Wednesday, April 24, 2024
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Monthly Archives: September, 2016

हमारे उत्सव अब सेलिब्रेशन हो गए, इसलिए भाव, रिश्ते और आनंद का रस छूट गयाः श्री वीरेंद्र याज्ञिक

उत्सव का मतलब है हमारे उत्स (ह्रदय) के आनंद की अभिव्यक्ति। भारतीय परंपरा में घरों में होने वाले धार्मिक व पारिवारिक कार्यक्रम उत्सव का प्रतीक होते थे, लेकिन अब हमने पश्चिमी सभ्यता का अंधानुकरण कर उत्सव को सेलिब्रेशन बना दिया है।

हमको तो लूट लिया मिलकर पापड़ वालों ने

आपके खाने का जायका बढ़ाने वाले महंगे पापड़ की ये खबर आपको निवाले में कंकड़ जैसी लग सकती है, लेकिन ये जानना जरुरी है कि कुरकुरा पापड़ कैसे मुनाफाखोरों की पकड़ में है। डेढ़ रुपए की लागत में तैयार होने वाला एक पापड़ कैसे रेस्टोरेंट में आपकी थाली तक पहुंचते पहुंचते तीस और चालीस रुपए का हो जाता है, ये समझना जरूरी है।

गिरगिटों का नेताओँ और मीडिया पर हमला

देश के दलबदलू नेताओँ को लेकर गिरगिटों की संस्था अखिल भारतीय गिरगिट संगठन ने मीडिया और नेताओं पर हमला बोल दिया है।

वैदिक काल से रहा है मनोरंजन का अस्तित्व

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, भोपाल के रजत जयंती वर्ष पर मुंबई प्रेस क्लब में हुई संगोष्ठी

अफसरों ने नही प्रभु ने सुनी अदने कर्मचारी की फरियाद

बिलासपुर : केन्द्र सरकार के मंत्री अपने विभाग के छोटे से छोटे कर्मचारियों की भी बात सुनते है, इसका उदाहरण केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दिया है। जिस कर्मचारी ने सुरेश प्रभु को अपनी समस्या से अवगत कराया था, वह रेलवे विभाग का अदना सा कर्मचारी है।

अब टीवी पर जनता की अदालतों में चलेंगे मुकदमे

देश के मुख्य न्यायाधीश के आँसू और मोदीजी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण पर उनकी मार्मिक प्रतिक्रिया पर भारत सरकार में गंभीर प्रतिक्रिया हुई है।

ढ़लती उम्र को पलायनवादी न बनने दे

उम्र के हर लम्हें को जीभर कर जीना चाहिए और उनमें सपनों के रंगों की तरह रंग भरने चाहिए, हर पीढ़ी सपने देखती है और उन सपनों में जिन्दगी के रंग भरती है। ढलती उम्र के साथ विश्वास भी ढलने लगता है, लेकिन कुछ जीनियस होते हैं जो ढलती उम्र को अवरोध नहीं बनने देते।

सरकारी नौकरी पाने वालों को मिलेंगे ओलंपिक पदक

मोदी सरकार सरकारी कर्मचारियों की उस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है जिसमें देश के सरकारी विभागों मे कार्यरत कर्मचरियों ने उन्हें ओलंपिक पदक देने की माँग की है।

संघ के कपड़े नहीं, संघ का समर्पण और काम देखो

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रतिवर्ष दशहरे पर पथ संचलन (परेड) निकालता है। संचलन में हजारों स्वयंसेवक एक साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ते जाते हैं। संचलन में सब कदम मिलाकर चल सकें, इसके लिए संघ स्थान (जहाँ शाखा लगती है) पर स्वयंसेवकों को 'कदमताल' का अभ्यास कराया जाता है।

एक चिट्ठी, धर्माचार्यों के नाम

मूर्ति विसर्जन से नदी प्रदूषण के मसले को लेकर ’मन की बात’ कहते हुए प्रधानमंत्री जी ने प्लास्टिक आॅफ पेरिस की बनी मूर्तियों का इस्तेमाल न करने का जो आहवा्न किया है, निश्चित ही वह प्रशंसनीय है, लेकिन हमें इससे आगे बढ़ने की जरूरत है।
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