Monthly Archives: October, 2021
गांधी व शास्त्री जयंती मनाई
इच्छापुरम,मुनिसपल के गाँधी पार्क मे उत्साह के साथ गांधी जयंती मनाई गई। इस अवसर पर ,सचिवालय ,मुनिसिपल कार्यलय के समस्त कर्मचारियों व...
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, हैदराबाद में हिंदी पखवाड़ा समापन समारोह संपन्न
सभा के प्रथम उपाध्यक्ष श्री अब्दुल रहमान ने इस बात पर जोर दिया कि स्वतंत्रता आंदोलन में संपूर्ण भारत को एकसूत्र में बाँधकर हिंदी ने महती भूमिका निभाई।
गांधीजी के जीवन का नियामक तत्व था धर्म : श्री रामबहादुर राय
इससे पूर्व एमसीयू में गठित स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव की आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. श्रीकांत सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि गांधीजी उच्च कोटि के पत्रकार थे।
भारत को विश्व गुरु बना सकने वाला हिंदू समाज खड़ा करना है: डाॅ.मोहन भागवत
डॉ मोहन भागवत ने कहा कि संघ का काम अभी बहुत बडा है, संघ के कार्य के लिए अभी बहुत अनुकूलता है। संघ का कार्य निश्चित रुप से बढ़ेगा,
रेल मंत्री ने राजस्थान और गुजरात में चल रहे कार्यों एवं रेल परियोजनाओं का निरीक्षण किया
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, श्री वैष्णव ने 3 अक्टूबर, 2021 को फालना से वापी तक यात्रा की। रास्ते में उन्होंने डेडिकेटेड फ्रेट
पश्चिम रेलवे महिला कल्याण संगठन द्वारा श्रमदान और वृक्षारोपण अभियान
श्री ठाकुर ने बताया कि इस अवसर पर पश्चिम रेलवे महिला कल्याण संगठन द्वारा महिलाओं के लिए रंगोली प्रतियोगिता के साथ-साथ बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
गांधी नाम का तूफान..!
प्रशांत पोल - 0
वास्तव में देखा जाए, तो गांधी सच्चे और कट्टर सनातनी थे. वे हिन्दू धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति थे. इस बारे में वे आग्रही भी थे. परन्तु भारत के आधुनिक इतिहास में गांधी
नागरिकों को रोजगार के नए अवसर तलाशने होंगे- अनिल गलगली
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि कोरोना काल में रोजगार समाप्त हो गया है और अब स्वरोजगार की ओर मुड़ने का समय आ गया है.
हमारी पसंद-नापसंद और गांधी के सनातन जीवन मूल्य
गांधी ने सत्य और अहिंसा को निजी और सार्वजनिक जीवन में बड़ी सादगी, सरलता और सहजता से जी कर सबको बताया कि सत्य ही ईश्वर है।
गाँधी ने भी कई भूलें की और हम उन्हें महान मानते रहे
महापुरुष ऊंचाइयों पर चलते हैं, उन ऊंचाइयों पर, जहां आने वाली पीढ़ियां हजारों सालों तक चलेंगी। लेकिन इतना आगे चलने में महापुरुष भी न जाने हजारों साल पहले ही कितनी भूलें कर डालता है