Monthly Archives: February, 2017
जैविक में है दम, सिक्किम बना प्रथम
अरुण तिवारी - 0
यदि हमारी खेती प्रमाणिक तौर पर 100 फीसदी जैविक हो जाये, तो क्या हो ? यह सोचते ही मेरे मन में सबसे पहले जो कोलाज उभरता है, उसमें स्वाद भी है, गंध भी, सुगंघ भी तथा इंसान, जानवर और खुद खेती की बेहतर होती सेहत भी। इस चित्र के लिए एक टेगलाइन भी लिखी है
भारतीय नौजवानों में जहर घोलता आईएस
समूची मानवता के लिए खतरा बन चुके खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के प्रति भारतीय युवाओं का आकर्षण निश्चित ही खतरनाक है। कश्मीर से लेकर केरल और अब गुजरात में दो संदिग्धों की गिरफ्तारी चिंतनीय है ही।
तीन तलाक: फैसला संविधान पीठ करेगी
हमारे समाज में एक सोच बहुत ज्यादा प्रभावशाली है और वो है बिना सोचे-समझे किसी प्रथा को जन्म दे देना। संपूर्ण ज्ञान ना होते हुए भी लोग परम्पराओं को मान देने लगते हैं फिर चाहे वे किसी अन्य के लिए दुखदायी ही क्यों ना हो।
तानसेन संगीत महाविद्यालय के भोपाल केंद्र का शुभारंभ
तानसेन संगीत महाविद्यालय दिल्ली के भोपाल केंद्र का शुभारंभ सारा एजुकेशन एंड कल्चरल सोसाइटी के तत्वावधान में दिनांक 24 फरवरी 2017 को 4 बजे संपन्न हुआ। उदघाटन समारोह राजीव गांधी महाविद्यालय, त्रिलंगा के सेमिनार हॉल में आयोजित हुआ ।
भारतीय विज्ञान को विश्व पटल पर स्थापित करने वाले डॉ. चन्द्रशेखर वेंकट रमन
हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। लेकिन आपको पता है इसके पीछे की वजह। यह जानने के लिए आपको 28 फरवरी 1928 में जाना होगा, जब प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी सर सीवी रमन ने प्रकाश के प्रकीर्णन (scattering of light) नाम की उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी।
इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं-जो माइक पे चीखे वो असली गधा है
चुनावी मौसम में प्रधान मंत्री से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री और छुटभैये नेताओं द्वारा जिस तरीके से गधों का महिमा मंडन किया जा रहा है ऐसे में हिंदी के प्रख्यात कवि स्व ओम प्रकाश 'आदित्य' की ये कविता सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियाँ बटोर रही है।
नींद से जगा देती हैं इंसान को दुःख की आहटें !
अभी के दौर में आर्थिक शब्दावली कुछ ज्यादा ही चलन में है, लिहाजा जीवन मूल्यों को भी आयात-निर्यात की नजर से देखा जाने लगा है। लेकिन भारत ने अपने मूल्य न तो अभी तक किसी पर थोपे हैं, न ही उनका निर्यात किया है। इनमें से जो भी दुनिया को अपने काम का लगता है, उसे वह ग्रहण करती है, ठीक वैसे ही, जैसे अन्य समाजों से हम ग्रहण करते हैं।
कोलकाता में विशाल धरना और प्रदर्शन
भोजपुरी और राजस्थानी को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया तो हिंदी की कमर टूट जाएगी।
मंजुल भारद्वाज के नाटक “मैं औरत हूँ !” का मंचन 8 मार्च, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर
8 मार्च, 2017 यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर रंग चिन्तक मंजुल भारद्वाज द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक “मैं औरत हूँ !” का मंचन दोपहर 4 बजे होमी भाभा सेंटर फॉर साइंस एजुकेशन के मानखुर्द स्थिति ऑडिटोरियम में होगा.
डाक निदेशक केके यादव पर जारी हुआ ‘शेरगढ़ एक्सप्रेस’ पत्रिका का विशेष अंक
साहित्य और लेखन के क्षेत्र में विरले ही ऐसे परिवार हैं, जो अपने व्यक्तित्व और कृतित्व की बदौलत नित् नए मुकाम रच रहे हैं।