Saturday, April 20, 2024
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Monthly Archives: September, 2015

मुंबई में 28 सितंबर से शुरु हो रहे जागरण फिल्म समारोह के खास आकर्षण

इस वर्ष का फिल्मोत्सव 'खुशी' थीम पर केन्द्रित है, जो फिल्मों के जरिए अपने विविध रंगों की कलात्मकता को नए क्षितिज तक पहुँचायेगा. जागृण पिछले 3 महीने से 16 शहरों में फिल्मों को प्रदर्शन कर चुका है।

कहाँ है बुजुर्गों की हैल्थ इंश्योरेंस स्कीम ?

समाचार पत्र में खबर छपी थी कि “ बुजुर्गों के लिए 1 लाख रुपये के हैल्थ इंश्योरेंस स्कीम “ मोदी सरकार लांच करने जा रही है । यह स्कीम उन लोगों के लिए थी जिन्हें कोई उचित स्वास्थ्य बीमा कवर नहीं मिल प रहा है ।

मीडिया की सोच पर दीनदयालजी की दूरदृष्टि

पं. दीनदयाल उपाध्याय स्वयं बहुत बड़े पत्रकार और संचारक थे। अपनी विचारधारा को पुष्ट करने के लिए पत्रों का संपादन, प्रकाशन, स्तंभलेखन, पुस्तक लेखन उनकी रूचि का विषय था।

केन्द्रीय गृहमंत्री ने सरदार पोस्ट पर आधारित ग्राफिक पुस्तिका का विमोचन किया

केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कल रण क्षेत्र स्थित सरदार पोस्ट में हुए 1965 भारत-पाक महायुद्ध के दौरान सीआरपीएफ के जवानों की वीरता और बलिदान का चित्रण करने वाली ग्राफिक पुस्तिका का आज विमोचन किया।

उड़ीसा की छात्रा ने भुट्टे से पानी साफ करने की तकनीक इजाद की

मकई के भुट्टे से कई तरह के व्‍यंजन बनाए जाते हैं लेकिन क्‍या आपने कभी सोचा है कि इससे पानी को साफ भी किया जा सकता है।

हिन्दी वर्णमाला संग मानव श्रृंखला बनाकर ली शपथ

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी और हम विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया।

एकात्म मानवदर्शन के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय

फेडरिकमित्से,कारलायल आदि विचारकों ने खण्डसह सोच को प्राथमिकता दी उनके कारण यह चिंतन ही पैदा नहीं हो पाया कि प्रकृति में कही एक सूत्रता भी है इस विचार ने अपनी पूरी ऊर्जा यह बताने में लगा दिया की व्यक्ति और समाज दो है।

दीनदयाल उपाध्याय होने का मतलब

अब जबकि उनकी विचारों की सरकार पूर्ण बहुमत से दिल्ली की सत्ता में स्थान पा चुकी है, तब यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर दीनदयाल उपाध्याय की विचारयात्रा में ऐसा क्या है जो उन्हें उनके विरोधियों के बीच भी आदर का पात्र बनाता है।

दो पाटों के बीच पीसता मरीज

आज जो डॉक्टरों और मेडिकल स्टोरों की मनमानी चल रही है उस पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है | आज लोगों का 72 प्रतिशत खर्चा दवाइयों पर हो रहा है पर सभी राजनीतिक दल इस विषय की और ध्यान नहीं दे रहे हैं |

हम क्या थे, क्या हो गए

बीड़ी अब CIGARETTE बन गयी, चटाई CARPET बन गयी, मुक्केबाजी BOXING बन गयी,
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