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वामपंथ और दक्षिणपंथ बनाम भारतीय (हिन्दू) पन्थ का वैश्विक नैरेटिव
इसी प्रकार कथित दक्षिणपंथ से भारतीय (हिन्दू) पन्थ को समान बताने में भी सामान्य वामपंथियो का नही इनके मार्क्स, माओ,लेनिनवादी इनके विचारकों, परिवारवादी राजनीतिक दलों के मुखियाओं और
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आज भी प्रासंगिक हैं प्रेमचन्द के साहित्यिक व सामाजिक विमर्श –
हिन्दी साहित्य के इतिहास में उपन्यास सम्राट के रूप में प्रसिद्ध मुंशी प्रेमचंद के पिता अजायब राय श्रीवास्तव डाकमुंशी के रूप में कार्य करते थे। ऐसे में प्रेमचंद का डाक-परिवार से अटूट सम्बन्ध था। मुंशी प्रेमचंद को पढ़ते
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जीवन का प्राकृत स्वरुप ही उत्सव है
हम सब जो जीवन के किसी न किसी रुप में इस धरती पर जीव के रुप में व्यक्त हुए है।हम सब चाहे न चाहे,माने न माने हम सबका जीवन ही उत्सव है ।तभी तो जीव मात्र की उत्सवधर्मिता जीवन भर गतिशील रहकर इस धरती में जीवन
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चीन के खिलाफ ट्रेड वार जरूरी
इससे पहले भारत ने टिकटॉक सहित चीन के 59 एप्स पर पाबंदी लगाई थी तब माना जा रहा था कि यह बड़ा कदम नहीं है।
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जेआरडी टाटा होना किसी प्रधान मंत्री से भी बड़ा होना था!
महात्मा गांधी प्रधानमंत्री नहीं थे पर जेआरडी के साथ उनके रिश्तों का ज़िक्र ज़रूरी है. गांधी घनश्याम दास बिड़ला और जमनालाल बजाज जैसे कुछ अन्य व्यवसायियों को बेहद तवज्जो देते थे.
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प्रेमचंद के पात्र आज भी जीवित हैं
परंतु बीते कुछ दशकों से हमारे सार्वजनिक विमर्श और विश्लेषण का ध्येय चराचर में व्याप्त एकत्व को खोजने की बजाय और विभेद पैदा करना हो चला है|
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फिल्मी दुनिया में पुरस्कार पाने के लिए कैसी तिकड़में की जाती है
मैं यह सब अब इसलिए कह रहा हूं क्योंकि इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस माहौल में कोई बाहरी व्यक्ति कितना अकेला और तनावग्रस्त हो सकता है।
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ओड़िशा की धरती पर जन्मा एक देवदूत
उनके दिव्य सद्गुरु संत बाबा रामनारायण दास जी महाराज हैं। वे अबतक कुल लगभग 25 हिन्दू देवालयों का निर्माण अपनी ओर से कर चुके हैं तथा सैकड़ों देवालयों के निर्माण
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वर्चुअल कैबिनेट के बीच शिवराज का एक्चुअल हौसला
अस्पताल से अपने अनुभव साथी मंत्रियों और अफसरों को बांटने और वर्चुअल केबिनेट का मध्यप्रदेश में नया उदाहरण है। इसे टेक्नोलॉजी के नए स्वरुप के प्रति शिवराज की ललक और गंभीरता दोनों कहा जा सकता है। कोरोना के इन पांच महीनों
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श्रीराम मन्दिर निर्माण के उजालों का स्वागत करें
मेरी दृष्टि में दुनिया में भारत जिस धर्म एवं धार्मिक सौहार्द के लिये पहचाना जाता है, आज उसी धर्म एवं सौहार्द को जीवंतता प्रदान करने एवं प्रतिष्ठित करने का अवसर हमारे सामने है। क्योंकि धर्म जीवन है,