Friday, March 29, 2024
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Monthly Archives: October, 2018

मीटू से सुहेल सेठ की फजीहतः टाटा संस ने अनुबंध खत्म किया

बिग बॉस की पूर्व प्रतिभागी डियेंड्रा सोरस ने सुहेल ने फेसबुक पोस्ट के जरिए यौन उत्पीड़न की दास्तां बयान की थी। उन्होंने बताया था कि यह घटना कुछ साल पहले की है जब वह दिल्ली के एक फैशन वीक के बाद आफ्टर पार्टी में शामिल होने के लिए गई थीं।

प.रे. के महाप्रबंधक श्री एके गुप्ता ने फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री रविंद्र भाकर द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस प्रदर्शनी का शीर्षक `फ्रॉम माई विंडो सीट' रखा गया है।

बारिश में भीगती लड़कियों को देख कॉलेज के लिए बस दान कर दी

बस सर्विस को अब एक साल पूरे हो चुके हैं और कई लड़कियों ने अपने सपनों की उड़ान भरनी शुरू कर दी है। बनेती की पूजा दिल्ली पुलिस में शामिल होना चाहती हैं। अमन नर्स बनना चाहती हैं।

मतदाता जागरुकता अभियान में दिग्विजय महाविद्यालय में निबंध व वाद-विवाद प्रतियोगिता

स्वीप की रचनात्मक स्पर्धाओं की जानकारी देते हुए संयोजक डॉ. जैन ने बताया कि निबंध प्रतियोगिता में सजग मतदाता

अखबार का फटा पन्ना आपकी जान भी ले सकता है

लोगों को इस बारे में जागरूक करने के लिए बीमा कंपनी रेलिगेयर हेल्थ इंश्योरेन्स ने ‘डोंट ईट द न्यूज’ अभियान की शुरुआत की है।

भाजपा के स्टार प्रचारकों में आडवाणी, जोशी और सिन्हा का पत्ता कटा

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा जारी की गई 40 प्रचारकों की सूची में लालकृष्ण आडवाणी का नाम सबसे ऊपर था। उनके बाद राजनाथ सिंह

वैदिक शिक्षा क्यों जरुरी है स्कूलों में एक सार्थक चर्चा

‘बिजनेसवर्ल्ड’ व एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ अनुराग बत्रा इस पैनल डिस्कशन के मॉडरेटर थे।

चुनाव आयोग डाल-डाल तो फर्जीवाड़ा करने वाले पात-पात

पिछले आम चुनाव में चुनाव आयोग ने पेड न्यूज़ तथा अन्य खराबियों को रोकने के लिए ज़िला स्तर से लेकर प्रदेशों की राजधानियों तक मीडिया निगरानी केंद्र बनाए थे।

जैन समाज मानवता की सेवा के लिए तत्पर: गणि राजेन्द्र विजय

इस अवसर पर डाॅ. योगभूषणजी महाराज ने कहा कि हमारा खान-पान, रहन-सहन सात्विक होगा, तो हम अपने जीवन को सुखी, स्वस्थ, समृद्ध और शक्तिशाली बना पाएंगे। बीड़ी, सिगरेट,

वैंकय्या नायडू का हिन्दी भाषा का दर्द समझें

हिन्दी की दुर्दशा आहत करने वाली है। इस दुर्दशा के लिये हिन्दी वालों का जितना हाथ है, उतना किसी अन्य का नहीं।
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