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छोटी फिल्मों के सबसे बड़ा महाकुंभ मुंबई में शुरु
मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल हर दो साल के बाद आयोजित किया जाता है और इसमें विशेषकर दुनियाभर से आयी हुई बेहतरीन डाक्यूमेंट्री फिल्मों का प्रदर्शन होता है।
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अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में दर्शकों को भाई हिंदी फ़िल्म ‘नॉक नॉक
गोरेगाँव की बहुमंजली बिल्डिंग मंत्री सीरीन में शूट की गई इस फ़िल्म में जो परिवार और कपल दिखाए गए हैं वे आफ़िससे आ कर भी या तो आफिस के काम में लगे रहते हैं
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बजट की गोपनीयता की वजह से अपने पिता के अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाया येअधिकारी
इस साल 20 जनवरी को हलवा सेरेमनी हुई थी। हलवा सेरेमनी के बाद अधिकारी-कर्मचारी वित्त मंत्रालय में रहते हैं। बजट पेश होने से दो दिन पहले वित्त मंत्रालय को सील कर दिया जाता है।
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फिल्म समारोह में वृत्तचित्र निर्माताओं की समस्या पर सार्थक चर्चा
महाराष्ट्र फिल्म सेल की फीस के बाबत सुनने के उपरांत मंच पर आसीन अतिथिओं और श्रोताओं ने कहा कि डाक्यूमेंट्री मेकर्स के लिए यह फीस बहुत ज्यादा है इसमें रियायत होनी चाहिए
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पाकिस्तान हिंदुओं के क़त्ले आम के लिए बना था
बंगाल का मुख्यमंत्री शाहिद सोहरावर्दी जिन्ना का वैचारिक गुलाम था, जिन्ना का आदेश उसके लिए खुदा का आदेश होता था।
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कश्मीर घाटी में हिंदुओं के नरसंहार: बलात्कार और निष्कासन के 30 साल
उनकी कश्मीरियत और धर्मनिरपेक्षता की शान में कसीदे पढ़ने वाले धर्मनिरपेक्षता के पैरोकार लोगों ने उनकी शोकसभा में दो शब्द भी नहीं बोले ।
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शरजील ने जाहिर किए अपने खतरनाक मंसूबे, भारत को चाहता है इस्लामिक देश बनाना
शाहीन बाग में प्रदर्शन के कथित समन्वयक और देशद्रोह के आरोपी जेएनयू के शोधार्थी शरजील इमाम पांच दिन की पुलिस रिमांड पर है और पूछताछ के दौरान उसने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
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हिंदू शरणार्थियों का दर्द: मरकर हिंदुस्तान की मिट्टी में मिल जाएंगे, लेकिन पाकिस्तान नहीं जाएंगे
शरणार्थी जहां रहते हैं वहां पर एक गौशाला और मंदिर भी है। इसका संचालन एक बुजुर्ग महिला के हाथों में है। उन्होंने शरणार्थियों को लाइट की सुविधा मुहैया कराई थी।
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जैविक खेती पर बिजुआ ब्लॉक सभागार में रीजनल कार्यशाला
मुख्य वक्ताओं ने अपने विचार पर्यावरण में बढ़ते असुंतलन, नदियों तालाबों और भूगर्भीय जल में फैलता प्रदूषण, मिट्टी को प्रदूषित कर चुके कीटनाशकों व रासायनिक खादें,
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बहुत महंगा पड़ेगा गंगा से खिलवाड़
गंगा की अविरलता-निर्मलता के समक्ष हम नित् नई चुनौतियां पेश करने में लगे हैं। अविरलता-निर्मलता के नाम पर खुद को धोखा देने में लगे हैं।