कोटा / पर्यटन विकास समिति द्वारा स्थानीय भवानी नाट्यशाला का 102वां स्थापना दिवस नाट्यशाला परिसर में रविवार को सवेरे मनाया गया। इस अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
समिति अध्यक्ष दिनेश सक्सेना ने कहा कि इस नाट्यशाला की दुर्दशा 1980 से आरम्भ हुई ओर बाद में विभिन्न खेल संघो ने इसकी दुर्दशा को सुधारने के लम्बे प्रयास किये जिस कारण इसका अस्तित्व बच पाया। समिति संयोजक ओम पाठक ने कहा कि स्थानीय प्रशासन तथा पुरातत्त्व विभाग को आज तक इस विरासत को बचाने की चिन्ता नहीं है अतः अब जन जागरण से इसका उद्धार करना होगा। उन्होंने कहा कि इस धरोहर को डाक टिकिट पर लाने व विश्व विरासत में लाने तथा पर्यटकों को इससे जोड़ने के प्रयास किये जायेगें।
मुख्य वक्ता इतिहासकार ललित शर्मा ने कहा कि 1921 की इस धरोहर का स्थान आज भी विश्व रंगमंच की धरोहर के रूप में इतिहास में दर्ज है, जहां 1950 तक लगातार देशी विदेशी नाट्क खेले गये थे। यह धरोहर भारतीय रंगकर्मी कला का नायाब उदाहण है। सर्वेश्वरदत्त ने कहा कि इस धरोहर की उपेक्षा भारतीय संस्कृति का अपमान है अतः प्रशासन को इस ओर शीघ्र ध्यान देना चाहिये।
भगवती प्रसाद मेहरा, भारत सिंह राठौड़ व ठाकुर उमराव सिंह के वंशज मंजीत सिंह कुशवाह ने इस नाट्यशाला के शीघ्र जीर्णोद्धार तथा नाट्य अकादमी से इसे सम्बद्ध करने की मांग जिला प्रशासन से की। समिति सचिव डॉ. अलीम बेग ने कहा कि आज के दौर में विद्यालयी बालकों को पर्यटन के रूप में इस नाट्यशाला का अवलोकन करवाना चाहिये जिसे शिक्षा अधिकारी के माध्यम से आदेशित किया जा सकता है। इस अवसर अनेक मीडिया कर्मियों सहित समिति कोषाध्यक्ष कन्हैयालाल कश्यप, लक्ष्मीकान्त शर्मा, संग्रहालय के दीर्घापरिचायक अशोक कुमार शर्मा, ने भी विचार व्यक्त किये तथा नाट्यशाला का अन्दर से अवलोकन कर इसकी दुर्दशा पर चिन्ता व्यक्त की।