलपति डॉ.संजय देशमुख ने किया।
हिंदी की विकास-यात्रा : ताड़पत्र लेखन से श्रुत लेखन तक
अधिक आबादी अपने आप में कोई समस्या नहीं है, समस्या है उस की ज़रूरियात को पूरा न कर पाना।
जनसंख्या वृद्धि धर्म से नहीं अशिक्षा से जुड़ी समस्या
बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व वर्तमान भाजपा सरकार ने यह आंकड़े जारी कर इसका राजनैतिक लाभ उठाने की कोशिश की है।
किनारों की तरह नहीं, दो हाथों की तरह हो ज़िंदगी
स्टीव जौब्स स्टैन्फोर्ड विश्वविद्यालय के स्नातकोत्सव पर जो भाषण दिया था वह बडा ही हृदयग्राही तथा तथा विचारशील था।
अमृतलाल नागर के लेखक बनने की कहानी
अमृतलाल नागर हिंदी के अतिविशिष्ट लेखकों में से एक हैं। उनके उपन्यास हों, उनकी कहानियाँ हों या कि ‘गदर के फूल’, ‘ये कोठेवालियाँ’ जैसी...